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सुप्रीम कोर्ट ने कल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकालने की इजाजत दी; पुरी में रात 9 बजे से बुधवार दोपहर 2 बजे तक लॉकडाउन



जगन्नाथ पुरी में कल रथयात्रा निकलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने यात्रा की इजाजत दे दी है, श्रद्धालु शामिल नहीं हो पाएंगे।कोर्ट ने कहा है कि मंदिर कमेटी, राज्य सरकार और केंद्र सरकार के को-ऑर्डिनेशन में यात्रा निकालें, लेकिन लोगों की सेहत से समझौता नहीं होना चाहिए। अगर हालात बेकाबू होते दिखें तो ओडिशा सरकार यात्रा को रोक सकती है। साथ ही कहा कि पुरी के अलावा ओडिशा में कहीं और यात्रा नहीं निकाली जाएगी।

सुबह 9 बजे शुरू होगी रथ यात्रा, भगवान खिचड़ी खाकर निकलेंगे

  • सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही पुरी में जय जगन्नाथ के नारे गूंजने लगे। भीड़ जमा न हो इसलिए शहर में शाम 4 बजे से धारा 144 लागू कर दी गई। शाम होते ही नंदीघोष, तालध्वज और दर्पदलन रथ को मंदिर के सिंह द्वार तक पहुंचाने की तैयारी शुरू हो गई। नंदीघोष भगवान जगन्नाथ का रथ है। तलध्वज पर बलराम विराजेंगे और दर्पदलन पर सुभद्रा।
  • तीनों रथों को खींचने के लिए शंखचूड़ा नागिन, वासुकी नाग और स्वर्णचूड़ा नागिन लाई गईं। यह नारियल से बनी रस्सियों के नाम हैं।
  • मंगलवार को रथयात्रा की शुरुआत सुबह 9 बजे से होगी। भगवान जगन्नाथ खिचड़ी खाकर निकलेंगे। पुरी महाराज दिव्य सिंह देव छेरा पोरा यानी रथ की सफाई रात एक बजे शुरू करेंगे।
  • मंदिर के सेवादार राजेंद्र मुदाली ने बताया महाप्रभु की मौसी के घर यानी गुंडिचा मंदिर जाने की यात्रा दोपहर दो से ढाई बजे शुरू होगी। मंदिर की दूरी साढ़े तीन किलोमीटर है। जहां सूर्यास्त होगा, यात्रा वहीं रुक जाएगी। रथ खींचने वाले सेवादारों का कोरोना टेस्ट हो चुका है। सभी निगेटिव हैं।
यह फोटो 1960 में हुई जगन्नाथ पुरी की रथयात्रा की है। साभारः इंडियन हिस्ट्री पिक्स

सीएम पटनायक बोले- दुनिया हमें देख रही है, हमें नजीर पेश करनी चाहिए

मुख्यमंत्री नवीन पटनायक यात्रा की तैयारियों को लेकर मीटिंग की। ओडिशा सरकार ने पुरी में आज रात 9 बजे से बुधवार दोपहर दो बजे तक कम्पलीट लॉकडाउन लगाने का फैसला किया है। सीएम पटनायक ने कहा कि यात्रा के दौरान हम लोग बेहद सावधानी बरतेंगे। उम्मीद करता हूं कि जो लोग यात्रा में शामिल होंगे, वे कोविड के लिए बनाए गए नियमों का पालन करेंगे।

उन्होंने कहा- दुनिया हमारी तरफ देख रही है। हमें अनुशासन बनाए रखना है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर हमें दुनिया के सामने नजीर पेश करनी चाहिए।

केंद्र ने कहा था-इस साल यात्रा नहीं निकली तो फिर 12 साल नहीं निकलेगी
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून को यात्रा पर रोक के आदेश दिए थे।इस पर केंद्र सरकार ने रिव्यू पिटीशन दायर कर कहा थाकि श्रद्धालुओं को शामिल किए बिना यात्रा निकाली जा सकती है। सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि रथयात्रा करोड़ों लोगों की आस्था का मामला है। भगवान जगन्नाथ कल बाहर नहीं आ पाए तो फिर 12 साल तक नहीं निकल पाएंगे, क्योंकि रथयात्रा की यही परंपरा है।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि एक दिन का कर्फ्यू लगाकर यात्रा निकाली जा सकती है। ओडिशा सरकार ने भी इसका समर्थन किया थाकि कुछ शर्तों के साथ आयोजन हो सकताहै। इस मामले में सरकार की याचिका से पहले भी 6 रिव्यू पिटीशन लग चुकी थीं।

