ग़ाज़ियाबाद (14 नवंबर 2019)- मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जो आपके ख़ून में ब्लड शुगर के बढ़ जाने से होती है। आपके शरीर को ताक़त देने वाला मुख्य तत्व ब्लड या ब्लड ग्लुकोज ही होता है, जोकि आपके खाने से बनता है। पेनक्रियाज़ द्वारा बनाया गया हार्मोन इंसुलिन भोजन से ग्लुकोज बनाने और आपके सेल तक पहुंचाने में मदद करता है। मधुमेह यानि डायबिटीज़ इन दिनों में लोगों में न सिर्फ तेज़ी से बढ़ रही है, बल्कि इससे होने वाली स्वास्थ संबधी परेशानियों में भी इज़ाफा हो रहा है। 14 नवंबर यानि मधुमेह दिवस शायद इस बीमारी के बारे में जनमानस को जागरुक करने की एक पहल भी है। दरअसल इस बीमारी को लेकर सावधानी भी इससे बचाव में मदद करता है।
इस बीमारी के लगातार बढ़ते असर को देखते हुए इसके ख़तरों से समाज को जागरुक करना होगा। सबसे पहले तो यही जानना बेहद जरूरी है कि डायबिटीज़ या मधुमेह यानि शुगर की बीमारी अनुवांशिक होती है। यानि यदि यह बीमारी आपकी माता या पिता में से किसी को है, तो इस बात का खतरा काफी बढ़ जाता है कि आपको भी शुगर होगी। बात जब गर्भवती महिला की हो तो इस खतरे से जल्दी सामना होने की आशंका बढ़ जाती है। मतलब, यदि किसी महिला के परिवार में उसकी माता या फिर पिता को मधुमेह की बीमारी है तो गर्भधारण करने से पूर्व ही उसे अपनी शुगर की जांच करानी जरूरी हो जाती है। सामान्य तौर पर भी महिलाओं को गर्भवती होने पर मधुमेह की जांच करानी चाहिए।
यह कहना है जिला महिला अस्पताल की सीएमएम डा. दीपा त्यागी का। मंगलवार को उन्होंने बताया कि पारिवारिक पृष्ठभूमि में यदि मधुमेह की बीमारी रही है तो गर्भावस्था के दौरान इसके होने की आशंका काफी बढ़ जाती है। इसके अलावा देर से शादी और देर से गर्भधारण करना भी गर्भ के दौरान मधुमेह और हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन रहा है। डॉक्टर दीपा त्यागी का कहना है कि सही मायने में मधुमेह की बीमारी एक लाइफ स्टाइल की बीमारी है जो उच्च और मध्यम उच्च वर्ग को अपनी चपेट में ले रही है। हार्मोनल गड़बड़ी से शुरू होने वाली इस बीमारी को मोटापा और उसके ऊपरी शारीरिक निष्क्रियता बढ़ावा देने का काम करती है।
डॉक्टर दीपा त्यागी ने बताया कि सामान्य तौर पर भी जो महिलाएं गर्भधारण करती हैं, उनकी तत्काल मधुमेह की जांच कराना आवश्यक है। उन्होंने बताया जिला महिला अस्पताल में आने वाली गर्भवती महिलाओं की शुगर की जांच पंजीकरण के वक्त, इसके बाद गर्भ के 20 सप्ताह पूरे करने और फिर 34 सप्ताह पूरे करने पर शुगर की जांच कराई जाती है। इसके अलावा जिन महिलाओं के परिवार में मधुमेह का इतिहास रहा हो, उन्हें डाक्टर से सलाह लेकर गर्भधारण करना चाहिए। जिन महिलाओं को मधुमेह है, वह डाक्टर की सलाह के बिना कतई गर्भधारण न करें।
दरअसल गर्भवती महिला को मधुमेह की बीमारी होने पर उसके होने वाले बच्चे में शारीरिक विकृति होने की आशंका रहती है। इसलिए जरूरी है कि पहले महिला की शुगर नियंत्रित की जाए। डा. दीपा बताती हैं कि होने वाले बच्चे में विकृति होने का खतरा इस बात पर निर्भर करता है कि महिला की शुगर कितने दिनों से बढ़ी हुई है। गर्भधारण करने से कितने पहले इसे कंट्रोल होना जरूरी है। गर्भवती महिलाओं को शुगर होने की स्थिति में होने वाले बच्चे की दृष्टि भी प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा ब्लड वैसल्स पर भी इसका असर होता है। कई बार ‘सडन डैथ’ जैसी स्थिति भी सामने आ सकती है।
गर्भवती मां के भ्रूण में पल रहे बच्चे का शरीर कई बार सामान्य से ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे में सामान्य प्रसव होना मुश्किल हो जाता है और शुगर के चलते सिजेरियन करना भी काफी जोखिमभरा हो जाता है। इसके अलावा ऐसे में बच्चे को मां के पेट में जरूरी पोषण नहीं मिल पाता। ऐसी स्थिति में महिला को इंसुलिन पर रखकर समय से थोड़ा पहले ही सिजेरियन डिलीवरी करानी पड़ती है। लेकिन ऐसे में पैदा होने वाले बच्चे का भी खास ध्यान रखना होता है। दरअसल बहुत ज्यादा वजन वाले बच्चों में ब्लड ग्लूकोज कम होता है। मधुमेह पीड़ित महिला की सिजेरियल डिलीवरी के समय एक अच्छे फिजीशियन का मौजूद रहना भी जरूरी होता है।
Tags:14 november world diabities dayblood glucoseBlood glucose main source of energyblood sugar too highDiabetes diseasedocter deepa tyagidocter dipa tyagihormoneInsulinOpposition newsoppositionnewspancreasWorld Diabetes Day