नई दिल्ली (23 दिसबंर 2019)- फिल्मों में बढ़ती हिंसा और अश्लीलता को लेकर उपराष्ट्रपति एम नेंकैया नायडू ने चिंता ज़ाहिर की है। उन्होंने फिल्म बिरादरी का आह्वान किया कि वह जनता विशेषकर युवाओं पर फिल्मों के बड़े पैमाने पर पड़ने वाले गहरे प्रभाव को ध्यान में रखते हुए फिल्मों में हिंसा, अशिष्टता और अश्लीलता दिखाने से बचें।
दिल्ली में सोमवार को 66 वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान करने के बाद संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि फिल्म निर्माताओं को इस शक्तिशाली माध्यम के लोगों पर पड़ने वाले गहरे प्रभाव के प्रति सचेत रहना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने उनसे आग्रह किया कि वे सामाजिक परिवर्तन के साधन के रूप में इस शक्तिशाली माध्यम का उपयोग करें और विभिन्न सामाजिक बुराइयों से निपटने के लिए लोगों को शिक्षित करें, सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा दें तथा समाज के नजरिये में बदलाव लाएं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि मुख्य रूप से ध्यान चुनौतियों और सामाजिक विचारधाराओं की कलात्मक प्रस्तुति पर होना चाहिए और विवादों का इस प्रकार से समाधान किया जाना चाहिए, जिससे सामाजिक सौहार्द बना रहे तथा नैतिक सिद्धांतों को मजबूती मिले।
युवा मन पर सिनेमा के पड़ने वाले गहरे प्रभाव की ओर इशारा करते हुए श्री नायडू ने कहा कि सिनेमा सही मूल्यों को बढ़ावा देने में एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा, “हमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा की मौजूदा प्रवृत्ति से निपटने के लिए एक कड़ा संदेश देना चाहिए”, उन्होंने देश के कुछ हिस्सों में महिलाओं के खिलाफ दुष्कर्म और हिंसा की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की। श्री नायडू ने कहा, “समाज में हम सभी लोगों, विशेष रूप से फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों को महिलाओं का सम्मानजनक चित्रण करना चाहिए”।
यह सोचना शायद गलत है कि संदेश देने वाली किसी फिल्म को दर्शक स्वीकार नहीं करेंगे। सामाजिक संदेश के साथ एक फिल्म मनोरंजक और व्यावसायिक रूप से भी सफल हो सकती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि फिल्म उद्योग को स्वस्थ आहार और शारीरिक फिटनेस के महत्व के बारे में युवाओं में जागरूकता पैदा करनी चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने प्रत्येक फिल्म निर्माता से यह भी सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि वे चरित्र चित्रण, संवाद और वेशभूषा के माध्यम से भारत की संस्कृति, रीति-रिवाजों, प्रथाओं और परंपराओं को दर्शाएं। उन्होंने कहा, “सिनेमा को परिवार व्यवस्था को मजबूत बनाने और लोकतांत्रिक शासन को बढ़ावा देने में भी मदद करनी चाहिए।”
भारतीय सिनेमा की वैश्विक लोकप्रियता का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय फिल्में बाहरी दुनिया के समक्ष ‘भारतीयता’ की महत्वपूर्ण झलक प्रस्तुत करती हैं। उन्होंने कहा कि हमें सांस्कृतिक कूटनीति की दुनिया का प्रभावी दूत बनने की आवश्यकता है।
फिल्म बिरादरी और सरकार के बीच अधिक सहयोग करने और भारत के दर्शनीय स्थलों के उपयोग के तरीकों को विकसित करने का आह्वान करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “निरंतर विकास के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करते हुए, हम पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा दे सकते हैं और दुनिया के लिए सांस्कृतिक विविधता का प्रदर्शन कर सकते हैं।”
सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए, श्री नायडू ने उम्मीद जताई कि वर्ष 2020 में कलात्मक और रचनात्मकता की बढ़ी हुई भावना देखने को मिलेगी, क्योंकि भारतीय सिनेमा उत्कृष्टता की अधिक ऊंचाइयों की चाह रखता है।
उपराष्ट्रपति ने फिल्म निर्माण में आसानी और सर्वाधिक फिल्म-अनुकूल राज्य होने का पुरस्कार जीतने के लिए उत्तराखंड राज्य को भी बधाई दी।
इस अवसर पर सूचना और प्रसारण, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर, सूचना और प्रसारण सचिव श्री रवि मित्तल, जूरी के सदस्य और अध्यक्ष तथा अभिनेता श्री अक्षय कुमार, श्री आयुष्मान खुराना, सुश्री कीर्ति सुरेश, श्री विक्की कौशल सहित पुरस्कार विजेता उपस्थित थे।
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