1962 में भारत और चीन के बीच जंग का नतीजा भले ही चीन की तरफ रहा था, लेकिन इसके 5 साल बाद ही भारत ने चीन को सबक सिखा दिया। सिक्किम में सितंबर और अक्टूबर में भारत और चीन सेना के बीच दो झड़पें हुईं। इसमें चीन के 340 सैनिक मारे गए और 450 घायल हुए। भारत के 88 जवान शहीद हुए।
चीनी सैनिकों की तरफ से हमला होने के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई की थी। 11 और 15 सितंबर 1967 को नाथू ला और अक्टूबर में चो ला में दोनों देशों के सैनिकों में टकराव हुआ था।
1967 में क्या था लड़ाई का कारण
चीन के सैनिकों ने 13 अगस्त 1967 को नाथू ला में भारतीय सीमा से सटे इलाकों में गड्ढा खोदना शुरू किया था। इस दौरान कुछ गड्ढे सिक्किम के अंदर खोदे जाते देख भारतीय जवानों ने चीनी कमांडर से अपने सैनिकों को पीछे हटने के लिए कहा। इसके बाद 1 अक्टूबर को नाथू ला से थोड़ी दूर चो ला में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई।
वाजपेयी चीनी दूतावास के बाहर भेड़ लेकर पहुंचे थे
1967 के भारत-चीन संघर्ष से जुड़ा एक दिलचस्प वाकया भी है। चीनी सैनिकों ने आरोप लगाया था कि भारतीय सैनिकों ने उनकी कुछ भेड़ें जबर्दस्ती अपने कब्जे में ले लीं। इस आरोप के विरोध में अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली स्थित चीनी दूतावास के आगे भेड़ों का एक झुंड उतार दिया था। वाजपेयी तब 43 साल के थे और सांसद थे।
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