सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के मरीजों के इलाज में लापरवाही और लाशों के साथ हो रहे सलूक के मामले में शुक्रवार को सख्त बातें कहीं। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा- ‘अगर लाशें कचरे के ढेर में मिल रही हैं तो इंसानों के साथ जानवरों से भी बदतर सलूक किया जा रहा है।’ इस मामले पर अब अगले बुधवार यानी 17 जून को सुनवाई होगी।
मरीजों, शवों से लेकर कोरोना से निपटने के तरीकों तक सुप्रीम कोर्ट की 7 सख्त बातें…
1. लाशों के साथ ऐसा सलूक?
जस्टिस एमआर शाह ने कहा- लाशें किस तरह से रखी जा रही हैं? ये क्या हो रहा है? अगर लाशों के साथ ऐसा सलूक हो रहा है, अगर लाशें कचरे के ढेर में मिल रही हैं तो यह इंसानों के साथ जानवरों से भी बदतर सलूक है।
2. दिल्ली में हालात डरा देने वाले हैं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- केंद्र की गाइडलाइंस को नहीं अपनाया जा रहा। दिल्ली में तो डरा देने वाली स्थिति है। हालात ऐसे हैं कि तरस आता है। देश की राजधानी में जिस तरीके से कोरोना से निपटा जा रहा है, उसमें दिक्कतें हैं।
3. मरीज की मौत के बाद परिवार को नहीं बताया जा रहा
बेंच ने कहा- दिल्ली के अस्पतालों में शवों पर ठीक से ध्यान नहीं दिया जा रहा। यहां तक कि मरीज की मौत के बारे में परिवार के लोगों को भी नहीं बताया जा रहा। कुछ मामलों में तो परिवार के लोगों को अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं होने दिया जा रहा।
4. दिल्ली में कम टेस्ट क्यों?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- दिल्ली में चेन्नई और मुंबई के मुकाबले कम टेस्ट हो रहे हैं। मई के मुकाबले में टेस्टिंग कम हुई है। जब कोरोना के मरीज बढ़ रहे हैं, तब टेस्टिंग कम हो रही है। दिल्ली में आखिर इतने कम टेस्ट क्यों हो रहे हैं?
5. टेस्टिंग राज्य की जिम्मेदारी
बेंच ने कहा- तकनीकी वजहों से किसी को भी आप टेस्टिंग से दूर नहीं रख सकते। आप तौर-तरीकों को आसान बनाइए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग कोरोना का टेस्ट करा सकें। टेस्टिंग कराना राज्य की जिम्मेदारी है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग अपना हेल्थ स्टेटस जान सकें।
6. केंद्र सरकार ने क्या किया?
जब केंद्र की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली में एक मामला ऐसा भी सामने आया, जब लाशों को कोरोना का इलाज करा रहे मरीजों के पास ही रख दिया गया। इस पर जस्टिस एमआर शाह ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि तो फिर आपने क्या किया?
7. लोग दर-दर भटक रहे हैं
बेंच ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स बता रही हैं कि सरकारी अस्पतालों में बेड खाली हैं, जबकि कोराेना के मरीज अस्पतालों में भर्ती होने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं।
कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से रिपोर्टमांगी
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के चीफ सेक्रेटरीज से कहा है कि वे पेशेंट मैनेजमेंट सिस्टम का जायजा लें और इस पर एक रिपोर्ट सौंपें। बेंच ने दिल्ली के एलएनजेपी हॉस्पिटल को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को खुद नोटिस में लिया था
दरअसल, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार की लिखी एक चिट्ठी पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को खुद नोटिस में लिया था। शुक्रवार को जब इस पर सुनवाई हुई तो सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, महाराष्ट्र, बंगाल और तमिलनाडु को नोटिस जारी किया।
पूर्व मंत्री ने कहा था- लोगों को हक है कि उनके परिवार के लोगों का इज्जत के साथ अंतिम संस्कार हो
पूर्व कानून मंत्री और वकील अश्विनी कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे को चिट्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने कहा था कि देश के लोगों को इस बात का हक है कि वे अपने परिवार के लोगों का इज्जत के साथ अंतिम संस्कार कर सकें। इस चिट्ठी के बाद चीफ जस्टिस ने यह केस जस्टिस अशोक भूषण की बेंच को भेज दिया था। इस बेंच में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 4 और मामलों पर सुनवाई की
1. लॉकडाउन में पूरी सैलरी पर सुनवाई: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कंपनियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होगी, इंडस्ट्री और वर्कर्स को एक-दूसरे की जरूरत होती है, वे आपस में विवाद सुलझाएं
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें