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up election 2022 बीजेपी से स्वामी प्रसाद मौर्य का तलाक़ तलाक़ तलाक़ क्यों

up election 2022
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-मोदी योगी की परीक्षा
-भारी पड़ रही एक समुदाय के ख़िलाफ नफरत की राजनीति
-बड़बोलापन और 80 बनाम 20 फीसद जैसे बयान से समझदार तबका नाराज़
नई दिल्ली (11 जनवरी 2022)- UP Election 2022 यूपी चुनाव 2022 का ऐलान मानों बीजेपी bjp के इम्तिहान की घोषणा बन चुका है। स्वामी प्रसाद swami prasad maury मौर्य फिलहाल सपा samajwadi party में जा चुके हैं जाने वाले हैं, भले ही कुछ लोगों के लिए अभी साफ हुआ हो या न हुआ हो, लेकिन इतना तो तय हो ही चुका है कि कई दूसरे नेताओं की तरह उन्होने भी बीजेपी bhartiya janta party को तलाक़ तलाक़ तलाक़ #tripple_talaq कह दिया है। भाजपा #bjp आलाकमान भले ही डेमेज कंट्रोल के नाम पर राजनीतिक मंथन में जुट गया हो लेकिन एक बार फिर साबित हो गया है कि भले बिना असल तैयारी के कोई भी परीक्षा महज़ नक़ल के दम पर भी पास नहीं की जा सकती। हालांकि फिलहाल चुनावी नतीजों को लेकर कोई क़यास लगाना जल्दबाज़ी होगा, और फिर हो सकता है कि भाजपा में मची इस भगदड़ को भी बीजेपी के रणनीतिकार, ख़़ासतौर से मोटा भाई और उनके चाणक्य आपदा को अवसर में बदल डालें। क्योंकि बीजेपी में हमारे सूत्रों का मानना है कि पार्टी आलाकमान समझता है कि लोगों में अगर कोई नाराज़गी है भी तो विधायकों से हो सकती है, योगी या मोदी से नहीं। शायद इसी रणनीति के तहत कई मौजूदा नामों पर क़ैची चलाने के अलावा कुछ निष्क्रिय और संभावित डूबते जहाज़ से कूदने की प्रवृति वाले लोगों के जाने से बहुत नुक़सान होने वाला नहीं है। साथ ही हाल के कुछ दिनों में सत्ता सुख भोगने के लालच में जिस तेज़ी से भाजपा का कुनबा बढ़ा था, उससे कुछ पुराने समर्पित कार्यकर्ता खु़द को उपेक्षित महसूस कर रहे थे। ऐसे में इस छटनी से उनको भी सांस लेने का मौक़ा मिल सकता है।
लेकिन जिस तरह से न सिर्फ अखिलेश यादव #akhileshyadav की सभाओं में भीड़ जुटी बल्कि कांग्रेस #congress व अन्य दलों समेत बीजेपी के ही कई लोगों ने समाजवादी #samajwadiparty पार्टी का दामन थामा है, उससे सपा ख़ेमा ख़ासा उत्साहित है।
उधर कांग्रेस #inc को निश्चित तौर पर प्रिंयका गांधी #priyankagandhi की सक्रियता का लाभ मिला है, लेकिन एक तो राहुल गांधी #rahulgandhi के अचानक फिर से अज्ञातवास और केवल सोशल मीडिया पर दिखने से ख़ुद कांग्रेस का कार्यकर्ता पसोपेश में है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि लड़की हूं तो लड़ सकती हूं #ladkihuladsaktihu के नारे के बीच एक सवाल तो ये था ही कि पिछले दर्जनों चुनावों में लड़का क्यों नहीं पाया, और अब एक सवाल ये भी खड़ा हो गया है कि कांग्रेस से लड़के क्यों भाग रहे हैं। दरअसल कई साल से किसान कांग्रेस #farmers #congress के अध्यक्ष तक को तरस रही कांग्रेस किसानों मे पैठ बनाने के नाम पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसी जाट #jat चेहरे के तौर पर हरेंद्र मलिक #harendermalik और उनके