चुनाव के नजदीक आते ही कश्मीर मे अलगाववाद की बायनबाज़ी कितनी हद तक आगे बढ़ गई है, उसका सिर्फ आप अंदाजा ही लगा सकते हैं। जो पार्टियां खुद को मेनस्ट्रीम पार्टियां कहती है। जो पार्टियां खुद को संविधान के दायरे में रहकर काम करने की बात करती है। उन्ही के मुंह से अब चुनाव के वक्त अलगाववाद वाली बायनबाजी हो रही है। कश्मीर में बढ़ते तनाव को कम करने की बजाए जम्मू-कश्मीर की रीजनल पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस उसे और बढ़ाने की कोशिश कर रही है। इसी कोशिश में बांडीपोरा की एक चुनावी रैली के दौरान उमर अब्दुल्ला ने तालियां बटोरने के लिए विवादित बयान दिया। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर का भारत में विलय कुछ शर्तों के साथ हुआ था, हमारा वजीर-ए-आजम और रियासत-ए-सदर भी था जिसे हटा दिया गया, लेकिन उसे भी हम वापस लेकर आएंगे।
उमर अब्दुल्ला के इस बायन से देश में सियासत गर्मा गई। उमर अब्दुल्ला का बयान कितना बड़ा और गंभीर था, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कुछ ही देर के अंदर पीएम मोदी ने अपनी रैली में उमर के बयान का जवाब दिया। पीएम मोदी ने दूसरी विपक्षी पार्टियों से इस मुद्दे पर अपनी स्थिति को साफ करने को तो कहा ही साथ ही उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जबतक मोदी है तब तक ऐसा नहीं हो पाएगा। आपको बता दें कि 1975 से पहले जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री को ही वजीर-ए-आजम और राज्यपाल को ही सदर-ए-रियासत कहा जाता था। हालांकि, इंदिरा गांधी-शेख अब्दुल्ला के समझौते के बाद इसे हटा दिया।