नई दिल्ली(05 फरवरी 2018)- 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी द्वारा विदेशों से कालाधन लाने, देश के आर्थिक सुधारनें, करप्शन को क़ाबू करने,और विदेशी निवेश के वादे के बाद ही जनता ने न सिर्फ वोट दिया बल्कि दिल्ली की गद्दी सौंपी थी। सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सभी प्रधानमंत्रियों के विदेशी दौरों को पछाड़ते हुए न सिर्फ ताबड़तोड़ विदेशी दौरे किये बल्कि जनता में आस जगाई कि विदेशी निवेशक भारत में बड़ा निवेश करने को तैयार हो रहे हैं।
कितने विदेशी निवेशक भारत में आ रहे हैं ये भी सबके सामने है और कितना कालाधन विदेशों से आया ये भी सबको पता लग ही गया है। लेकिन एक बात जिसका पता लगने पर जनता ही नहीं बल्कि भारत से प्रेम करने वाला हर शख़्स सदमे में आ सकता है।
जी हां साल 2017 में भारत के 7000 करोड़पतियों ने भारत को छोड़कर किसी दूसरे देश में अपना ठिकाना बना लिया है। अब इसे हमारे देश की व्यवस्था पर भरोसे की कमी कहें या फिर देशभक्ति में कमी, कि चाहे करप्शन घोटाला हो या फिर देश के साधनों से बने इन हज़ारों करोड़पतियों ने भारत को क्यों छोड़ा।
दरअसल न्यू वर्ल्ड वेल्थ रिपोर्ट के मुताबिक़ साल 2017 में लगभग 7000 करोड़पति ऐसे थे जिन्होने भले ही अपने आपको भारतीय कहते हुए देश की अर्थव्यस्था से अपने आपको करोडपति बना लिया हो लेकिन उनको भारत में रहना पसंद ही नहीं है। क्योंकि पिछले साल यानि 2017 में 7000 धनकुबेरों ने भारत से पलायन किया और विदेशों में जाकर बस गए। ये आंकड़ा साल 2016 के मुक़ाबले में 16 फीसदी अधिक है। अगर पिछले कुछ सालों की बात करें तो ये आंकड़ा लगातार बढ़ ही रहा है। अगर रिपोर्ट की मानें तो करोड़पतियों द्वारा देश छोड़ने के मामले में चीन के बाद भारत दूसरे नंबर पर है। अगर देखा जाए तो दुनियां में धनकुबेरों के मामले में भारत छठे नंबर पर है और भारत की कुल संपत्ति 8230 अरब डॉलर है। रिपोर्ट के मुताबिक़ करोड़पतियों द्वारा 2016 यानि बीजेपी शासनकाल में ही ये भारत से पलायन करने का आंकड़ा 6000, और 2015 में 4000 था। हांलाकि रिपोर्ट का मानना है कि चीन और भारत से अमीरों का पलायन कोई फिक्र की बात नहीं है। क्योंकि जितने लोग देश छोड़ कर जाते हैं, उससे ज़्यादा नए अमीर बन जाते हैं और इन देशों का रहन-सहन सुधरेगा धनकुबेर यहां लौट आएंगे। अगर बात देश को छोड़करक जाने और दूसरे को पसंद करने की करें तो भारतीयों की पहली पसंद अमेरिका ही है, जिसके बाद यूएई यानि संयुक्त अरब अमीरात, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड हैं।
हालांकि ऐसा भी नहीं कि अकेले भारत से ही करोड़पति अपने देश को छोड़कर विदेशों में बसने का शौक़ रखते हैं, ऐसे लोग दूसरे देशों में भी हैं, जिनमें पहले नंबर पर चीन जहां से पिछले साल 10000 लोगों ने पलायन किया, फिर तुर्की से 6000, ब्रिटेन से चार हज़ार जबकि फ्रांस से 4000 और रूस से 3000 करोड़पतियों ने अपने अपने देश से पलायन किया। दरअसल साल 2017 में तक़रीबन 95000 अमीरों ने अपने-अपने देशों से पलायन किया और दूसरे मुल्कों में जा बसे। जबकि साल 2016 में ये आंकड़ा 82000 का था और 2015 में 64000 रहा था।
लेकिन सवाल ये पैदा होता है कि सरकारी तौर पर विदेशों से कालाधन लाने, विदेशी निवेश बढ़ाने के दावे किये जाते हैं। इसके नाम पर सरकारें बनतीं और गिरती हैं। लेकिन सच्चाई इसके उलट है। तो क्या गाय और धार्मिक उन्माद के दम पर टिकने का सपना पालने वाली बीजेपी सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोई ऐसा रास्ता निकालेंगे जो हर भारतीय को देश भक्ति और देश के सिस्टम पर भरोसे करने का हौंसला दे सके।