बेटे से काफी उम्मीदें लगा रही थी लेकिन हाल ही में उनका कांग्रेस से मोह भंग होना और अब रही सही कसर पूरी कर दी है पश्चिमी उत्तर प्रदेश west up बडे़ मुस्लिम #muslim चेहरे के तौर पर क़ाज़ी रशीद मसूद rashid masood के वारिस इमरान मसूद imran masood ने कांग्रेस का दामन छोड़कर। ऐसे में कांग्रेस से लोग पूछने लगे हैं कि कांग्रेस से लड़कों में क्यों भगदड़ मची है, इसके अलावा लड़की केवल उत्तर प्रदेश में ही क्यों लड़ रही है, क्योंकि राजस्थान, rajasthan पंजाब, punjab छत्तीसगढ़ chattisgarh के अलाव झारखंड jharkhand की लड़की हाल सबको मालूम है।
बहरहाल चुनाव #upelection2022 आते ही सभी दलों का इम्तिहान बढ़ गया है, पांच साल से आराम कर रही सत्ता हो या विपक्ष #opposition अब उसकी नींद उड़ी हुई लेकिन सबसे ज्यादा बुरा हाल है बीजेपी का। क्योंकि सत्ता के बावजूद अगर पार्टी छोड़कर भाग रहे हैं तो भाजपा हाइकमान के लिए चिंता की बात है। अगर थोड़ा ग़ौर करें ते लगभग एक माह के भीतर बीजेपी से लगभग डेढ़ दर्जन बड़े नेताओं ने पार्टी को तीन तलाक़ दे दिया है। मंगलवार को प्रदेश सरकार में मंत्री रहे और कभी बीएसपी से आयातित स्वामी प्रसाद मौर्य #swamiprasadmaury के इस्तीफे ने योगी आदित्नाथ #yogi adityanath के लिए बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
इतने कम समय में इतने नामों का बीजेपी से मोह भंग होना पार्टी हाइकमान के लिए चिंता का विषय है। साथ ही अगर राजनीतिक अफवाहों पर ध्यान दें तो कम से कम तीन और विधायकों mla के कमल #lotus को छोड़ने और साइकिल #bicycle पर सवार होने की चर्चा है। उधर संतकबीरनगर santkabir nagar के बीजेपी विधायक bjp mla जय चौबे jai chobe भी सपा #sp में शामिल हो चुके हैं। बीजेपी को हाल ही झटका देने वालों में बदायूं के बिल्सी से बीजेपी एमएलए राधा कृष्ण शर्मा, सीतापुर से भाजपा विधायक राकेश राठौर भी सपा की साइकिल पर सवार हो चुके हैं। जबकि बहराइच के नानपारा की विधायक माधुरी वर्मा ने भी कमल के बजाए अब साइकिल को पसंद कर लिया है।
फहरिस्त लंबी है लेकिन बीजेपी के पास भले ही समय कम हो क्योंकि पांच साल की हवाबाज़ी और धार्मिक उन्माद के खेल का डेमेज कंट्रोल चंद दिनों में करना कोई आसान काम नहीं लेकिन बीजेपी के चाणक्य को जो लोग जानते हैं उनको उम्मीद है कि हाइकमान मामले को काबू कर लेगा।
लेकिन इतना तो तय है कि यदि कोई नेता या दल केवल एक समुदाय को ठिकाने लगाने की सोच के साथ राजनीति करेगा, तो उसके ख़ुद ठिकाने लगने में भले ही कुछ समय लग जाए लेकिन उसकी नाकामी निश्चित ही है। क्योंकि एक प्रदेश की जनता के द्वारा चुने हुए मुखिया का यह कहना कि यह चुनाव 80 बनाम 20 फीसद का है, जिसको शायद देश का सैक्यूरल ताना बाना ही नहीं बल्कि हर समझदार हिंदु भाई भी स्वीकार करने को तैयार नहीं।

#azadkhalid

About The Author

आज़ाद ख़ालिद टीवी जर्नलिस्ट हैं, सहारा समय, इंडिया टीवी, वॉयस ऑफ इंडिया, इंडिया न्यूज़ सहित कई नेश्नल न्यूज़ चैनलों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। Read more

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