सगरूर/पंजाब (10-01-2018)- लोकसभा से लेकर कई राज्यों की विधानसभा में फिलहाल इतिहास बनी हुई कांग्रेस के लिए सिर पर खड़े 2019 लोकसभा चुनावों की तैयारी और अपने कमबैक के लिए पंजाब एक प्रयोगशाला और कुछ कर दिखाने की जगह है। उसके अपने चुनावी वादों को पूरा करना इसलिए भी ज़रूरी है कि जनता उसपर भला कैसे भरोसा करे। लेकिन पंजाब में चाहे नशा मुक्ति की बात हो या फिर किसानों के क़र्ज़ माफी का वादा। इस पर कांग्रेस को बेहद गंभीरता दिखाने की ज़रूरत है। कांग्रेस को और पंजाब सरकार को चाहिए कि वो एक बार फिर देखे कि कहीं उसकी तैयारियों में कोई ख़ामी तो नहीं रह गई है।
दरअसल विदर्भ या कृषि क्षेत्र के कुछ पिछड़े इलाक़े में जब किसानों की आत्महत्या की बाद होती थी तो तर्क दिया जाता था कि सरकार की ज़िम्मेदारी के अलावा भोगोलिक स्थिति, मौसम और मंडी के हालात इसके लिए किसी हद तक ज़िम्मेदार हैं। लेकिन पंजाब जैसे फर्टाइल यानि उपजाऊ और कृषि प्रधान राज्य में भी किसान आत्म करें तो सवाल खड़े होते हैं।
हाल ही में बठिंडा के पथराला गांव में एक और 42 वर्षीय किसान द्वारा कर्जे के बोझ के चलते ट्रेन के आगे कूद कर आत्महत्या करने की ख़बर आई। बताया जा रहा है कि किसान के ऊपर 5 लाख के करीब कर्जा था, और उसके पास 4 एकड़ जमीन थी। अपनी मानसिक परेशानी के चलते उसने ट्रेन के आगे कूद कर ख़ुदकुशी कर ली। इस बारे में मृतक के परिजनों का कहना है कि कुछ समय पहले इसके भाई की भी मौत हो गयी थी, और उसके चार बच्चे और बीवी का खर्चा भी यही उठाता था। कमाई का कोई पक्का साधन नहीं था और वह परेशान रहने लगा।
इसी हफ्ते संगरुर के गांव छाजली में भी 23 साल के युवा किसान कुलदीप द्वारा कर्ज के कारण ज़हरीली दवा पीकर आत्महत्या करने की ख़बर आई है। कुलदीप की तीन बहने और एक छोटा भाई है। पिछले साल ही उसने अपनी बहन की शादी की और 3 लाख रुपए का कर्ज़दार हो गया। जिसका नतीजा ये हुआ कि संगरुर के गांव छाजली की गलियों के बजुर्ग किसान निरंजन सिंह के घर का चूल्हा ही ठंडा गया क्योंकि उनका बेटा कुलदीप कर्ज़ के बोझ से टूट चुका था। पिता निरंजन सकते हैं कि उनके बेटे ने आख़िर इतना बडा फैसला क्यों ले लिया। उधर यहां के एक किसान नेता संतराम मृतक के लिए मुआवज़े के मांग कर अपनी राजनीतिक ज़िम्मेदारी पूरी कर रहे हैं।
किसान की बदहाली और आत्महत्या का सिलसिला जारी है। इसी कड़ी में एक नाम और जुड़ गया जब संगरूर के ही एक 43 वर्षीय किसान सिकंदर सिंह ने 6 लाख के क़र्ज़ के बोझ तले अपनी जीवन लीला को गंवा दिया। इस मामले में पुलिस ने न जाने क्या सोचकर न तो मामला ही दर्ज किया न ही पोस्टमार्टम करवाया। सिकंदर के पिता गोविंद सिंह और सरपंच जसपाल राणा का कहना है कि लाखों के कर्ज़ का बोझ सिकंदर को ले डूबा।
