नई दिल्ली (30 नवंबर 2019)- कई दिन से एक ख़बर ने इंसानियत को शर्मसार कर रखा है। मदद के नाम पर एक लेडी डॉक्टर के साथ न सिर्फ रेप किया गया बल्कि उनको जलाकर मार डाला गया। इस शर्मनाक ख़बर पर एक लफ़्ज़ लिखते हुए भी हांथ कांप रहे हैं, अल्फाज़ साथ नहीं दे रहे। कई दिन बाद भी इस पर कुछ न लिखना मानो मजबूरी थी। लेकिन शायद ऐसी वारदात पर ख़बर लिखने के बजाय आवाज़ उठाने की मंशा से लिखना पड़ रहा है।
सच कहूं तो मौत डॉक्टर प्रियंका रेड्डी को नहीं बल्कि हमारी इंसानियत को हमारे समाज को और हमारी सुरक्षा व्यवस्था को आई है। एक लेड़ी डॉक्टर जिसने पशुओं के इलाज जैसा पेशा अपनाया हो और हर रोज़ पशुओं का इलाज किया हो। वो बेचारी इंसानों की शक्ल में छिपे पशुओं से मिलने वाली मदद के नाम पर धोखा खा गईं।
दरअसल इस घटना को हर पिता को, हर मां को हर भाई को हर लड़की र महिला को ख़तरे की घंटी के तौर पर देखना और समझना चाहिए। सड़क पर हमारे आसपास हमारे इर्द गिर्द मददगार के तौर पर अक्सर कई चेहरे सामने आते हैं। लेकिन दिल्ली की निर्भया कांड हो या फिर हैदराबाद की लेडी डॉक्टर के साथ होने वाली शर्मनाक हैवावियत, मददगार बनकर ज़िंदगी छीनने वालों से समाज को न सिर्फ सचेत रहना होगा बल्कि ऐसे लोगों और किसी भी असहाय लड़की मदद को खड़ा रहना होगा। नहीं तो जो बच्ची अभी तक आपको या हमें किसी दूसरी की लग रही है। वो अपनी भी हो सकती है।
और हां सबसे गंभीर बात तो ये है कि यहां पर कुछ लोग इस वारदात को अंजाम देने वाले लोगों के नाम सुनकर या उनके बारे में हिंदु या मुसलमान करने मे लगे हैं। शर्मनाक है ये। सबसे पहले एक मुसलमान होने के नाते में ये कह सकता हूं कि जो इतनी गिरी हुई और शर्मनाक वारदात को अंजाम दे सकता है भले ही उसका नाम मुसलमान जैसा हो लेकिन उसको मुसलमान कहना भी शर्मनाक है। और यही बात हिंदु के साथ भी है। अच्छा हिंदु या मुसलमान इतना कभी नहीं गिर सकता। दूसरे एक मुसलमान होने के नाते इस मामले मे पकड़े गये चार आरोपियों में से एक का नाम मुसलमानों की तरह है, तो हमारी मांग है कि जांच के बाद सबसे पहले इसको फांसी दी जाए। या समाज के सामने सरेआम संगसार यानि पत्थर मारकर मौत के घाट उतार दिया जाए।
साथ ही समाज से अपील है कि इस तरह की वारदातों में या इस तरह के बहशियों के लिए हिंदु मुसलमान करने के बजाय इंसान और हैवान के फ़र्क़ को समझाना होना। जो कि मेरे और आपके लिए, हमारे पड़ोसी के लिए, शहर और देश के लिए ज़रूरी है। आओ एक ऐसे समाज की परकल्पना करें जहां क्रिमनल क्रिमनल मानते हुए उससे अपने समाज को बचाने और क़ानून के दायरे में उसको सज़ा दिलाने के लिए हिंदु मुसलनाव को भेद ख़त्म करके समाज एक जुट हो।