इन दिनों सोशन मीडिया पर एक ख़बर तेज़ी से फैल रही है। हांलाकि न तो इसकी पुष्टि की जा रही है न ही इसका खंडन ही किया जा रहा है। लेकिन इस घटना की सच्चाई और आगे की कार्रवाई से अलग इस तरह की घटनाओं पर चर्चा भी शायद ज़रूरी है।
सोशल मीडिया पर एक नौजवान के कुछ फोटोज़ के साथ एक ख़बर वायरल हो रही है कि वहां पर कोई शख़्स सरेआम क़ुरान-पाक की बेहुरमती यानि उसका अपमान कर रहा था। सरेआम क़ुरान-पाक में आग लगाने वाले का मक़सद किया था। फिलहाल इसकी कोई पुष्टि तो नहीं है लेकिन इतना तो साफ है वो शख़्स समाज में ज़रूर आग लगाना चाहता था।
बहरहाल नार्वे की इस घटना के दौरान भले ही वहां पुलिस भी मौजूद बताई जा रही हो और भीड़ भी। लेकिन वो शख़्स अपने नापाक मंसूबों के तहत एक घिनौनी हरकत को अंजाम दे रहा था। लेकिन इसी बीच एक नौजवान वहां आया और उसने क़ुरान-पाक का आपमान करने वाले शख़्स को रोका और व रुकने पर बहुत तेज़ी के साथ अपनी जान की परवाह किये बगैर उसको धकेल दिया। क़ुरान-ए-पाक की बेहुरमती करने वाले शख़्स पर झपटने वाले नौजवान का नाम इल्यास बताया जा रहा है। और इस कथित घटना की कई तस्वीरे भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।
सोशल मीडिया और फेसबुक पर वायरल इस ख़बर के मुताबिक इसके बाद #इल्यास की बहादुरी और जुर्रत को देखकर दूसरे लोगों की भी हिम्मत बढ़ी और उन्होने उसको रोकने के लिए कोशिशें शुरु कर दीं। बाद में पुलिस ने भी भीड़ का ग़ुस्सा देखते हुए उस कथित आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
सोशल मीडिया और फेसबुक पर वायरल इस ख़बर को लेकर लोगों में इल्यास नाम के इस बहादुर नौजवान के प्रति सहानुभूति के साथ साथ एक हीरो भी दिखने जैसा जज़्बा बैदा हो रहा है। कई लोग इल्यास को कुरआन मजीद को बचाने वाला या नामुस ए रिसालत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का पहरेदार क़रार दे रहे हैं।
लेकिन सवाल ये पैदा हो रहा है कि कभी बुर्के के नाम पर तो कभी तलाक़ के नाम पर तो कभी क़ुरान के पर तो कभी आतंकवाद के नाम पर अक्सर मुस्लिम समाज और इस्लाम को टारगेट करने की वारदातें लगातार बढ़ रही है। जो कि बेहद अफसोसनाक हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या ये किसी बड़ी साज़िश का हिस्सा है जो कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर की रची जा रहीं हैं या फिर महज़ इत्तेफाक़।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि आख़िर दुनियां के दूसरी सबसे बड़ी और काफी हिस्से पर आज भी और पहले भी शासक रही मुस्लिम क़ौम के रहनुमा इस तरह की वारदातों को लेकर कब जागेंगे। ताकि समाज और बाक़ी दुनियां के साथ इस्लाम और मुसलमानों के संबधों में आई शक के सुई को निकाला जा सके। (फेसबुक से साभार)
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