अगर आंकड़ों की बात की जाए तो किसान, कर्ज़ और आत्महत्या का इतना बड़ा ग्राफ तैयार हो जाएगा कि प्रदेश सरकार और सरकारी की नीतियों की पोल ही खुल जाएगी। लेकिन अब बात करते हैं सरकार के वादों और दावों की। तो हमेशा और हर सरकार की तरह पंजाब सरकार भी किसानों की भलाई और कर्ज़ माफी के दावे कर रही है। इतना ही नहीं सरकार ने किसानों के क़र्ज़ माफी को लेकर अलग अलग सूचियां भी जारी की हैं। लेकिन इन सूचियों को देखकर नहीं लगता कि सरकारी दावों और सच्चाई में कहीं तालमेल भी है।
दरअसल कर्जमाफी के मुद्दे पर ही पंजाब में कांग्रेस ने सत्ता हासिल की है। कांग्रेस ने पंजाब के किसानों के दो लाख रूपय तक के कर्ज माफ करने की बात कह रही थी। लेकिन पंजाब के संगरूर किसानों के क़र्ज़ माफी की जारी सूची को जब देखा तो सच्चाई कुछ और ही निकली। इस सूची में यहां के एक किसान जसवीर सिंह के महज पांच रुपए का कर्ज माफ किया गया है। पंजाब के जिला संगरूर के गांव कोलसेड़ी में लगी सूची के मुताबिक़ पंजाब सरकार की तरफ से 5 बीघा जमीन के मालिक किसान जसवीर सिंह के ₹5 का कर्ज माफ कर दिया गया है। यानि पंजाब सरकार ने एक अनोखा रिकॉर्ड बना दिया है। आमतौर पर गांव के ज्यादातर किसानों के पास 5 बीघा से लेकर 15 बीघा ही जमीन है। जिसके बाद उम्मीद यही थी कि यहां के तकरीबन सभी किसानों के नाम पंजाब सरकार की कर्ज माफी की लिस्ट में आने चाहिए थे। लेकिन जो लिस्ट गांव में लगाई गई उसमें महज़ 21 लोगों के नाम ही दिखाई दे रहे हैं । और उससे भी बड़ी बात यह कि लिस्ट में ग्यारवें नंबर पर किसान जसवीर सिंह का नाम है। जिसके नाम के आगे कर्ज माफी की जो रकम आपको दिख रही है वह आप सबको हैरान कर देगी यानि महज़ 5 रुपए। हांलाकि ऊपर नीचे कुछ का तो हजारों का कर्ज माफ किया गया है और 11 नंबर पर महज ₹5 लिखें हैं। उ
इस मामले में जसवीर के पिता बलबीर सिंह का कहना है कि पांच बीघा जमीन के मालिक किसान जसबीर सिंह के 5 रुपए मांफ करके सरकार अपने चुनावी वादों को पूरा करने का ढिंडोरा पीटने लगी है। जबकि मां शमशेर कौर इसको सरकार का भद्दा मज़ाक़ बता रही हैं। जबकि गांव के मुखिया धर्मेंद्र सिंह का कहना है कि हमारे गांव में ज्यादातर किसान के पास बहुत कम जमीन हैं हमारे गांव के महज 21 लोगों के नाम कर्ज माफ़ी की लिस्ट में आए हैं। जोकि सरकार की महज खाना पूर्ती है।
इसी गांव के हाकम सिंह का कहना है कि मेरे पास ढाई एकड़ ज़मीन है और हम 67 हज़ार के कर्ज़दार है, लेकिन सरकार ने उनका कर्ज माफ़ नहीं किया है। जबकि चुनाव से पहले 2 लाख तक कर्ज माफ़ी की बात की गई थी।
