यूं तो हर दिन हर पल राजनीति होती है…लेकिन कल का दिन खास रहा….वैसे भी हाल ही में पांच राज्यों के चुनाव के दौरान कोरोना के बावजूद दवाई, आक्सीजन और अस्पताल के बजाए दीदी ओं दीं जैसे नारे सुनने को मिले थे…और एक बार फिर अगले साल होने वाले कुछ राज्यों के चुनावों ने शमशान की कमी, नदियों मे तैरती लाशों, राम मंदिर निर्माण के चंदे में कथित घोटाले की तमाम मीडिया मे चर्चा के बजाए एक बार फिर कुछ चुनावजीवी दलों और नेताओं को एलैक्शन मौड में लाकर खड़ा कर दिया है। तो हम बात कर रहे थे कल के दिन की यानि 22 जून 2021 यानि मंगलवार की, जिस दिन दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र की दो सबसे बड़ी पार्टियों कांग्रेस और बीजेपी ने प्रेस कांफ्रेस की और देश के मुद्दों को उठाने का दावा किया। पहली प्रेस कांफ्रेस कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने की जिसमें उन्होने एक व्हाइट पेपर जारी करते हुए सरकार की कोरोना की तैयारियों और उनमें खामियों के अलावा परसों कोरोना वैक्सीवेशन प्रोग्राम की तारीफ तो की लेकिन ये भी कहा कि कल के दिन काम तो अच्छा हुआ है लेकिन ये कोई एक दिन का काम नहीं बल्कि इसको जारी रखना होगा। जिसके जवाब में फौरन ही बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने यह कहते हुए प्रेस कांफ्रेस की शुरुआत कर डाली कि उनको पहले ही आशंका थी, कि उनके वैक्सीनेशन पर सवाल उठाए जाएंगे। तो क्या इसको जनता चोर की दाढ़ी में तिनका की मिसाल के तौर पर तो नहीं देख सकती। खैर ये जनता जाने और अपने काम पर भरोसा करने वाले लोग। तो संबित पात्रा जी ने आंशका के साथ कहा कि जब भी कोई अच्छा काम होता है कांग्रेस सवाल उठाती है। लेकिन संबित जी राहुल गांधी ने तारीफ भी की और इसी अच्छे काम को आगे जारी रखने को भी कहा। अगर राहुल गांधी 21 जून को लगभग 87 लाख लोगों को वैक्सीन दिये जाने को अच्छा न कहते तो उसको लगातार जारी रखने को शायद न कहते। आइए सुनते हैं राहुल गांधी ने क्या कहा।
संबित जी चलिए मान लेते हैं कि राहुल गांधी आपके काम से ईर्ष्या रखते हैं लेकिन आप एक दिन में 87 लाख लोगों के वैक्सीवेशन का बखान करने और उसका महिमामंडन करने से नहीं थक रहे, लेकिन राहुल गांधी और कांग्रेस के इस दावे की सच्चाई को भी देश से सामने लाइए कि इसी भारत देश में इससे पहले 2012 में एक ही दिन में कई करोड़ लोगों को वैक्सीनेशन किया जा चुका है। दरअसल कांग्रेस की शिकायत है कि बीजेपी हमेशा यही जताने की कोशिश करती है कि भारत में जो कुछ हो रहा है या हो हो सकता है वह सिर्फ मोदी शासन के दौरान ही हुआ है, और उसके लिए किसी को पोस्टर बॉय बनाना बीजेपी की मानों आदत है।
संबित पात्रा ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में बाकायाद बीजेपी शासित राज्यों और कांग्रेस शासित राज्यों के नाम पर देश को बांटने की कोशिश की जबकि राहुल गांधी का मानना है कि कोरोना से लड़ने के लिए हमकों बाटंने की नहीं बल्कि साथ लेकर चलने की ज़रूरत है और हमको बीजेपी शासित और कांग्रेस शासित राज्यों के खेल से बचना चाहिए।