परंपरा तोड़ना ठीक नहीं: पुरी पीठ के शंकराचार्य
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि इस मामले में दोबारा विचार करें। उन्होंने पुरी मठ से जारी बयान में कहा- ‘किसी की यह भावना हो सकती है कि अगर इस संकट में रथयात्रा की परमिशन दी जाए तो भगवान जगन्नाथ कभी माफ नहीं करेंगे, लेकिन सदियोंपुरानी परंपरा तोड़ी तो क्या भगवान माफ कर देंगे।’

कोर्ट ने कहा था- लोगों की हिफाजत के लिए यात्रा नहीं होनी चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून को रथयात्रा पर रोक के फैसले में कहा था कि कोरोना महामारी के समय यात्रा की परमिशन दी तो भगवान जगन्नाथ हमें कभी माफ नहीं करेंगे। कोर्ट ने कहा था कि जब महामारी फैली हो, तो ऐसी यात्रा की इजाजत नहीं दी जा सकती, जिसमें भारी भीड़ आती हो। लोगों की सेहत और उनकी हिफाजत के लिए इस साल यात्रा नहीं होनी चाहिए। चीफ जस्टिस की बेंच ने ओडिशा सरकार से कहा कि इस साल राज्य में कहीं भी रथ यात्रा से जुड़े जुलूस या कार्यक्रमों की इजाजत न दी जाए।

पिछली बार मुगलों ने यात्रा रोकी थी
पिछली बार मुगलों के दौर में 285 साल पहले यह यात्रा रोकी गई थी। इस बार रथयात्रा पर असमंजस कोरोना महामारी की वजह से बना। इसके चलते ही मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।

भगवान जगन्नाथ 7 दिन मौसी के घर रुकते हैं
जगन्नाथ रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से शुरू होती है। यह मुख्य मंदिर से शुरू होकर 2.5 किलोमीटर दूर स्थित गुंडिचा मंदिर में जाती है। यह भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है। जहां भगवान 7 दिन तक आराम करते हैं और आषाढ़ शुक्ल दशमी को रथयात्रा फिर जगन्नाथ के मुख्य मंदिर पहुंचती है। यह बहुड़ा यात्रा कहलाती है। स्कंदपुराण में लिखा है कि आषाढ़ मास में पुरी तीर्थ में स्नान करने से सभी तीर्थों के दर्शन का फल मिलता है और भक्तों को शिवलोक की प्राप्ति होती है।

रथयात्रा से 15 दिन पहले ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भगवान को स्नान कराया जाता है। इसके बाद भगवान जगन्नाथ बीमार होते हैं। इस वजह से उन्हें 15 दिन तक एकांतवास में रखा जाता है। इस दौरान कुछ पुजारी ही उनके पास होते हैं। उन्हें औषधियों और हल्के आहार का ही भोग लगाया जाता है। रथयात्रा से एक दिन पहले ही भगवान का एकांतवास खत्म होता है।

गृहमंत्री अमित शाह ने बधाई दी
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आज का दिन हम सभी के लिए विशेष दिन है। रथयात्रा निकालने की इजाजत देने पर पूरा देश सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश है। पीएम मोदी ने भक्तों की भावनाओं को समझा। उन्होंने कहा, “कल शाम मैनें पुरी के राजा गजपति महाराज जी और शंकराचार्य जी से बात की और यात्रा को लेकर उनके विचार जानें। आज सुबह मैनें सॉलिसिटर जनरल से भी बात की। मामले की महत्व को देखते हुए हमने इसे सुप्रीम कोर्ट की अवकाश पीठ के सामने रखा और आज दोपहर को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया।”

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फोटो कल निकाली जाने वाली यात्रा के रथों की है। कोरोना की वजह से इस बार यात्रा में श्रद्धालु शामिल नहीं हो पाएंगे।

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Originally published on www.bhaskar.com

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