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इंडियन आइडल यूं तो आप अक्सर देखते रहते हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसे हीरो से मुलाक़ात कराते हैं जिसको ज़िद है…ज़िद भी ज़िंदगी से न हारने की। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जो कि दिव्यांग तो हैं लेकिन उन्होने ना सिर्फ सरकारी नौकरी करते हुए प्लास्टिक के तारों से खूबसूरत अंदाज़ में कुर्सी भी बिन रहे हैं। कुर्सी तो बहुत लोग बीनते हैं लेकिन एक दिव्यांग को कुर्सी बीनते देख कर लोग ठहर जाते हैं और कुछ देर रुक कर उसे कुर्सी बीनते देखते रहते हैं । हमीरपुर कलेक्ट्रेट में कुर्सी बुनने वाले रामपाल बिल्हौर के रहने वाले हैं। दिव्यांग होते हुए इनको 1982 में कुर्सी बुनकर टेक्नीशियन के पद पर नौकरी मिली और तब से ही यह अपनी नौकरी को बखूबी निभा रहे हैं। रामपाल का कहना है कि राजकीय अंधविद्यालय लखनऊ में इन्होने शिक्षा ली है, बेदकला प्रशिक्षण विषय की भी दो साल की ट्रेनिंग ली है। सरकारी नौकरी में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी दिव्यांग रामपाल ने बताया की उनको कुर्सी बुनने में बिलकुल भी दिक्कत नहीं होती, और वह ज़िले के सभी कार्यालयों की कुर्सी बखूबी और समय पर बुन कर देते हैं। फिलहाल यह नौकरी के आखरी पड़ाव पर हैं, क्यूंकि अगले साल इनका रिटायरमेंट होना है। एक बेटी है जो बीए कर रही है, बेटे का बीए कम्प्लीट है, दूसरा बेटा इंटर कर रहा है। बिल्हौर में थोड़ी बहुत खेती है उसी के पैदावार से अनाज मिल जाता है।
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