
नई दिल्ली (20 नवबंर 2019)- सीबीआई ने संजय मित्तल नाम के एक शख़्स को प्रधानमंत्री कार्यालय के फर्जी लेटर के दम पर एक कंपनी को फायदा उठाने की कोशिश करने के लिए गिरफ्तार किया है। सीबीआई के मुताबिक फर्जी लैटर के दम पर मैसर्स विलायती राम मित्तल नाम की कंपनी को फायदा उठाने की कोशिश की गई है।
प्रधानमंत्री कार्यालय से इसी साल फरवरी माह में सीबीआई को शिकायत भेजी गई थी कि संजय मित्तल नाम के किसी शख़्स ने प्रधानमंत्री कार्यालय पीएमओ के लैटर हैड पर पीएमओ के अंडर सैक्रेट्री के हस्ताक्षर वाले एक पत्र के ज़रिए मुंबई के सीएम के नाम पत्र लिखा था। जिसमें मैं. विलायती राम मित्तल नाम की कंपनी को बांद्रा में किसी भूखंड के मामले में सहयोग के लिए कहा गया था। पत्र में कथितततौर पर यह भी गया था कि वहां के स्थानीय अधिकारी दूसरे आवेदकों को फेवर कर रहे हैं।
लेकिन जब पत्र को संबधित अधिकारियों के समक्ष रखा गया तो साफ हुआ कि पीएमओ के द्वारा ऐसा कोई पत्र लिखा ही नहीं गया। जिसके बाद सीबीआई ने आगे की जांच करते हुए ये गिरफ्तारी की है।
लेकिन इस सबके बीच एक नाम ऐसा भी उभर कर आया है कि जिसके तार जीडीए से भी जुड़ सकते हैं।
दरअसल नया बस अड्डा स्थित नेहरु विकास के निर्माण का कार्य किसी विलायती राम मित्तल को ही दिया गया था। परंतु न तो उसका निर्माण ही पूरा हुआ था न ही उसका कोई कंप्लीशन आज तक जीडीए ने दिया है। साथ ही सरकारी धन को निर्माण के नाम पर खर्च करने और बाद में नेहरु विकास टावर को जहां है, जैसा है, के आधार पर सिर्फ 96 करोड़ में बेचने के बाद जीडीए द्वारा कह दिया गया कि इस मामले से संबधित फाइलें चोरी हो गई हैं।
लेकिन सीबीआई की इस कार्रवाई के बाद एक बार फिर विलायती राम मित्तल चर्चा है में सवाल ये पैदा होता है कि क्या ये कंपनी वही विलायती राम मित्तल तो नहीं जिसको करोडो़ं को काम दिया लेकिन उसका रिकार्ड जीडीए के पास तक नहीं है।