
नई दिल्ली (26 नवबंर 2019)- व्यापम घोटाले में सीबीआई कोर्ट ने तेज़ी के साथ सुनवाई करते हुए दो दिन में 32 लोगों को सज़ा सुना दी है। मंगलवार को ही सीबीआई के स्पेशल जज ने भोपाल में मंगलवार को बीरेंद्र सिंह गुर्जर नाम के शख़्स को सात साल की क़ैद और 7000-रुपये के जुर्माने की सज़ा सुनाई है। जबकि इससे पहले सोमवार को ही 31 लोगों को सजा सुनाई गई थी।
सीबीआई मुख्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक़ व्यारम घोटाले से जुड़े इस मामले में सीबीआई ने 5 अगस्त 2015 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक एफआईआर दर्ज की थी। इस मामले मे भोपाल के जहांगीराबाद पुलिस स्टेशन में पहले ही मामला दर्ज किया गया था। जहां पर मध्य प्रदेश प्रोफेश्नल एग्ज़ामिनेशन बोर्ड यानि एम.पी व्यापम द्वारा आयोजित पुलिस कांस्टेबल भर्ती के लिए होने वाले पुलिस कांस्टेबल एग्ज़ामिनेशन 2013 (II), में भर्ती के नाम नाम पर आरोपी ने शिकायतकर्ता के साथ धोखाधड़ी की थी। सीबीआई ने मामला अपने हाथ में लेने के बाद इसका इंवेस्टिगेशन किया। पूरी तफ्तीश के बाद सीबीआई ने आरोपी बीरेंद्र सिंह गुर्जर के ख़िलाफ 19 दिसंबर 2018 को सप्लीमेंट्री चार्जशीट अदालत के समक्ष पेश की थी। सीबीआई द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक़ इस चार्जशीट के आधार पर ट्रायल ने आरोपी को दोषी मानते हुए 7 साल की कै़द और सात हज़ार रुपये का जुर्माने की सजा सुनाई है।
इससे एक दिन पहले ही यानि सोमवार को सीबीआई के स्पेशल जज ने व्यापम घोटाले में 31 लोगों को सजा सुनाई थी।
सीबीआई मुख्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक़ व्यापम मामले के एक मास्टर माइंड प्रदीप त्यागी को दस साल की सजा सुनाई गई है। जबकि 12 अन्य राजवीर सिंह उर्फ बंटी,अरुण गुर्जर उर्फ टिंकु, मुकेश सिंह गुर्जर,उदयभान सिंह गुर्जर,अजय प्रताप सिंह,भूपेंद्र सिंह तोमर, कल्याण सिंह शिखरबार,श्रीनिवास जाटव,प्रबेंद्र सिंह तोमर उर्फ बंटी, गुलबीर सिंह जट,अतेंद्र सिंह गुर्जर, राहुल पांडे उर्फ राजेश उपाध्याय, आशीष कुमार पांडे, कुल विजय वर्मा, अभिषेक कटियार,सुरेश सक्सैना, नीरज मिश्र. अनिल यादव, अजय शेखर, धर्मेश सिंह, फूर कंवर, अजीत चौधरी, चंद्र प्रकाश कश्यप, सतीश शर्मा,देंवेद्र सिंह. प्रभाकर शर्मा,शिव शंकर हरिजन, दिनेश धाकण और पंजाब सिंह को सात सात साल की सज़ा सुनाई है।
सीबीआई द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक़ व्यापम घोटाले के इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने 23 दिंसबर 2015 को मध्य प्रदेश पुलिस से केस लेकर मामला दर्ज करते हुए जांच शुरु की थी।
सीबीआई ने बताया है कि इस मामले में मध्य पुलिस कांस्टेबल भर्ती के लिए 2013 में एम.पी व्यापम द्वारा आयोजित पऱीक्षा में पास कराने के नाम पर धोखाधड़ी के आरोप सामने आए थे। सीबीआई ने संपूर्ण जांच के बाद अप्रेल 2019 में अदालत के सामने चार्जशीट पेश की थी। अदालत ने आरोपियों को आईपीसी की धारा 120-बी, 419, 420, 467 और सैक्शन 3(डी)(1) व अन्य संबधित धाराओ में दोषी मानते हुए सजा सुनाई है।