आज मैं बतौर एक मुस्लिम पत्रकार अपने समाज से देश से मुख़ातिब होना चाहता हूं। दरअसल मेरे एक पत्रकार साथी का फोन आया उन्होने जो कहा, उसके बाद मुझे लगा कि जब हमारे नबी (स.) ने इख़लाक़, व्यवहार और एक दूसरे के सम्मान की शिक्षा उम्मत की दी है, तो हमारा फर्ज़ है कि हम उसका पालन करें। अपने बड़े बड़े विरोधी चाहे कोई महिला आप (स.) पर कूड़ा ही क्यों न डालती हो लेकिन कभी उस मुबारक ज़ुबान से किसी के लिए बुरा नहीं निकला। तो भला हमको किसी को गाली देने का कैसे अधिकार मिल गया।
दरअसल मेरे पत्रकार दोस्त का कहना था कि मीडिया के कुछ लोग भले ही मुस्लिम समाज को लेकर कई बार बायस्ड नज़र आता हो, क्योंकि जिस तरह से दिल्ली हिंसा का मामला हो, जहां कपिल मिश्रा के रोल के बजाय शरजील और ताहिर की जांच हो रही है। जैसे कोरोना को लेकर अब मामला जिहाद तक पहुंचाया जा रहा हो।
लेकिन इसी मीडिया में जो लोग अपना सब कुछ दांव पर लगा कर समाज के ख़ास तौर से मुस्लिम समाज के लिए काम कर रहें उनका तो अपमान नहीं होना चाहिए।
हांलाकि मैं उनसे ये कह कर पल्ला झाड़ सकता था कि मैं न तो कोई नेता हूं, जो लोग मेरी बात मानेंगे और न ही मेरी पहुंच सभी तक है। लेकिन मुझको लगा कि जितनी मेरी बिसात है मुझे अपने साथ और उन पत्रकारों के सम्मान में आपसे अपनी बात रखनी ही चाहिए। मानना या व मानना आपकी मर्जी पर है। बस यही सोच कर कि जब श्री विनोद दुआ जी, श्री अजीत अजुम जी, श्री प्रणय रॉय जी, मैडम नलिनी जी, श्री रविश कुमार जी, श्री पुन्य प्रसून बाजपेयी जी, भाई अभिसार शर्मा जी, बहन आरफा ख़ानम शेरवावी जी, श्री संदीप चौधरी जी जैसे और भी कई पत्रकार मौजूद हैं, जिनको पत्रकारिता का गौरव कहा जा सकता है, तब तक हमको या किसी को भी, मीडिया को बुरा या कुछ भी कहने या किसी भी प्रकार की अभद्र भाषा बोलने का अधिकार नहीं है। साथ ही सरकार द्वारा दिये गये लाइंसेस के द्वारा संचालित किसी भी कॉर्पोरेट हाउस के द्वारा यदि किसी पत्रकार को गलत काम से इस्तेमाल किया जा रहा है, तो जनता को चाहिए कि सबूतों के आधार पर सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय से सीधे शिकायत करें, एन.बी.ए या प्रेस कॉंसिल ऑफ इंडिया या अदालत या प्रोपर फोरम में शिकायत रखें, लेकिन सोशल मीडिया या सार्वजिनक तौर पर किसी के भी खिलाफ अभद्रता से परहेज़ करें।
हालांकि सच्चाई ये भी है कि भले ही मीडिया के कुछ लोग अपनी दायित्वों का निर्वाह न कर रहे हों, और उनकी कार्यशैली से लोगों में नाराज़गी हो। लेकिन पूरा मुस्लिम समाज मीडिया को अभद्रता दिखाता है, मैं निजी तौर पर ये भी मानने को तैयार नहीं हूं। अपने पत्रकार साथी को मैनें यह तर्क दिया भी कि आप पूरे समाज को जर्नलाइज़ नहीं कर सकते। बहरहाल आपसे गुज़ारिश है कि मेरे संदेश के भाव को समझने की कोशिश करें।
देश के करोड़ों मुस्लिम भाइयों से मेरी बेहद विनम्र अपील है, कि आप अपने अधिकारों और जिम्मेदारी की बारीक लक्ष्मण रेखा को समझते हुए देश व समाजहित में सोचें। आज अपनी इस वीडियो के माध्यम से आपसे रिक्वेस्ट है, ,साथ ही मेरी कोई बात गलत हो तो कृपया माफी के साथ कमेंट करके अवगत कराएं।
धन्यवाद
आपका
आज़ाद ख़ालिद
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