गाजियाबाद (6 जून 2020)-कोविड -19के चलते खादी का कारोबार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है । कारोबारियों का कहना है कि गर्मी, शादी व त्यौहार सभी सीजन खत्म हो गए, लेकिन लॉक डाउन खुलने के बाद जिस तरह से ग्राहकों की संख्या बढ़ रही है उससे लगता है कि जल्दी ही कारोबार पटरी पर आ जायेगा ।
भारत में खादी कपड़ा विरासत का प्रतीक माना जाता है। भारत की आजादी की लड़ाई में पूरे देश को संगठित करने में महात्मा गांधी, खादी और चरखे का बहुत बड़ा योगदान रहा है। गाजियाबाद व एनसीआर में देखा जाए खादी के कपड़े का स्वरूप भी पूरी तरह से बदल गया था,और युवा पीढ़ी से लेकर बुजर्गो तक में खादी के बढ़ते प्रचलन के चलते खादी के कारोबार को चरम पर पहुंचा दिया था लेकिन कोविड -19 के चलते लगे लॉक डाउन ने कारोबार को जबरदस्त झटका दिया है, लेकिन अब लॉक डाउन के बाद ग्राहकों के रिस्पांस से उनके निराशा के बा दल छटने लगे हैं ।
गाजियाबाद में जिस तरह से फैशन में खादी के वस्त्र आये और यहां यह कारोबार करोड़ों में पहुंच गया ।बल्कि संभावना को देखते हुए पिछले चंद सालों के दौरान ही तेलीवाली गली में तो पूरी खादी मार्किट ही विकसित हो गयी है । गाजियाबाद की यह मार्किट दिल्ली एनसीआर की प्रमुख मार्किट के रूप में बदल गयी, आज यहां ना केवल गाजियाबाद बल्कि गौतमबुद्धनगर, हापुड़, मेरठ, बागपत आदि जिलों के लोग यहा से खादी के कपड़े खरीदने आते हैं ।
लॉक डाउन के दौरान यह मार्किट भी बंद रही और कारोबार पूरी तरह से चौपट हो गया । शहर की सबसे पुरानी दुकान प्रकाश टेक्सटाइल्स के संचालक वेद प्रकाश गर्ग कहते हैं कि लॉक डाउन का असर काफ़ी ज्यादा इस कारोबार पर पड़े या यूं भी कह सकते हैं कि पूरा सीजन ही पिट गया है । लॉक डाउन 25मार्च से लागू हुआ था, लगभग इसी समय से गर्मी का सीजन शरू हो जाता है, साथ ही शादी का सीजन भी शुरू हो जाता है, इस बीच ईद का पर्व भी आ गया और मार्किट पूरी तरह से बंद रहा जिस कारण खादी का कारोबार का सीजन पूरी तरह से पिट गया । लॉक डाउन खुलने के बाद ग्राहकों की संख्या भी बढ़ने लगी है ।उम्मीद है जल्दी ही कारोबार पटरी पर आ जायेगा ।