नई दिल्ली (20 मार्च 2020-और पासा पलट गया। याद करो 16 दिसंबर 2012 की वो रात जब एक बेबस लड़की चार दरिंदो के आगे इज़्ज़त की, ज़िंदगी की और रहम की भीख मांर रही थी। चारों दरिंदे बेक़ाबू थे, हैवान थे। और बेबस कम़ज़ोर लड़की हार गई।
रात के अंधेरे में उसकी इज़्ज़त को तार तार करने और मौत की नींद सुलाने वालों के साथ भी वही सब कुछ हुआ। निर्भया अपनी मौत के सात साल बाद जीत गई। चारों दरिंदे सात साल तक अपनी जान की और रहम की भीख मांगते मांगते हार गये। निर्भया की इज़्ज़त तार तार करने वालों की इज़्ज़त पूरी दुनियां के सामने, हर अदालत के दर पे न सिर्फ बेआबरू हुई बल्कि कुछ ही घंटो में एक बेबस लड़की को मौत देने वाले सात साल तक तिल तिल कर मरते रहे।
16 दिसंबर 2012 के निर्भया केस ने पूरे देश को हिला दिया था। लेकिन 20 मार्च 2020 में इसके दरिंदो को मिली सज़ा ने देश को समाज को एक उम्मीद बख़्शी है कि अब कोई दरिंदा अपनी हैवानियत से पहले चार बार सोचेगा और हर बेटी अब बेख़ौफ हो सकेगी कि क़ाननू अपना काम करने को मौजूद है।
हमारी दुआ है कि ये सज़ा एक काले युग का अंत हो और एक उज्जवल भविष्य की शुरुआत ताकि हर पिता, हर मां हर बहन और बेटी सुरक्षित माहौल में सांस ले सके।
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