नई दिल्ली/मंबई (22 नवंबर 2019)- महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर शिव सेना के उद्धव ठाकरे के नाम पर अंतिम मोहर के बाद लगभग एक माह से चली आ रही उहापोह भले ही ख़च्म होने वाली हो लेकिन कई सवाल लोगों के मन में उठने लगे हैं।
सबसे पहले तो ये है कि क्या अमित शाह और नरेंद्र मोदी की गुजराती जोड़ी पर शिव सेना और शरद पवार का मराठी मानुष भारी पड़ी है। या फिर कांग्रेस ने गोवा और कर्नाटक का हिसाब बराबर करने के लिए महाराष्ट्र को चुना है। साथ ही क्या हिंदुत्व के नाम पर वोट बैंक को क़ाबू करने वाली शिव सेना और बीजेपी का कथित डीएनए अब भी एक ही है या सत्ता के लिए सियासी दल या कोई भी नेता कुछ भी कर सकता है।
बहरहाल इन सभी सवालों के बीच ख़बर यही है कि महाराष्ट्र के आम मराठी मानुष के सबसे बड़े सिपहसालार बाला साहेब ठाकरे की विचारधारा को आगे बढ़ाने वाले उद्धव ठाकरे अब महाराष्ट्र की राजनीति में सीधे तौर पर नये मुक़ाम को हासिल करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हो सरके हैं।
उद्धव ठाकरे के नाम पर शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस की तरफ से मुहर लगा दी गई है।
कांग्रेस-एनसीपी की शिवसेना के साथ बैठकों के दौर के बाद गठबंधन पर फाइनल मुहर लगने के कयास लग रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि गठबंधन सरकार के मुखिया के तौर पर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नाम पर सहमति बन गई है। इसके साथ ही ख़बर ये भी है कि शनिवार को राज्यपाल को समर्थन पत्र सौंपा जाएगा। सूत्रों की मानें तो शिवसेना को सीएम पद के साथ 16 मंत्रालय जबकि कांग्रेस को 12 मंत्रालय पद मिल सकते हैंस इसके अलावा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर पर अभी चर्चा होनी बाकी है।
लेकिन इस सबके बीच सबसा बड़ा सवाल यही है कि शिव सेना और बीजेपी के बीच केंद्र से लेकर राज्य तक में गठबंधन के बावजूद सत्ता के लिए जिस तेज़ी से कड़ुआहट आई है उससे उनको वोटर इतना तो सोच ही रहा होगा कि जिस हिंदुत्व के नाम पर दोनों दल अपना डीएनए एक बताते नहीं थकते थे उनको आख़िर क्या हो गया है।
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