चलिए आज हम आरोप प्रत्यारोप या राजनीति में नहीं जाना चाहते, लेकिन आज के यानि 23 जून को मीडिया मे प्रकाशित होने वाली कुछ खबरों की चर्चा कर लेते हैं। ये है देश के जाने माने मीडिया हाउस इंडिया टुडे यानि आज तक की एक रिपोर्ट जिसकी हैडिग में ही सवाल उठाया गया है कि… क्या क्या MP में महारिकॉर्ड के चक्कर में वैक्सीनेशन के 4 दिन का डेटा रोका गया?…हम अपने दर्शकों से अपील करेंगे कि इस खबर को सीधे आज तक की वैबसाइट पर जाकर देख सकते हैं, वैसे हमको लगता है कि इस खबरो को विस्तार से पढ़ने के बाद शायद संबित पात्रा को कहीं मुंह छिपाने की भी जगह न मिल रही हो। आज तक की टीम की गहन पड़ताल के बाद तैयार की गई इस खबर के पहले ही पैरा में लिखा गया है कि 21 जून यानि पर्यावरण दिवस के मौके पर यह दिखाने की कोशिश की गई है मध्य प्रदेश में जो हमने कर दिया वो अब तक कोई नहीं कर पा रहा था, और कई देशों की आबादी से ज्यादा लोगों को एक ही दिन में 16 लाख 95 हजार लोगों को टीका लगा दिया गया। खबर में भूटान, मारिशस और कतर की आबादी का जिक्र करते हुए सवाल खड़ा किया है कि आखिर सोमवार को ऐसा क्या हो गया था जो एक ही दिन में यह चमत्कार हो गया। आज तक ने बाकायदा पड़तालकरके बताया कि 21 जून यानि जिस जिन मध्य प्रदेश में 16 लाख 95 हजार लोगों ने वैक्सीन लिया उससे ठीक एक दिन पहले यानि 20 जून को 692 लोगों को वैक्सीन लगी. जबकि उससे एक दिन पहले यानि 19 जून को 22006 लोगों को वैक्सीन लगी, इतना ही नहीं मीडिया रिपोर्ट्स में उजगार हो गया कि उससे एक दिन पहले यानि 18 जून को मध्य प्रदेश में महज़ 18862 लोगों को वैक्सीन दी गई और तो और उससे एक दिन पहले यानि 17 जून को 124226 लोगों को वैक्सीन दी गई। आज तक ने अपनी रिपोर्ट में सवाल उठाया है कि क्या 17 जून से 20 जून के बीच लोगों को वैक्सीन रोक कर दी गई और 21 जून को महाअभियान के तहत रिकार्ड बनाया गया है। हांलाकि इस बारे में मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने आज तक को अपने तर्क से संतुष्ट करने की कोशिश की लेकिन आज तक की रिपोर्ट के अंत मे जो बात कही गई है वो भी बेहद गंभीर है, आज तक ने लिखा है कि विवाद का इंफेक्शन नहीं बल्कि वैक्सीन का इंजैक्शन चाहिए।
चलिए हो सकता है कि कुछ लोग ये कहें कि ये तो एक मीडिया हाउस की रिपोर्ट है, अब हम आपको बताते हैं देश के जाने में अखबार अमर उजाला की रिपोर्ट के बारे में .. अमर उजाला की हैडिंग आप देख सकते हैं, जिसमें उसने साफ तौर पर 21 जून को 86 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन दिये जाने के अगले दिन का ज़िक्र करते हुए बताया है कि भारी गिरावट के साथ केवल 54 लाख लोगों को वैक्सीन दी गई…साथ ही अमर उजाला ने भी अपनी रिपोर्ट में कई राज्यों की पड़ताल की तो कई चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई। मध्य प्रदेश में भले ही 21 जून को 16 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन दिया गया हो लेकिन अगले ही दिन ये तादाद केवल 68370 रह गई..