जनता role of public servent को जनसेवक धमकाने के लिए होते हैं या उनकी समस्याओं का निदान करने के लिए। क्या देश की सियासत indian politics अब सिर्फ जनता को मूर्ख बनाने या सांप निकल जाने के बाद लकीर पीटने के लिए काम कर रही है। दरअसल ये तमाम सवाल हाथरस कांड hathras case की मौजूदा स्थिति के बाद उठ रहे हैं। राहुल गांधी rahul gandhi का दावा है कि उनको हाथरस rahul gandhi in hathras जाने से दुनियां के कोई ताकत नहीं रोक सकती। उनके साथ 35 सासंद 35 member of parliament (35 mps) भी हाथरस जाने को बेचैन हैं। उधर उत्तर प्रदेश के डीजीपी up dgp और मुख्य सचिव chief secretyary in hathras तक हाथरस जा पहुंचे हैं। ये सभी लोग हाथरस की उसी बदनसीब बेटी के घर जाने को बेताब हैं जिसके साथ होने वाले रेप की एफआईआर fir 9 दिन तक नहीं लिखी गई थी। एक गरीब दलित poor dalit की वही बेटी 15 दिन तक जिंदगी संघर्ष के victims death in hospital बाद अस्पताल में मौते से हार गई। लेकिन हमारे मेन स्ट्रीम मीडिया indian media पर कंगना और सुशांत ही चलता रहा। सवाल यही है कि आखिर उस बेटी का रात के अंधेरे में परिजनों के बगैर अंतिम संस्कार करने वाली व्यवस्था से परिवार कैसे इंसाफ की उम्मीद करे। साथ ही मीडिया रिपोर्ट्स media reports on hathras case के मुताबिक परिवार का ये भी आरोप है डीएम साहब ने कहा कि जाओ देखों कि तुम्हारे खाते मे कितना पैसा आ गया है। साथ ही परिजनों का ये भी आरोप है हमारी बेटी का अंतिम संस्कार रात के अंधेरे में हमारे बगैर ही कर दिया गया। इस पर डीएम साहब ने कहा कि अगर तुम शव देख लेते तो कई दिन तक खाना नहीं खा पाते। बहरहाल इस घटना ने इतना तो साफ कर दिया है कि समाज को बहुत कुछ सोचने की जरूरत है। news with azad khalid में azad khalid के साथ आज इतना ही। #hathrascase #rahulgandhi #rahulgandhi_in_hathras #rahulgandhionhathras #azadkhalid #newswithazadkhalid
