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राजनीतिक दल चुनावों में झूठे और लुभावने वादों से करें परहेज़ : उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू

Vice President M. Venkaiah Naidu
Vice President M. Venkaiah Naidu

नई दिल्ली (16 अक्तूबर 2019)- चुनावों के दौरान जनता को लुभाने और जीत के लिए झूठे वादे करने वाले नेताओं और राजनीतिक दलों को उपराष्ट्रपति एम वैंकय्या नायडू ने नसीहत दे डाली है। उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने चुनावों की पूर्व-संध्या पर मतदाताओं को लुभाने के लिए लोक-लुभावन उपायों के विरूद्ध आज राजनीतिक दलों को चेतावनी देते हुए कहा कि इससे विकास पर होने वाले खर्च पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
नई दिल्ली स्थित उपराष्ट्रपति भवन में आज बैंगलुरू के कानून के छात्रों से बातचीत करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा लोकतंत्र को मजबूत करना जनता के हाथ में है। उन्होंने कहा मतदान करना केवल एक अधिकार ही नहीं है, बल्कि उनका उत्तरदायित्व भी है। उन्होंने लोगों से मांग करते हुए कहा कि वे अपने प्रतिनिधियों को चुनते समय 4 सी – करेक्टर (चरित्र), कंडक्ट (व्यवहार), कैलिबर (बुद्धि) और कैपेसिटी (क्षमता) को ध्यान में रखें।
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से कुछ लोग अन्य 4 सी – कास्ट (जाति), कम्युनिटी (समुदाय), कैश (धन) और क्रिमिनलिटी (अपराध) को बढ़ावा देकर लोकतंत्र को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों का चयन करते समय लोगों को सोच-विचार कर निर्णय लेना चाहिए। पीआईबी द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक़़ उपराष्ट्रपति ने राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के लिए एक साथ चुनाव कराने पर जोर देते हुए कहा कि इससे एक समय में ही पूरा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर लोकतंत्र की मजबूती के लिए राज्यों में किसी कारण से स्थानीय निकायों के चुनावों को स्थगित करने की संभावना नहीं होनी चाहिए।
श्री नायडू ने कहा कि न्याय तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित करने में अधिवक्ता महत्वपूर्ण हितधारक हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि अंतिम व्यक्ति तक न्याय की पहुंच सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे स्थिर और समृद्ध समाज की नींव तैयार होती है। विभिन्न न्यायालयों में अत्यधिक संख्या में लंबित मुकदमें के बारे में उपराष्ट्रपति ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में लगभग 60,000 मुकदमें लंबित हैं और उच्च न्यायालयों में लगभग 44 लाख मुकदमें हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि अकसर ऐसा कहा जाता है कि न्याय में देरी होना, न्याय से वंचित होना है।

Post source : pib

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आज़ाद ख़ालिद टीवी जर्नलिस्ट हैं, सहारा समय, इंडिया टीवी, वॉयस ऑफ इंडिया, इंडिया न्यूज़ सहित कई नेश्नल न्यूज़ चैनलों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। Read more

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