नई दिल्ली (3 दिसंबर 2019)- भारत के सौंदर्य और ज़मीन की जन्नत माने जाने वाले जम्मू-कश्मीर की तरक़्क़ी और वहां के लोगों के जीवनस्तर को सुधारने के लिए केंद्र सरकार लगातार कोशिश कर रही है। सरकार का मानना है कि कश्मीर और वहां के लोगों का विकास वहां पर बेहद ज़रूरी है। साथ ही टूरिज़्म जैसे हब वाले जम्मू-कश्मीर में नदियों और जल का प्रबंधन बेहतर होना भी ज़रूरी है। जम्मू में तमिलनाडु सरकार और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर के सहयोग से प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग यानि डीएआरपीजी, द्वारा जल शक्ति एवं आपदा प्रबंधन पर फोकस के साथ ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ पर आयोजित दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन के समापन सत्र के दौरान ‘सहयोग संकल्प’ प्रस्ताव स्वीकार किया गया।
इस सम्मेलन का उद्घाटन कल केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मामलों के राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने किया था। जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल श्री जी. सी. मुर्मु, तमिलनाडु के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री श्री आर. बी. उदयकुमार, जम्म एवं कश्मीर के मुख्य सचिव श्री बीवीआर सुब्रह्मण्यम, डीएआरपीजी के अतिरिक्त सचिव श्री वी. श्रीनिवास ने भारत सरकार, तमिलनाडु सरकार और केंद्र शासित राज्य जम्मू एवं कश्मीर के वरिष्ठ अधिकारियों के संबोधित किया।
कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक़ जल शक्ति एवं आपदा प्रबंधन पर फोकस के साथ ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ पर आयोजित दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन के 01 दिसंबर, 2019 को हुए समापन सत्र के दौरान जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल के सलाहकार के. के. शर्मा एवं फारुक खान और प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) के अतिरिक्त सचिव वी. श्रीनिवास। इसमें एक ‘सहयोग संकल्प’प्रस्ताव स्वीकार किया गया। एक लंबी चर्चा के बाद इस सम्मेलन के समापन सत्र के दौरान सर्वसम्मति से एक ‘सहयोग संकल्प’ स्वीकार किया गया। इस सम्मेलन के संकल्प में यह स्वीकार किया गया कि भारत सरकार और इसमें हिस्सा ले रही तमिलनाडु सरकार और केंद्र शासित राज्य जम्मू एवं कश्मीर एवं लद्दाख के लिए कई प्रकार से सहयोग करेंगे। जिनमे खासतौर से एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ कार्यक्रम के तहत जल शक्ति एवं आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में सूचनाओं को साधा करके विविधता में एकता की परिकल्पना को बढ़ावा देना, बेहतर निगरानी और दोनों सरकारों के बीच एक गहरे एवं संरचित मेलमिलाप के जरिये जल शक्ति एवं आपदा प्रबंधन के क्षेत्रों में आपसी मुद्दों को सुलझाने के लिए ठोस प्रयास करना, जल शक्ति और आपदा प्रबंधन से संबंधित परस्पर सहमति के विषयों पर युग्मित सरकारों के बीच वर्ष भर एक के बाद एक क्षेत्रीय सम्मेलनों का आयोजन करना। इनमें से पहला सम्मेलन डीएआरपीजी द्वारा वर्ष 2020 में चेन्नई में अयोजित किया जाएगा। इसमें केंद्र शासित राज्य जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख के अधिकारी जल शक्ति एवं आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में हासिल की गई उपलब्धियों एवं प्रगति रिपोर्ट को पेश करेंगे। जिसमें जल संचयन, कृषि जल की खपत को कम करना, शहरी बाढ़ को रोकना और नदियों के कायाकल्प के लिए तकनीकी विशेषज्ञता को साझा करना, युग्मित सरकारों के लाइन डिपार्टमेंटों के बीच समझौता ज्ञापनों (एमओयू) से जरिये जल शक्ति एवं आपदा प्रबंधन के लंबी अवधि के मेलमिलाप के क्षेत्रों में काम करना,दस्तावेजीकरण एवं प्रसार के संदर्भ में सर्वोत्तम प्रक्रियाओं और अनुभवों को साझा कर सीखने के लिए अनुकूल वातावरण बनाना। इसमें सम्मेलनों की कार्यवाही के जरिये डीएआरपीजी के जर्नल ‘मिनिमम गर्वनमेंट, मैक्सीमम गवर्नेंस’ में जल शक्ति एवं आपदा प्रबंधन के विषय पर विशेष प्रकाशन करना शामिल है।
समापन सत्र के दौरान जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल के सलाहकार के. के. शर्मा एवं फारूक खान, भारत सरकार के डीएआरपीजी के अतिरिक्त सचिव वी. श्रीनिवास, जम्मू एवं कश्मीर सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग के मुख्य सचिव पांडुरंग के. पोले और अन्य अतिथि उपस्थित थे।
