किसी के हाथ न आने वाले फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह को कोरोना ने दबोचा-नहीं रहे मिल्खा सिंह
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त किया
नई दिल्ली (19 जून 2021)- खेलों की दुनियां के बादशाह और उड़न सिख कहलाए जाने वाले मिल्खा सिंह आख़िरकार एक अधूरे सपने के साथ दुनियां से रुखसत हो गये। भारत का नाम पूरी दुनियां में रोशन करने वाले मिल्खा सिंह का सपना था कि उनके जीवन में भारत को एथलेटिक्स में ओलंपिक मेडल जीतने का मौक़ा मिले। लेकिन अफसोस शुक्रवार को ‘फ्लाइंग सिख’ कगलाए जाने वाले और भारत का परचम पूरी दुनियां में लहराने वाले महान धावक मिल्खा सिंह कोरोना के सामने ज़िंदगी और मौत की जंग हार गये।प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए हाल ही में मिल्खा सिंह से अपनी बात को याद किया है।
मिल्खा सिंह ने 91 साल की शानदार पारी खेलते हुए शुक्रवार को ज़िंदगी को अलविदा कह दिया। कामनवेल्थ गेम्स में भारत को गोल्ड मेडल जिताने वाले पहले भारतीय मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवम्बर 1929 को हुआ था। ‘फ्लाइंग सिख’ के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह ने 1960 के ग्रीष्म ओलंपिक में रोम और टोक्यो के 1964 ग्रीष्म ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया था। इसके अलावा मिल्खा सिंह ने 1958 और 1962 के एशियाई खेलो में भी भारत को गोल्ड मेडल दिलाया था। हांलाकि रोम में हुए 1960 ओलंपिक खेलों में उन्होंने ओलंपिक का पिछला रिकार्ड तोड़ा था लेकिन उनको मेडल नहीं मिल सका था। हांलाकि उसी दौरान उनके द्वारा बनाया गया नेशनल रिकार्ड लगभग 40 साल बाद टूट सका था। खेलों में उनके बेजोड़ योगदान के लिए भारत सरकार ने भारत के चौथे सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री से मिल्खा सिंह को सम्मानित किया है।