president’s bodyguard नई दिल्ली(27 अक्टूबर, 2022) भारतीय सेना की सबसे पुरानी रेजिमेंट राष्ट्रपति के अंगरक्षक के हैं इसे 1773 में गवर्नर-जनरल के अंगरक्षक (बाद में वायसराय के अंगरक्षक) के तौर पर 27 जनवरी, 1950 को इस रेजिमेंट का नाम बदलकर राष्ट्रपति के अंगरक्षक कर दिया गया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति के अंगरक्षकों (पीबीजी) को सिल्वर ट्रम्पेट और ट्रम्पेट बैनर प्रदान किया।
इस अवसर पर उन्होंने अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने परेड के उल्लेखनीय प्रदर्शन, घोड़ों की अच्छी तरह से देखभाल एवं तैयार करने और प्रभावशाली औपचारिक पोशाक के लिए कमांडेंट, अधिकारियों, जेसीओ और पीबीजी के अन्य रैंकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह आयोजन इसलिए भी खास है कि राष्ट्रपति के अंगरक्षक अपनी स्थापना के 250 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। इसे देश भर में मनाए जा रहे ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के साथ-साथ मनाया जा रहा है।
राष्ट्रपति ने सभी कार्यों में उत्कृष्ट सैन्य परंपराओं, पेशेवर अंदाज और अनुशासन के लिए पीबीजी की सराहना की। उन्होंने कहा कि देश को उन पर गर्व है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वे राष्ट्रपति भवन की सर्वोच्च परंपराओं को बनाए रखने और भारतीय सेना की अन्य रेजिमेंटों के लिए एक आदर्श रोल मॉडल बनने के लिए समर्पण, अनुशासन और वीरता के साथ अपना प्रयास जारी करेंगे।
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