ग़ाज़ियाबाद (30 दिसंबर 2019)- मोबाइल रोज़मर्रा की ज़रूरत के साथ लग्ज़री और शौक़ की चीज होता जा रहा है। ऐसे में उसकी क़ीमत और रिसेल वेल्यू बढ़ना भी स्वाभाविक है। तो भला इस बात का फायदा अपराधी क्यों न उठाएं। नतीजा मोबाइल फोन की चोरी,झपटमारी बेहद आम होती जा रही है। लेकिन पुलिस है कि एफआईआर लिखने तक को तैयार नहीं। कुछ ऐसी ही शिकायत है एक छात्र की जिसका मोबाइल लेकर एक कैब चालक भाग गया, लेकिन पुलिस पिछले एक महीने से उसकी रिपोर्ट तक दर्ज नहीं कर रही है।
गाजियाबाद शहर की पुलिस कब ऐसा करिश्मा दिखा दे कि चर्चा में आ जाए किसी को नहीं पता। तकरीबन एक महीने से एक छात्र अपनी रिपोर्ट लिखवाने के लिए थाने के चक्कर काट रहा है लेकिन पुलिस उसकी शिकायत को दर्ज तक नहीं कर रही है। छात्र का आरोप है कि उसका एक कीमती मोबाइल उबर टैक्सी का चालक लेकर फरार हो गया था। जिसको तलाश करने की बात तो दूर पुलिस अभी तक इस मामले की एफआईआर तक दर्ज नहीं कर रही है ।हांलाकि पुलिस मामले को दो थानों की सीमीओं का बता रही है।
मामला 24 अक्टूबर 2019 की है, जब इंदिरापुरम थाने के न्याय खंड प्रथम निवासी माधव सेठ, जोकि पुणे में मैकेनिकल इंजीनियरिंग का छात्र है । शिकायतकर्ता छात्र का कहना है कि दिवाली की छुट्टियों के दौरान वह अपने घर आया था। 24 अक्टूबर को माधव ने संभागीय परिवहन विभाग यानि आरटीओ ऑफिस जाने के लिए ऊबर की एक कैब टैक्सी नंबर डीएल 1आर- बीपी 9388 बुक कराई। आरोप है कि जब कैब आरटीओ ऑफिस पहुंची माधव सेठ ने पांच सौ रूपये का नोट कैब चालक कुलदीप को दिया। हांलाकि बिल सिर्फ 191 रुपये का था, लेकिन ड्राइवर ने खुले पैसे मांगे इस पर माधव अपना मोबाइल और बैग कार सीट पर छोड़कर पैसे खुले कराने के लिए चला गया। मौका पाकर ड्राइवर कुलदीप गाड़ी लेकर फरार हो गया। माधव ने घर जाकर घटनाक्रम की जानकारी अपने पिता अरविंद सेठ को दी। माधव व उनके पिता अरविंद सेठ थाना इंदिरापुरम पहुंचे, और लिखित में एक तहरीर दी। उससे कहा गया कि आप तहरीर दे जाइए,तीन -चार दिन बाद आपको बताते हैं। तीन-चार दिन बाद अरविंद सेठ व माधव सेठ इंदिरापुरम थाने पहुंचे जहां पर एसएसआई के.के गौतम ने कहा कि मामला कवि नगर थाना क्षेत्र का है। इसलिए वहीं जाकर रिपोर्ट दर्ज करांए। इसके बाद दोनों एसएसपी कार्यालय पहुंचे तो वहां तैनात हेड कॉन्स्टेबल रामवीर को पूरी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कविनगर थाने में इसे रजिस्टर करा दीजिए। कविनगर थाने पहुंचे तो वहां अरविंद नामक एक पुलिसकर्मी मिला उसने तहरीर की कॉपी लेकर एक रजिस्टर में लिख ली, लेकिन उसके प्राप्ति रसीद देने से मना कर दिया।शिकायत यह है कि एक माह से भी ज्यादा बीतजाने के बाद अभी तक इस मामले में पुलिस ने ना तो कोई विधिक कार्रवाई की है ना ही उबर कैब के चालक के अधिकृत मोबाइल पर कोई संपर्क किया है।
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