सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि राज्यों में कोरोना टेस्ट की फीस अलग-अलग है, केंद्र इस पर फैसला करे। कोर्ट ने कहा कि यह फीस सभी राज्यों में एक जैसी होनी चाहिए। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने कहा कि सभी राज्यों में एक एक्सपर्ट पैनल का गठन किया जाए, जो अस्पतालों का दौरा करे और कोरोना मरीजों की देखभाल सुनिश्चित करे।
कोर्ट चाहती है कि कोरोना टेस्ट की दरों पर सरकार ही फैसला करे। हालांकि, वह बाद में इस मामले में फैसला सुना सकती है। इसके अलावा कोर्ट अस्पतालों में सीसीटीवी लगाए जाने का फैसला भी दे सकती है ताकि मरीजों की मॉनिटरिंग हो सके।
दिल्ली में फीस घटाई गई, यूपी-हरियाणा सरकारें ले सकती हैं फैसला
केंद्र के निर्देश पर दिल्ली में कोरोना की जांच फीस 2400 रुपए तय की गई है। एक कमेटी ने केंद्र को यह रिकमंडेशन भेजी थी, जिसे केंद्र ने मंजूरी दी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संक्रमण से निपटने की तैयारियों की रिव्यू मीटिंग में गुरुवार को कहा था कि हाईलेवल कमेटी ने दिल्ली में कोरोना टेस्ट की जांच फीस घटाई है। अगर यूपी और हरियाणा में फीस 2400 रु. से ज्यादा है तो राज्य सरकारें सहमति से इसे कम कर सकती हैं।
मजदूरों को घर पहुंचाने का इंतजाम करें राज्य और केंद्र: कोर्ट
सु्प्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को प्रवासी मजदूरों से जुड़े मामले को भीखुद नोटिस में लिया। कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकारों को निर्देश दिया कि वह कोर्ट के 9 जून के आदेश का पालन करें। कोर्ट की ओर से तय समय के मुताबिक, सभी मजदूरों को घर भेजने का इंतजाम किया जाए। जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि कोर्ट का पिछला आदेश काफी स्पष्ट था। इसमें कहा गया था कि मजदूरों को 15 दिन के अंदर उनके घर पहुंचाया जाए।
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