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industrial disaster बड़े हादसों से बचने का देश में ही होगा इंतज़ाम

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नई दिल्ली (3 जनवरी 2022)- औधोगिक क्षेत्रों में होने वाली दुर्घटनाओं से नुक़सान को कम करने की तकनीक देश में विकसित करने की तैयारी। स्वर्णजयंती फेलो बॉयलर में वाष्प विस्फोट से होने वाली दुर्घटनाओं की भविष्यवाणी और नियंत्रण की स्वदेशी टेक्नोलॉजी विकसित कर रहे हैं
वाष्प विस्फोट के कारण बॉयलर में दुर्घटनाओं की भविष्यवाणी करने तथा ऐसी दुर्घटनाओं पर नियंत्रण की स्वदेशी टेक्नोलॉजी विकसित करने में शीघ्र ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन अध्ययन का उपयोग किया जा सकता है ताकि ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सके। पिछले 10 वर्षों में विश्व में 23,000 बॉयलर दुर्घटनाएं हुई हैं। विश्‍व की इन दुर्घटनाओं में मरने वालों में 34 प्रतिशत भारत के हैं।
इस चुनौती से निपटने के लिए आईआईटी, पटना के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर तथा इस वर्ष के भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा प्रारंभ स्वर्णजयंती फेलोशिप प्राप्‍त करने वाले प्रोफेसर ऋषि राज एक नई टेक्‍नालॉजी पर काम कर रहे हैं। ऋषि राज वाष्‍प विस्‍फोट के कारण होने वाली बॉयलर दुर्घटनाओं की भविष्‍यवाणी और नियंत्रण के लिए आर्टिफिशियल्‍स इंटेलिजेंस/मशीन अध्‍ययन का उपयोग कर रहे हैं।
बॉयलिंग प्रक्रिया की ऑनलाइन निगरानी तथा नियंत्रण के लिए स्‍वदेशी टेक्‍नॉलाजी स्‍वास्‍थ्‍य, दक्षता तथा प्रमुख औद्योगिक तथा रणनीतिक एप्‍लीकेशनों में इस्‍तेमाल बॉयलरों के अर्थ प्रबंधन में सहायक होगी। यह गर्म सबस्‍ट्रेट पर बुलबुले के विज्ञान की मौलिक जानकारी और रसायनिक, थर्मल, परमाणु, पेट्रोलियम, अंतरिक्ष आधारित तथा मैन्‍युफैक्‍चरिंग एप्‍लीकेशनों में इस्‍तेमाल की जाने वाली व्‍यापक प्रणालियों में बॉयलिंग होने के बीच की खाई को पाटती है।
प्रोफेसर राज ने हाल में दिखाया कि बुलबुलों के साथ जुड़ी ध्‍वनि संबंधी फिंगर प्रिंट बॉयलिंग विज्ञान समझने में सहायक हो सकता है। थर्मल तथा ऑप्टिकल चरित्र चित्रण की रणनीतियां वास्‍तविक तीन आयाम की बॉयलिंग का परिमाप करती हैं। तुलनात्‍मक दृष्टि से बॉयलिंग ध्‍वनि साख्यिकीय रूप से सम्‍पन्‍न तथा अस्‍थाई रूप से समाधान के लिए दी गई सूचनाओं को ग्रहण करती हैं। इस उद्देश्‍य के लिए प्रोफेसर ऋषि राज के शोध समूह ने ध्‍वनि उत्‍सर्जन आधारित गहन संरचना विकसित की है, जो बॉयलर आधारित प्रणालियों में अनियंत्रित विफलताओं को दूर करने के लिए बॉयलिंग संकट की अग्रिम भविष्‍यवाणी करने में सक्षम है। दबाव और तापमान में अचानक वृद्धि के कारण एप्‍लीकेशनों के लिए बहुत अधिक बॉयलिंग या बुलबुलों का बनना घातक होता है।
प्रोफेसर राज का प्रस्‍ताव है कि स्‍वर्णजयंती फेलोशिप के सहयोग से आकार संख्‍या घनत्‍व तथा बुलबुला बनने के क्रम के संदर्भ में बुलबुले के व्‍यवहार को देखेंगे और इसे ध्‍वनि तथा थर्मल (तापमान) से जोड़ेंगे ताकि समस्‍या की जड़ का पता लग सकें और घटना की भौतिकी की व्‍याख्‍या की जा सके।
संभावित लक्ष्‍य प्रभावशाली बुलबुला गतिविधियों को चिन्हित करना है ताकि एकल ध्‍वनि सेंसर (हाईड्रोफोन) का उपयोग करते हुए बॉयलिंग प्रणाली की अग्रिम भविष्‍यवाणी के लिए भौतिकी सूचना उपकरण विकसित की जा सके। यह उपकरण औद्योगिकी बॉयलरों में वाष्‍प विस्‍फोट से होने वाली दुर्घटनाओं के प्रथम नियंत्रण के रूप में तैनात किया जा सकता है।
इस संबंध में प्रोफेसर ऋषि राज का प्रस्‍ताव फीडबैक नियंत्रण रणनीति दिखाना है ताकि आईआईटी पटना में लगाए गये 30 केडब्‍ल्‍यू फायर ट्यूब बॉयलर में अवांछित थर्मल गति टालने के लिए सहायक कुलिंग इकाईयां शुरू की जा सकें। उनके अतिरिक्‍त प्रदर्शनों में कुछ सैकड़ा से हजार डिग्री (थर्मल गति) तापमान में अचानक वृद्धि को अंतरिक्ष आधारित शून्‍य गुरूत्‍व स्थितियों में बॉयलर के बदलते परिदृश्‍य में बॉयलर संकट के दौरान समाप्‍त किया जा सके और छोटे इलेक्ट्रिक उपकरणों के लिए स्‍मॉर्ट थर्मल प्रबंधन समाधान निकाले जा सके। तापमान में ऐसी अचानक और अधिक वृद्धि का सामान्‍य परिणाम दबाव में वृद्धि होता है या धात्विक घटकों में पिघलन आती है जिससे रिसाव तथा विस्‍फोट या अन्‍य घटनाएं होती हैं।
इस परियोजना के हिस्‍से के रूप में हुई प्रगति ने न केवल बॉयलिंग के विज्ञान को आगे बढ़ाने का अनुमान किया है, बल्कि इससे आशा है कि वर्तमान बॉयलरों में आधुनिक पूर्वाभाषी तथा स्‍वास्‍थ्‍य प्रबंधन उपकरणों के क्रियान्‍वयन में तेजी आएगी। बॉयलरों के आधुनिकीकरण के कारण सुरक्षा में सुधार, अनुपलब्‍धता में कमी के कारण उच्‍च उत्‍पादकता तथा ऊर्जा तथा जल संसाधनों के अधिकतम उपयोग का एक साथ अनुमान किया जाता है ताकि महत्‍वपूर्ण स्थिरता चुनौतियों से निपटा जा सके।

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आज़ाद ख़ालिद टीवी जर्नलिस्ट हैं, सहारा समय, इंडिया टीवी, वॉयस ऑफ इंडिया, इंडिया न्यूज़ सहित कई नेश्नल न्यूज़ चैनलों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। Read more

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