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रेपिड रेल परियोजना का नया रिकॉर्ड

सटीक एलाइनमेंट के लिए देश मे पहली बार सीओआरएस तकनीक का उपयोग
गाजियाबाद (18 अप्रैल 2021)- देश की पहली रैपिड रेल परियोजना दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के निर्माण मे सटीक सिविल स्ट्रक्चर एलाइनमेंट को सुनिश्चित करने के लिए “कन्टिन्यूसली ऑपरेटिंग रिफरेन्स स्टेशन (सीओआरएस)” प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा है। इस तरह के प्रोजेक्ट में उच्च सटीकता सर्वेक्षण की जरूरत होती है ताकि डिज़ाइन किए हुए ट्रैक एलाइनमेंट प्राप्त किया जा सके। वायडक्ट्स व सुरंगों में 180 किमी प्रति घंटे की डिज़ाइन गति को देखते हुए, आरआरटीएस संरचनाओं और ट्रैक के निर्माण में गलती की कोई गुंजाइश नहीं होती है।
एनसीआर टीसी के प्रवक्ता पुनीत वत्स ने बताया कि यह एक ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) आधारित तकनीक है जो मुख्य रूप से सर्वेक्षण, मैपिंग और संबंधित विषयों में उपयोग में लायी जाती है। इस तकनीक से सिविल निर्माण में पूर्व निर्धारित कॉरिडॉर की मार्गरेखा बनाने में पूर्ण सटीकता शुनिश्चित की जाती है ।
उन्होंने बताया कि दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ एक 82 किमी लंबा कॉरिडोर है जो नदी, रेलवे लाइनों, सड़कों और फ्लाईओवर के ऊपर से जा रहा है और इसलिए सिविल स्ट्रक्चर एलाइनमेंट में सटीकता बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। इस लिए एनसीआरटीसी ने सर्वथा एक नई सर्वेक्षण तकनीक, सीआरओएस को अपनाया है ।जो देश में पहली बार उपयोग में लायी जा रही है। इससे अलाइनमेंट में त्रुटि होने की गुंजाइश नही रहती। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट मे, 180 किमी प्रति घंटे की गति को सपोर्ट करने में सक्षम बलास्टलेस ट्रैक को भी 5 मिमी से भी कम के सटीकता स्तर पर रखा जा रहा है।
पुनीत ने बताया कि सीआरओएस ‘रेफरेंस स्टेशनों’ का एक नेटवर्क है जो दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ कॉरिडोर के साथ साथ हर 10-15 किलोमीटर पर स्थापित किया गया है, ये सीआरओएस ‘रेफरेंस स्टेशन’ कंट्रोल सेंटर से जुड़े होते हैं, और रोवर्स के आधार पर वास्तविक अलाइनमेंट प्राप्त करने के लिए जरूरी करेक्शन प्रदान करते हैं। यह करेक्शन कम से कम तीन से पाँच संदर्भ स्टेशनों द्वारा प्रदान किया जाता है जिससे 10 मिमी तक की सटीकता प्राप्त होती है।

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