इस मामले पर गांव में किसानों को खेती के लिए क़र्ज देने वाली कोऑपरेटिव सोसाइटी के सेकेट्री सेवा सिंह से जब इस मामले पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि हमारी ओर से पंजाब सरकार को तकरीबन 2 गांव की 500 के करीब किसानों की लिस्ट भेजी गई थी। जिसमें से इस गांव के केवल 21 लोगों के नाम ही इस लिस्ट में सामने आए हैं। जबकि किसान जसवीर सिंह के जो ₹5 का कर्ज माफ हुआ है, ये रकम वो है जो सरकार एक किसान का ₹5 का एक बीमा करती है, ये वही रकम इस किसान के खाते में थी और उसी रकम को माफ किया गया है और जो बाकि का किसान के ऊपर कर्ज है वह जसवीर सिंह ने बाद में लिया है क्योंकि पंजाब सरकार ने 31 मार्च 2017 तक किसानो पर जो कर्ज था उसी को ही माफ किया है।
जबकि एस.डी.एम धूरी अमर ईश्वर का कहना है कि अभी कर्जा माफ़ी की पहली सूची लगाई गई है। उसमे जो कमी है उसके लिए ऑब्जेक्शन मांगे गए है, और जिनका नाम इस सूची में नहीं आया बह दूसरी सूची का इंतज़ार करे उसमे नाम आ सकते है।
लेकिन सवाल ये है कि क्या सरकारी काम काज में हर बार सिर्फ ऑब्शेक्शन के बाद ही सुधार होता है।
इसी तरह एक और मामला संगरुर के गांव गगड़पुर का है, जहां सरकार की कर्जमाफी स्कीम की लिस्ट में 24 नम्बर पर एक नाम ऐसा भी जिससे सरकार की नीतियों का मजाक उड़ रहा है। ये नाम है विधवा जसवंत कौर का जसवंत कौर का पहले पति फिर बेटा हार्ट अटैक से दुनिया छोड़ गए अब अपनी बहू और दो छोटे पोता पोती के साथ जीवन का गुजर बसर कर रही जसवंत कौर को सरकार से आशा थी कि उसपर जो कर्ज है माफ होगा। लेकिन गांव में 56 किसानों की जब लिस्ट लगी तो उसका नाम 24वें नंबर लिखा तो था। पर कर्ज माफ हुआ सिर्फ 291 रुपये का। एक एकड़ की मालकिन जसवंत कौर पर 36000 का कर्ज था लेकिन उसके 291 रुपए माफ करके भी शायद पंजाब की कैप्टन सरकार दावे करे कि हमने अपना चुनावी वादा पूरा कर दिया है। गांव के किसान दलबीर सिंह, जसबीर सिंह और मख्खन सिंह की मांग है कि किसानों के नाम पर सरकार राजनीति और मज़ाक़ करना बंद करे और पूरी पारदर्षिता के साथ लिस्ट लगाए। इस बारे में यहां की सहकारी सभा के प्रधान से बात की तो उनका कहना था कि 700 कमेटी मेंबर में से सिर्फ 100 किसानों की कर्जमाफी लिस्ट आयी है। उनका आरोप है कि हमारी ओर से भेजा गया था, उसके बिल्कुल उलट लिस्ट आई है। इसके लिये उच्चाधिकारियों ने क्या किया है वो नही जानते।
उधर कांग्रेस सरकार के चुनावी वादों को लेकर अब राजनीति भी गर्म होने लगी है, करप्शन तक के आरोप लगने लगे हैं। इस मामले में भारतीय किसान यूनियन ने घपले का आरोप लगाते हुए बठिंडा की SDM को अपना मांग पत्र दिया है। किसान नेता जगजीत सिंह के मुताबिक़ कैप्टन सरकार द्वारा किसानों का कर्ज माफ किया जाना था उसमें घपलेबाजी हुई है। उनका आरोप है कि सरकार द्वारा सिर्फ एक ड्रामा बाजी की गई है।
(लेखक आज़ाद ख़ालिद टीवी पत्रकार हैं डीडी आंखों देखीं, सहारा समय, इंडिया टीवी, इंडिया न्यूज़ समेत कई नेश्नल चेनल्स में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य चुके हैं, वर्तमान में रोहतक के एक चेनल सिटीज़न्स वॉयस में बतौर चेनल हेड कार्यरत हैं।)