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न तीन तलाक़ बिल मज़ूर , न शरीअत में मदाख़लत, न संवैधानिक आज़ादी का हनन बर्दाश्त-मुस्लिम महिलाओं ज़बरदस्त प्रदर्शन

oppose for triple talaq
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लखनऊ (18 मार्च 2018)- आज का दिन मुस्लिम महिलाओं की बुलंद आवाज़ का रहा। बड़ी तादाद में मुस्लिम महिलाओं ने न सिर्फ तीन तलाक़ बिल की मुख़ालफ़त की बल्कि ये भी साफ़ कार दिया कि न तो उन्हे इस्लामी शरीअत में हस्तक्षेप मंज़ूर है न ही संविधान में दी गई धार्मिक आज़ादी का हनन बर्दाश्त किया जाएगा। तहफ़्फ़ुज़ ए शरीअत मुहिम लखनऊ के बैनर तले इकठ्ठा हुई इन महिलाओं का मानना है कि तीन तलाक़ बिल पर अमल करने से महिलाओं की मुश्किलें बढ़ेंगी और महिलाओं के अधिकारों का हनन होगा। इसलिए मुस्लिम महिलाओं ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है।

muslim on triple talaq
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तीन तलाक़ बिल का विरोध करने के लिए कई मुस्लिम संघटनों के आह्वाहन पर एकजुट हुई मुस्लिम महिलाओं ने लखनऊ में बाक़ायदा सभा की और रैली के ज़रिए अपना विरोध दर्ज कराया। मुस्लिम संघटनों से जुड़ीं और आम महिलाओं का कहना था कि तीन तलाक़ बिल मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के साथ साथ सविंधान में दी गई धार्मिक आज़ादी का खुला उल्लघन है।मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि शरीअत पर अमल करने और इसके तहत ज़िंदगी गुज़ारने में ही मुस्लिम महिलाओं के अधिकार सुरक्षित हैं। साथ ही इस मामले पर बिल लाने पर बोलते हुए महिला संघठनों का आरोप था कि सरकार ने जल्दबाज़ी और बग़ैर इस्लामी विद्वानों की राय के इस बिल को पास कराया है। अपने भाषण के दौरान महिला नेताओं ने सरकार पर तीन तलाक़ बिल पर राजनीतिक लाभ लेने और मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों में हस्तक्षेप के आरोप लगाए। मुस्लिम महिलाओं का आरोप है कि 22 अगस्त 2017 को माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस बिल की वैसे भी कोई ज़रूरत नहीं थी। रैली में मौजूद महिलाओं ने सरकार को चेतावनी दी कि मुस्लिम महिलाओं की कथित सुरक्षा के नाम पर महिलाओं के शोषण का रास्ता न खोले और न ही शरीअत में हस्तक्षेप करे।

triple talaq bill oppose
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तहफ़्फ़ुज़ ए शरीअत मुहिम लखनऊ के कनवीनर मौलाना नजीबुल हसन सिद्दीक़ी नदवी द्वारा जारी बयान के मुताबिक़ तीन तालक़ बिल के मामले पर राष्ट्रपति महोदय को एक ज्ञापन भी सौंपा गया है। जिसमें कहा गया है कि शरीअत मुस्लिमों का धार्मिक क़ानून है और इसमें बदलाव किसी इंसान द्वारा नहीं किया जा सकता, लिहाज़ा सरकार को इस मामले पर हस्तक्षेप न करने को निर्देशित किया जाए। इसके अलावा तीन तलाक़ बिल मुस्लिम महिलाओं के आज़ादी और अधिकारों के विरुद्ध है इसलिए इस बिल को वापस लिया जाए।
साथ ही टीले वाली मस्जिद के शाही इमाम सय्यद शाह फ़ज़लुलमन्नान रहमानी ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भारतीय मुसलमानों की संस्था है और इसका काम इस्लामी शरीअत के साथ साथ हर मुसलमान के धार्मिक अधिकारों की रक्षा करना है।
इस मौक़े पर ऑल इंडिया मुस्लिम वीमन विंग की अध्यक्ष डॉ. असमा ज़हरा बतौर मुख्य अथिति मौजूद रहीं। इसके अलावा जाने माने इस्लामी स्कॉलर मौलाना ख़ालिद रशीद फ़रंगी महली, मौलाना अतीक़ बस्तवी और मशहूर एडवोकेट ज़फ़रयाब जीलानी मौजूद रहे।

Muslim women oppose triple talaq bill
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About The Author

आज़ाद ख़ालिद टीवी जर्नलिस्ट हैं, सहारा समय, इंडिया टीवी, वॉयस ऑफ इंडिया, इंडिया न्यूज़ सहित कई नेश्नल न्यूज़ चैनलों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। Read more

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