ग़ाज़ियाबाद/नई दिल्ली (31 जनवरी 2018)- क्या कोई ये सोच सकता है कि राजदीप सरदेसाई जैसा पत्रकार किसी डॉक्टर की ज़िंदगी में ज़हर घोल सकता है? क्या कोई इस बातपर यक़ीन करेगा कि स्व. काशीराम के हाथों मार खा चुके और पत्रकारिता के नाम पर रातो रात आम आदमी के नेता बनने का ख़्वाब देखने वाले आषुतोष थोड़े-बहुत व्यसायिक लाभ के लिए मरीज़ो का मसीहा माने जाने वाले किसी डॉक्टर और उसके परिवार की रातों की नींद हराम कर सकते हैं ? क्या ये सोचा भी जा सकता है कि राघव बहल जैसा मंझा हुआ पत्रकार अपने रिपोर्टरों के हाथों किये गये किसी स्टिंग की ताक़त के सामने गरीबों का इलाज कर रहे किसी सरकारी डॉक्टर को विलेन साबित करने की कोशिश कर सकते हैं ? पत्रकारों की फहरिस्त लंबी है, इसमें एक नहीं पूरे नौ ऐसे नाम शामिल हैं जो ख़ुद को पत्रकारिता के दिग्गज के तौर पर पेश करते आए हैं। लेकिन अब इन सभी की कथित काली करतूत इनके लिए मुसीबत बनती जा रही है।
जी हां लगभग 10 साल पुराना स्टिंग का एक जिन्न राजदीप सरदेसाई, आशुतोष, राघव बहल,मुखर्जी, संजय राय चौधरी, हर्ष चावला, समीर मनचंदा और जमशेद ख़ान के लिए मुसीबत बनता जा रहा है।
दरअसल जुलाई 2006 में आईबीएन 7 चैनल पर एक स्टोरी दिखाई गई थी। राजदीप सरदेसाई की कप्तानी और आशुतोष की कारस्तानी में इनकी टीम ने शैतान डॉक्टर के नाम से स्टिंग प आधारित एक स्टोरी दिखाई थी। जिसमें उत्तर प्रदेश के एक सरकारी अस्पताल के डॉक्टर अजेय अग्रवाल के नाम पर एक कथित स्टिंग दिखाया गया था। लेकिन इस स्टिंग के बारे में आरोपी बनाए डॉक्टर अजेय अग्रवाल का कहना था ये पूरी तरह झूठा और फ़र्जी स्टोरी थी और इसमें सभी आरोप गलत थे। डॉक्टर अजेय अग्रवाल का आरोप था कि इन लोगों ने ब्लैकमेल करने के उद्देश्य से उनके ख़िलाफ फर्ज़ी ख़बर चलाई और उनकी छवि को ख़राब किया।
अपने ख़िलाफ बेहद अफसोसनाक और झूठे आरोपों पर आधारित ख़बर के ख़िलाफ डॉक्टर अजेय अग्रवाल ने गाजियाबाद की अदालत का दरवाज़ा खटखटाया। जिसके बाद मामला हाइकोर्ट तक जा पहुंचा और इन लोगों की गिरफ्तारी तक आदेश जारी कर दिये गये। अजेय अग्रवाल ने बताया कि नहीं चेनल और सभी पत्रकारों की ख़बर को इलाहाबाद हाइकोर्ट ने न सिर्फ स्टिंग को झूठा माना बल्कि निंदात्मक भी कहा। लेकिन इस पूरे मामले को सबसे गंभीर पहलू ये था कि इलेंक्ट्रॉनिक मीडिया पर झूठी ख़बर दिखाने पर ज़िम्मेदारी किसकी होगी ये बात केबिल नेटवर्क एक्ट तक में स्पष्ट नहीं थी। लेकिन चूंकि प्रिंट मीडिया में एडिटर ही ज़िम्मेदार होता है, इस पर अजेय अग्रवाल ने बताया कि अब इलैक्ट्रॉनिक मीडिया में भी गलत खबर चलाए जाने पर पूरी टीम ही ज़िम्मेदार होगी। इसके बाद अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि झूठी खबर चलाए जाने के इस मामले में राजदीप सरदेसाई, आशुतोष समेत सभी नौ लोगों के ख़िलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है।
ऐसे में डॉक्टर अजेय अग्रवाल का कहना है कि राजदीप सरदेसाई, आशुतोष समेत सभी नौ लोगों ने मिलकर अपने व्यसायिक लाभ और ब्लैकमेलिंग के लिए न सिर्फ उनकी छवि को ख़राब किया बल्कि समाज में डॉक्टरों के भरोसे को भी तोड़ने की कोशिश की है। जिसके लिए उनके ख़िलाफ कार्रवाई होन चाहिए। डॉक्टर अजेय अग्रवाल ने अपोज़िशन न्यूज़ डॉट कॉम से बात करते हुए कहा कि ऐसे ब्लैकमेलरों और समाज विरोधी लोगों का असल ठिकाना जेल ही है, और