कोरोनावायरस (कोविड-19) के संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए संपूर्ण भारत लॉकडाउन का आज 8वां दिन है। लेकिन अभी भी बड़े शहरों में रोज कमाने-खाने वाले लोग अपने गांवों की ओर पलायन कर रहे हैं। मध्यप्रदेश के हरपालपुर का रहने वाला एक मजदूर 4 दिन पहले नोएडा से अपनी पत्नी को रिक्शे पर बैठा कर अपने 550 किमी के सफर पर निकला है। उसकी पत्नी का कहना है कि दिन का सफर तो ठीक रहा, लेकिन रात होते ही डर लगने लगता था।
मध्यप्रदेश के हरपालपुर का रहने वाला परिवार
मध्य प्रदेश के हिस्से में पड़ने वाले बुंदेलखंड के हरपालपुर के रहने वाले बृजकिशोर बुधवार को अपना रिक्शा लेकर झांसी से गुजर रहे थे। उन्होंने बताया कि गांव में रहते हुए साहूकारों का इतना कर्ज बढ़ गया था कि मैं अपनी पत्नी के साथ 2 साल पहले नोएडा चला गया। नोएडा में जब कोई काम नहीं मिला तो मैं रिक्शा चलाने लगा और मेरी पत्नी घरों में झाड़ू-पोछा करने लगी। जैसे-तैसे हम अपनी जिंदगी का गुजर-बसर करने लगे।
लेकिन पहले 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और उसके बाद संपूर्ण लॉकडाउन ने हमारा रोजगार पूरी तरह से छीन लिया। रिक्शा चलना बंद हो गया और पत्नी जिस घर में झाड़ू-पोछा करती थी, उस घर के मालिक ऐसी नजरों से देखते थे जैसे वही कोरोना की मरीज हो। इसके बाद उसे काम पर आने के लिए मना कर दिया। अब हम दोनों पूरी तरह से बेरोजगार हो चुके थे। मकान मालिक ने भी घर से जाने के लिए बोल दिया। दिन में पुलिस ने नहीं निकलने दिया तो शाम होते ही हम रिक्शे से निकल आए।
हर आदमी तक सरकारी इमदाद पहुंचे, यह जरूरी नहीं
बृज किशोर की पत्नी माया बताती है कि मेरे पति लगातार चार दिनों से रिक्शा चला रहे हैं। नोएडा से हमारे घर की दूरी 550 किमी है। हम रास्ते में पूरी 4 राते बिता चुके हैं। दिन में तो सामान्य स्थिति रहती है रात होते ही डर लगने लगता है। भगवान की कृपा है कि अभी तक हम सही सलामत है। रास्ते में कुछ मददगार होने थोड़ा बहुत खाने पीने को भी दिया। अब गांव में पहुंचते ही साहूकार परेशान करेंगे, क्योंकि हमारे ऊपर उनका कुछ कर्ज है। सरकार द्वारा मदद किए जाने की बात पर माया कहती हैं कि कहने और हकीकत में बहुत बड़ा फर्क होता है। हर आदमी तक सरकारी मदद पहुंचना मुमकिन नहीं होती है।