लखनऊ. कोरोनावायरस (कोविड-19) को रोकने के लिए संपूर्ण देश 21 दिनों के लॉकडाउन का पालन कर रहा है। लेकिन दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में तमाम लोग जमात में शामिल हुए। इनमें से कई लोग कोरोनावायरस के संक्रमण का शिकार हुए और वे अपने अपने राज्यों को रवाना हो गए। ये सभी एक तरह से कोरोना कैरियर बने। सोमवार को जब तेलंगाना व श्रीनगर में संक्रमितों की मौत की खबर आई तो पता चला कि वे जमात में शामिल थे। उत्तर प्रदेश में अब तक 1330 जमाती मिले हैं, इनमें 200 विदेशी नागरिक हैं। सभी को क्वारैंटाइन किया गया है। राज्य के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने बताया कि, 429 सैंपल टेस्टिंग के लिए भेजे गए हैं। ये वो लोग हैं, जो दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में आयोजित तबलीगी जमात में शामिल थे। आइए जानते हैं तबलीगी जमात क्या है?
हरियाणा के मेवात क्षेत्र में हुई थी शुरूआत
इन दिनों तबलीगी, जमात व मरकज, ये तीन शब्द बहुत प्रचलित हैं। तबलीगी का अर्थ है, अल्लाह के संदेशों का प्रचार करने वाला। जमात समूह को कहते हैं और जहां बैठक होती है उस स्थान को मरकज कहा जाता है। तब्लीगी जमात की शुरुआत साल 1927 में हरियाणा के मेवात क्षेत्र में मुहम्मद इलियास अल-कांधलवी ने की थी। तब्लीगी जमात मुस्लिम धर्म का प्रचार-प्रसार करने के लिए काम करता है। यह उन मुसलमानों को अपना लक्ष्य बनाता है, जिन्होंने उदार जीवनशैली को अपनाया है।
अकेले दक्षिण एशिया में 300 मिलियन सदस्य
लखनऊ में रहने वाले तब्लीगी जमात के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर कहा- मौजूदा परिदृश्य में तमाम मुस्लिम युवाओं में भय है। हम उन युवाओं को इस्लाम के बारें में बताते हैं। उनसे कहते हैं कि, वे इस बेचैनी को दूर करें। बताया कि, पिछले पांच सालों में यह आंदोलन तेजी से फैला है। अकेले दक्षिण एशिया में इसके 300 मिलियन से अधिक सदस्य हैं। दिल्ली में हुई जमात असल में इज्तेमा था। इज्तेमा में उन्हीं महिलाओं को रहने की छूट होती है, जिन्हें आमंत्रित किया गया है।
हमारे लिए धर्म पहले, परिवार बाद में
एक सदस्य ने कहा- तबलीगी जमात से जुड़े लोगों को नियमित रुप से विभिन्न राज्यों व क्षेत्रों में भेजा जाता है। जहां वे युवाओं को मुस्लिम धर्म के बारें में शिक्षित करते हैं। तबलीगियों की जीवनशैली मितव्ययी है। हम बसों या ट्रेनों से यात्रा करते हैं। स्थानीय मस्जिदों में महीनों तक रुकते हैं और हमें मानने वाले लोग जो देते हैं, उसे खा लेते हैं। हम अपनी विचारधारा फैलाते हुए फिर आगे बढ़ते हैं। हमारे लिए, हमारा परिवार मायने नहीं रखता है। इस्लाम धर्म का प्रचार व प्रसार करना हमारा प्राथमिक कर्तव्य है।
हर शहर व गांव में लोग मौजूद
तब्लीगी जमात ने उत्तर प्रदेश में विशेषकर अयोध्या आंदोलन के बाद अपनी जड़े जमा ली हैं। हालांकि, इसकी कोई राजनीतिक संबद्धता नहीं है। तबलिगी लगभग हर शहर और गांव में हैं। जहां मुस्लिम आबादी भी कम है, वहां भी इससे जुड़े लोग मौजूद हैं। एक खुफिया अधिकारी के अनुसार, तब्लीगी नेटवर्क पिछले कुछ वर्षों में इतना मजबूत हो गया है कि संगठन के खिलाफ कार्रवाई एक समस्या साबित हो सकती है। यूपी में ऐसी कोई मस्जिद नहीं है, जिसमें तब्लीगी सदस्य न हों।
जमात का प्रमुख मौलाना साद मुजफ्फरनगर का
मूलत: मुजफ्फरनगर जिले का रहने वाला 55 वर्षीय मौलाना मुहम्मद साद कांधलवी तब्लीगी जमात का प्रमुख है। वह तब्लीगी जमात के संस्थापक मुहम्मद इलियास कांधलवी के बड़े पोते हैं। दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन बस्ती में रहने वाले साद के तीन बेटे और बेटियां हैं। कुरआन की आयतों की विवादास्पद व्याख्या करने के कारण दारुल उलूम देवबंद ने मौलाना साद के खिलाफ फतवा जारी किया था। सुन्नी संप्रदाय के कुछ प्रमुख मौलाना भी मौलाना साद के भड़काऊ बयानों से नाखुश दिख रहे हैं।