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hindi and india हिंदी भारत के विकास की कुंजी

-हिंदी की राष्ट्रीय,अंतरराष्ट्रीय सार्वभौमिकता व स्वीकार्यता..
महात्मा गांधी ने कहा है कि राष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए अत्यंत आवश्यक हैl हिंदी संवैधानिक रूप से भारत की राजभाषा है, किंतु व्यवहारिक रूप से उसे यह सम्मान अभी तक प्राप्त नहीं हो सका हैl भारत में अधिकांश लोग खासकर बड़े अफसर तथा उच्च शिक्षित लोग हिंदी बोलना अपने कम पढे लिखे होने का परिचायक मानते हैं। आपस में अंग्रेजी में बात करना गौरव का विषय समझते हैंl ब्रिटेन के वाल्टर कैनिंग ने स्पष्ट रूप से कहा है कि विदेशी भाषा का किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र की बातचीत एवं शिक्षा की भाषा होना सांस्कृतिक दासता को दर्शाता हैl एक विदेशी भाषा होने के बावजूद अंग्रेजी भाषा को राजकाज तथा आम चलन में विशेष महत्व दिया जाता है, जो अंग्रेजी भाषा की मानसिक गुलामी का द्योतक हैl हिंदी को अपने वास्तविक सम्मान प्राप्त करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा हैl वस्तुतः हिंदी को 14 सितंबर 1949 को राजभाषा का दर्जा दे तो दिया गया है,पर केंद्रीय मंत्रालय में सरकारी कामकाज की भाषा अब तक अंग्रेजी ही है, और उसका व्यापक रूप से प्रयोग किया जा रहा हैl कार्यालयों के बाहर तथा अंदर “कृपया हिंदी भाषा का प्रयोग करें” लिखकर इतिश्री कर ली जाती हैl निसंदेह है यह भारतीय भाषा का अपमान हैl हिंदी को राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वग्राही होना चाहिएl अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जो भारतीय मूल के लोग विदेशों में बसे हैं, वे भी आपस में अंग्रेजी मैं ही बात करने मैं अपने को गौरवान्वित महसूस करते हैंl हिंदी संवैधानिक रूप से राजभाषा तो है, पर यह सिर्फ सैद्धांतिक रूप से स्वीकार्य हैl इसे यत्र तत्र सर्वत्र व्यापक रूप से स्वीकार्य होना चाहिएl हिंदी राष्ट्र की सर्वाधिक आत्मसात की गई भाषा तो है ही, इसके अलावा बांग्ला, उर्दू, पंजाबी, तेलुगू, तमिल,कन्नड़, मलयालम, ओड़िया, मराठी आदि संविधान द्वारा राष्ट्र की मान्य भाषाएं हैंl पर इन सभी भाषाओं में हिंदी का स्थान सर्वोपरि हैl संविधान के अनुच्छेद 384 के खंड 1 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि भारत संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी, और संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयुक्त होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतरराष्ट्रीय रूप होगाl भारत संविधान में 22 भाषाओं को मान्यता प्राप्त हैl आज देश में हिंदी बोले जाने वाले लोगों की संख्या लगभग 45 करोड़ हैl भारत में भौगोलिक रूप से अनेक प्रदेश, केंद्र शासित प्रदेश हैं और वहां पर भाषा की विभिन्नता तथा विविधता का नतीजा है कि देश में भाषावाद की स्थिति उत्पन्न हुई हैl और हिंदी भाषा को दूरगामी नुकसान उठाना पड़ रहा हैl कुछ क्षेत्रीय राजनैतिक नेता आज भी यह नहीं चाहते हैं कि हिंदी को राजभाषा का नैतिक तथा आम स्वीकारोक्ति का यथोचित सम्मान प्राप्त हो। इस बात का संसद तक में विरोध किया जाता हैl
इतिहास गवाह है कि स्वतंत्रता काल से ही स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेताओं ने यह महसूस किया था कि हिंदी दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्र को छोड़कर पूरे राष्ट्र की संपर्क भाषा है, और देश के विभिन्न भाषा भाषी आपस में विचार विमर्श करने के लिए हिंदी का सहारा लेते थे और ले रहे हैंl और हिंदी की सार्वभौमिकता के कारण ही हिंदी को राजभाषा का सम्मानीय दर्जा दिया गया हैl पर इसे इसकी व्यापकता तथा गहराई को देखते हुए राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया जाना चाहिएl
हिंदी, राष्ट्र के बहुसंख्यक लोगों द्वारा बोली और समझे जाने वाली भाषा हैl और इसकी लिपि देवनागरी है, जो अत्यंत सरल एवं सहज हैl हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसमें विदेशी भाषाओं के शब्दों को सरलता से आत्मसात करने की शक्ति है, इसमें देशवासियों में भावनात्मक एकता को एक सूत्र में बांधने की पूर्ण क्षमता भी हैl डॉ राजेंद्र प्रसाद जी ने भी कहा है कि हिंदी आदिकाल से ऐसी भाषा रही है, जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी विदेशी भाषा के शब्द अथवा शब्दावली का बहिष्कार नहीं किया। डॉ नौटियाल ने अपने शोध अध्ययन 2012 में यह सिद्ध किया है कि हिंदी विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। और इसने अंग्रेजी भाषा को भी पीछे छोड़ दिया है। वैसे भी भारत की जनसंख्या के अनुसार यह 46% लोगों द्वारा बोले जाने वाली भाषा है। हिंदी आज भारत की प्रमुख संपर्क भाषा है पर चंद लोग अंग्रेजी को भारत की संपर्क भाषा कहने का दुस्साहस करते हैं,परंतु वे भूल जाते हैं की अंग्रेजी देश के आम आदमी की भाषा में कभी थी ना कभी हो पाएगी। एनी बेसेंट ने भी सत्य कहा है कि भारत के विभिन्न प्रांतों में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं में जो भाषा सबसे प्रभावशाली बन कर सामने उभरी है वह है हिंदी। जो व्यक्ति हिंदी जानता है, पूरे भारत की यात्रा कर सकता है। हिंदी बोलने वालों से हर तरह की जानकारी प्राप्त कर सकता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भी भारत में अपने उत्पाद का प्रचार प्रसार करने के लिए हिंदी भाषा का सहारा लिया है।, हम यह मानते हैं कि अंग्रेजी एक अंतरराष्ट्रीय भाषा है जो बड़ी-बड़ी कंपनियों एवं विदेशों में अच्छे पद रोजगार प्राप्त करने का माध्यम बन चुकी है। इस कारण से हिंदी के अपमान एवं इसकी अवहेलना का उसे अधिकार प्राप्त नहीं हो गया है। यह तर्कसंगत तथा सर्व स्वीकार्य भी नहीं है। हिंदी देश की संवेदनशील एवं भावनात्मक भाषा है, एवं राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधने तथा विराट विचार विमर्श की क्षमता वान भाषा है। जिसे न सिर्फ रात में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत देश के विदेशों में रहने वाले लोगों को भी इस बात को स्वीकार करना चाहिए, तब जाकर हमारी हिंदी भाषा को गौरव तथा सम्मान प्राप्त हो सकेगा। #hindiandindia #hindi #hindidiwas #hindiday

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(लेखक संजीव ठाकुर ऑन्रेरी हमारे साथ जुड़े हैं।)

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आज़ाद ख़ालिद टीवी जर्नलिस्ट हैं, सहारा समय, इंडिया टीवी, वॉयस ऑफ इंडिया, इंडिया न्यूज़ सहित कई नेश्नल न्यूज़ चैनलों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। Read more

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