यानि 21 जून से पहले और बाद में भी मध्य प्रदेश में वैक्सीन की तादाद कम थी लेकिन खास उसी दिन दिन रिकार्ड बनना था ये तादाद बहुत थी। इसके अलाना अमर उजाला ने हरियाणा में 75 फीसदी यानि 21 जून को लगभग 5 लाख के मुकाबले में अगले दिन लगभग सवा लाख लोगों के वैक्सीन दिये जाने की बात कही। इसी तरह की एक और खबर में आज तक ने फिर से रिपोर्ट तैयार की है। आज तक की वैबसाइट पर जाकर कोई भी देख सकता है कि रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि जिस मध्य प्रदेश में 21 जून को 16 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन दी गई उसी मध्य प्रदेश में अगले ही दिन में केवल 4842 टीके लगाए गये। रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे सवाल उठता है कि क्या एक दिन में टीकाकरण रिकार्ड बनाना वैक्सीन मैनेजमेंट था। हांलाकि इस पर बीजेपी के अलग तर्क हैं लेकिन सवाल ये है कि संबित पात्रा ने राहुल गांधी की प्रेस कांफ्रेस के बाद उन पर बेहद आपत्तिजनक और अलोकतांत्रिक अंदाज़ में आरोप लगाए तो क्या उन्हेोने इस कथित मैनेंजमेंट की सच्चाई की जानकारी नहीं ली थी।
किसी भी लोकतंत्र में विपक्ष का अधिकार ही नहीं बल्कि ज़िम्मेदारी होती है कि जनहित में सरकार के कामकाज पर नज़र भी रखे। कोरोना की आमद के समय जब पूरी दुनियां एहतियाती कदम उठा रही थी, उसी समय की मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि हमने उस समय विदेशों से आने वाली फ्लाइट और लोगों पर न तो नज़र रखी और न ही उनको आइसोलेट किया। कहीं नमस्ते ट्रंप और कही ताली और थाली बजाई गई तो कही दीये जलाए गये र तो और दावा किया गया कि हमने कोरोना को हरा दिया है और पूरी दुनियां को हमने वैक्सीन दी है, और दुनियां हमारी तरफ देख रही है। लेकिन पहली लहर अपना काम कर गई। दूसरी लहर को लेकर वैज्ञानिकों ने चेताया पूरी दुनियां चौकस रही, लेकिन हम दीदीं औं दीदी करते रहे, आक्सीजन तक एक्सपोर्ट करने की खबरे आईं। नतीजा इतना भयावह और दर्दनाक हुआ कि लोगों को शमशान तक में अपनों की अंत्येष्टि न कर पाने की खबरें आई, नदियों में तैरती लाशों की खबरों ने दुनियां भर में देश को शर्मिंदा कर दिया। अब जबकि तीसरी लहर की चेतवनी दी जा रही है तो राहुल गांधी यही चेताने की कोशिश कर रहे थे कि समय रहते तैयारी कर ली जाए। लेकिन इसको भी पचा पाना शायद संबित पात्रा जैसे नेताओं के बस में नहीं था। हांलाकि राहुल गांधी ने कहा कि मैनें अपनी ओर से कुछ नहीं कहा बल्कि जो कुछ वैज्ञानिकों और जानकारों ने कहा वही मैने दोहराया है। तो क्या दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र की सियासत इतनी दूषित हो जाएगी कि जनता के दर्द को समय से इलाज करने के बजाए नुकसान होने के बाद आंसु बहाकर सहानुभूति का खेल रचा जाएगा। हांलाकि राहुल गांधी ने साफ कर दिया है कि जिने अपनो को खोया है उसके लिए किसी के आंसु कोई मायने नहीं रखते।
शायद राहुल का सबसे घाटक हथियार था जो संबित पात्रा तिलमिलाने पर मजबूर कर गया। #corona_management #rahul_gandhi_on_covid_management #rahul_gandhi #rahulgandhi #azadkhalid #azad_khalid #congress