बरेली. उत्तर प्रदेश के बरेली में जिले में सांप्रदायिक सौहार्द की एक अनूठा मामला सामने आया है। शहर से करीब 35 किमी दूर सेंथल के पट्टी गांव में स्थापित भगवान कृष्ण का मोहन मंदिर 1857 में बनाया गया था। लेकिन समय बीतने के साथ यह मंदिर अपनी भव्यता खो बैठा और अब पहचान के तौर कुछ ईंटों का ढेर है। 163 साल पुराने ऐतिहासिक भगवान कृष्ण के मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए उर्फी रजा जैदी सामने आए हैं। पर्यटन विभाग इस मंदिर को पुर्नजीवित करेगा। इसकी स्थापना सेंथल के तत्कालीन नवाब गालिब के छोटे बेटे मीर मोहम्मद जफर ने कराई थी।
गांव के क्रांतिकारी की याद में बना था मंदिर
इतिहास के पन्नों को कुरेदते हुए रजा जैदी बताते हैं कि प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान साल 1857 में सेंथल रियासत में नवाब गालिब अली का राज था। जब क्रांति की मशाल रूहेलखंड पहुंची तो कांतिकारी खान बहादुर खान की मदद के लिए नवाब ने सेंथल के रहने वाले खेमकरन अहीर की अगुवाई में एक टुकड़ी बनाई थी। इस टुकड़ी गांव के भोला बेलदार भी शामिल थे। दोनों ने अंग्रेजों से लोहा लिया। बाद में अंग्रेजों ने उन्हें बंधक बना लिया और फांसी दे दी। उन्हीं की याद में पट्टी गांव में मोहन मंदिर बनाया गया था।
मंदिर पर्यटन विभाग सही कराएगा, मूर्तियां हम स्थापित करेंगे
रजा जैदी ने कहा- मंदिर के नाम पर अब सिर्फ ईंटों का ढेर है। जिस पर पेड़ लगा है। इसी जगह नया मंदिर बनेगा। बताया कि, सात साल तक इसके लिए प्रयास किया। मुख्यमंत्री से लेकर डीएम तक को पत्र लिखे। अब पर्यटन विभाग इस स्थल पर मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए तैयार हो गया है। जिस पर 12 लाख रुपए खर्च होंगे। उन्होंने कहा- भले ही पर्यटन विभाग को मंदिर को नया स्वरूप दे, लेकिन भगवान कृष्ण की प्रतिमा मैं ही स्थापित करूंगा।