समापन सत्र के दौरान जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल के सलाहकार के. के. शर्मा लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि एक भारत, श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के तहत विभिन्न राज्यों को एक दूसरे के साथ जोड़ा गया है। जम्मू एवं कश्मीर का जोड़ा तमिलनाडु के साथ बनाया गया है। उन्होंने कहा कि पर्यटन से लेकर संस्कृति और शिक्षा के साथ-साथ आपस में सीखने के लिए विभिन्न तरीके हैं। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन के साथ ज्ञान बांटने का स्तर लोक प्रशासन एवं शासन के क्षेत्र में भी पहुंच गया है।
उन्होंने आगे कहा कि जम्मू एवं कश्मीर को विभिन्न क्षेत्रों में तमिलनाडु के अग्रणी उदाहरणों का लाभ मिलेगा। आपदा को कम से कम करने में इस सम्मेलन में मौजूद तकनीकी विशेषज्ञ और प्रशासनिक अधिकारी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन अधिकारियों को तमिलनाडु के अनुभवों से लाभ मिलेगा।
समापन सत्र के दौरान जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल के सलाहकार फारूक खान लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आपदा के मामलों में समय पर सूचनाओं को साझा किया जाना बहुत महत्वपूर्ण है, यह माल के नुकसान को कम करने और बेशकीमती जान बचाने में मदद करता है। उन्होंने इस सम्मेलन के आयोजन की पहल करने के लिए डीएआरपीजी की सराहना की। उन्होंने इसे आपदा प्रबंधन से संबंधित मुद्दों को लेकर एक गंभीर प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन से प्राप्त होने वाले ज्ञान एवं अनुभव से अधिकारियों को भविष्य में कठिन परिस्थितियों से निपटने में मदद मिलेगी।
दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान छह तकनीकी सत्र हुए जिनमें कावेरी और झेलम नदियों का कायाकल्प, कृषि में पानी की खपत घटाना, वॉटर वॉरियर्स परिचर्चा, शहरी बाढ़, 2014 में श्रीनगर और 2015 में चेन्नई में आई बाढ़ के दौरान एनडीआरएफ के बचाव अभियान जैसे कई मुद्दों पर चर्चा हुई।
‘कावेरी और झेलम नदियों का कायाकल्प’ पर आयोजित तकनीकी सत्र की अध्यक्षता तमिलनाडु सरकार के प्रिंसिपल रेजीडेंट कमिश्नर श्री हितेश कुमार एस. मकवाना ने की। इसमें केंद्रीय जल आयोग के सदस्य (आरएम), रंजन कुमार सिन्हा, जम्मू एवं कश्मीर सरकार के झेलम-तावी नदी बाढ़ रिकवरी प्रोजेक्ट के निदेशक इफ्तिकार अहमद ककरू ने हिस्सा लिया। ‘कृषि में पानी की खपत घटाने’ पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता तमिलनाडु सरकार के मुख्य सचिव कृषि एवं कृषि उत्पाद आयुक्त श्री गंगादीप सिंह बेदी ने की। इस सत्र के विशिष्ट वक्ता जम्मू के जल प्रबंधन अनुसंधान केंद्र एसकेयूएएसटी के प्रोफेसर डा. विजय भारती और श्रीनगर के मुख्य योजना अधिकारी मोहम्मद यासीन थे।
वॉटर वॉरियर्स परिचर्चा की अध्यक्षता तमिलनाडु के स्माल इंडस्ट्री कार्पोरेशन (टीएएनएसआई) के सीएमडी श्री विभू नायर ने की। इस सत्र में राष्ट्रीय जल मिशन के निदेशक श्री जी. अशोक कुमार, ऊधमपुर के डीसी डा. पीयूष सिंगला और चेन्नई के वर्षाजल केंद्र के निदेशक श्री शेखर राघवन, जम्मू एवं कश्मीर सरकार के चीफ इंजीनियर पीएचई डा. संजीव चढ्डा ने हिस्सा लिया। ‘कलेक्टर्स स्पीक्स’ सत्र के दौरान तीन जिलों के कलेक्टरों ने अपने द्वारा शुरू की गई पहलों का ब्यौरा साझा किया। नीलगिरि की डीसी सुश्री जे. इनोसेंट दिव्या ने आपदा प्रबंधन एवं शहरीकरण पर बात की। नागापट्टिनम के डीसी प्रवीण पी. नायर और रियासी की डीसी सुश्री इंदू कंवल छिब ने जल शक्ति परियोजना से जुड़े अपने अनुभवों को साझा किया।
समापन दिवस के दौरान ‘शहरी बाढ़’ पर आयोजित तकनीकी सत्र की अध्यक्षता एनडीएमए के सदस्य सचिव जी. वी. वी. शर्मा ने की। ‘पूर्वानुमान एवं अग्रिम चेतावनी’ पर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डा. मृत्युंजय महापात्रा जबकि ‘आपातकालीन प्रतिक्रिया’ पर तमिलनाडु सरकार के राजस्व सचिव एवं राजस्व प्रशासन एवं आपदा प्रबंधन आयुक्त डा. जे. राधाकृष्णन ने चर्चा की। एनडीआरएफ के आईजी श्री अमरेंद्र कुमार सेंगर ने 2014 की श्रीनगर बाढ़ और 2015 की चेन्नई बाढ़ के दौरान एनडीआरएफ के बचाव अभियान से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। जम्मू एवं कश्मीर सरकार के महानिदेशक दमकल एवं आपातकालीन सेवा और महानिदेशक जेल वी. के सिंह ने भी इस दौरान अपनी बात रखी। इसके बाद ‘लाइन डिपार्टमेंट्स स्पीक’ पर सत्र का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता जम्मू एवं कश्मीर सरकार के सचिव (कृषि) अजीत के. साहू ने की। इन परिचर्चाओं में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के सीईओ सिमरनदीप, आईएमपीएआरडी में एसोसिएट प्रोफेसर (आपदा प्रबंधन) श्री जी. एम. डार, राष्ट्रीय भूकंप जोखिम शमन कार्यक्रम के टीम लीडर डा. अमित कुमार, जम्मू-कश्मीर सरकार के सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभागके चीफ इंजीनियर अशोक कुमार शर्मा ने भी हिस्सा लिया।