नई दिल्ली (20 जुलाई 2022)- जनजातीय युवाओं के हर क्षेत्र में विकास को लेकर मोदी सरकार बेहद गंभीर है। इसी कड़ी में गोल यानि गोइंग ऑनलाइन एज लीडर्स जनजातीय कार्य मंत्रालय और मेटा (पहले फेसबुक) की एक संयुक्त पहल है। इसका उद्देश्य मेंटॉर (सलाहकार या प्रशिक्षण देने वाला) और मेंटी (प्रशिक्षु) की अवधारणा के माध्यम से जनजातीय युवाओं व महिलाओं का डिजिटल सशक्तिकरण करना है।
गोल कार्यक्रम के पहले चरण को मई, 2020 में एक प्रमुख परियोजना के रूप में शुरू किया गया था। इस चरण में प्रशिक्षुओं को तीन पाठ्यक्रम आधारों में 40 घंटे से अधिक का प्रशिक्षण प्रदान किया गया था। ये पाठ्यक्रम थे- 1) संचार व जीवन कौशल, 2) डिजिटल उपस्थिति को सक्षम बनाना और 3) नेतृत्व व उद्यमिता। गोल कार्यक्रम के पहले चरण के तहत 23 राज्यों के 176 जनजातीय युवाओं को एक ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया के माध्यम से चयन किया गया। फेसबुक ने प्रशिक्षुओं को एक स्मार्ट फोन व इंटरनेट कनेक्टिविटी भी प्रदान की गई थी।
वहीं, गोल कार्यक्रम के दूसरे चरण (गोल 2.0) को 28 जून, 2022 को शुरू किया गया। इसका उद्देश्य उद्यमिता को बढ़ावा देकर और डिजिटल तकनीक का उपयोग करके जनजातीय युवाओं के कौशल को डिजिटल रूप से उन्नत बनाना था।
चरण- I में एक प्रशिक्षक को दो प्रशिक्षकों से जोड़कर ऑनलाइन डिजिटल मेंटरशिप प्रदान की गई। पहले चरण से से प्राप्त शिक्षण के आधार पर दूसरे चरण के डिजाइन में बदलाव किया गया। योजना के तहत प्रशिक्षु बनने के लिए आवेदन आमंत्रित करने की जगह गोल- 2 कार्यक्रम जनजातीय समुदाय के सभी लोगों के लिए खुला होगा। इस कार्यक्रम का उद्देश्य जनजातीय युवाओं को फेसबुक लाइव सत्र और एक डिजिटल शिक्षण उपकरण- मेटा बिजनेस कोच के माध्यम से कौशल को बढ़ाना और डिजिटल रूप में सक्षम बनाना है। 50,000 वन धन स्वंय सहायता समूहों के 10 लाख से अधिक सदस्यों पर विशेष फोकस रहेगा। वे अपने उत्पादों की बाजार मांग, पैकेजिंग, ब्रांडिंग और विपणन को लेकर डिजिटल रूप से प्रशिक्षित होंगे। गोल- 2 के तहत विभिन्न क्षेत्रों के उद्योग विशेषज्ञों से लाइन सत्रों के आधार पर प्रशिक्षुओं की जरूरतों के अनुरूप चैटबॉट के प्रावधान के साथ जनजातीय युवाओं में प्रशिक्षण के लाभों की अधिकतम भागीदारी और लाभ को सक्षम बनाएगा।
यह कार्यक्रम पूरी तरह से मेटा (फेसबुक इंडिया) की ओर से वित्त पोषित है। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए कोई व्यय नहीं किया है या कोई धनराशि उपलब्ध नहीं कराई है।
संचार प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिकी मंत्रालय के समन्वय से जनजातीय कार्य मंत्रालय इस कार्यक्रम के तहत चुने गए 175 ईएमआरएस विद्यालयों में से हर एक में 6 डिजिटल कक्षाएं प्रदान करेगा। यह परियोजना ईआरनेट की ओर से कार्यान्वित की जा रही है, जो संचार प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिकी मंत्रालय के पास उपलब्ध एसटीसी निधि के माध्यम से और 10 फीसदी वित्त पोषण एनईएसटी की ओर से किया जा रहा है।
कौशल भारत मिशन के तहत कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय अपनी महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) को लागू कर रहा है। पीएमकेवीवाई 3.0 के तहत डिजिटल प्रौद्योगिकी व उद्योग 4.0 में कौशल विकास पर भी ध्यान दिया गया है। क्षेत्र कौशल परिषदों (एसएससी) ने नई और उभरती डिजिटल तकनीकों व उद्योग 4.0 कौशल जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) में भी रोजगार का सृजन किया है। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के पास साल 2022-23 के दौरान जनजातियों के कौशल विकास से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों के लिए अनुसूचित जनजाति घटक (एसटीसी) के तहत 203 करोड़ रुपये का बजट है।
इसके अलावा कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) ने ई-स्किल इंडिया पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन कौशल विकास की शुरुआत की है। यह मंच डिजाइन थिंकिग, परियोजना प्रबंधन और डिजिटल मार्केटिंग जैसे पेशेवर कौशल के साथ-साथ उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे कि साइबर सुरक्षा, ब्लॉकचेन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता व मशीन लर्निंग, प्रोडक्टिव मॉडलिंग, स्टैटिस्टिकल बिजनेस एनालिटिक्स, क्लाउड व इंटरनेट ऑफ थिंग्स सीखने के अवसर प्रदान करता है।
पीएमकेवीवाई योजना के तहत डिजिटल कौशल के प्रशिक्षण के लिए अलग से कोई निधियों का आवंटन नहीं है। पीएमकेवीवाई योजना के केंद्र प्रायोजित राज्य प्रबंधित (सीएसएसएम) घटक के तहत राज्य/केंद्रशासित प्रदेश- वार निधियों के आवंटन का प्रावधान है।
इसके अलावा शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, केंद्रीय प्रायोजित योजना ‘समग्र शिक्षा’ के व्यापक दायरे के तहत स्कूली शिक्षा के व्यवसाय उन्मुख (वोकेशनल) करने की पहल को कार्यान्वित कर रहा है। इसके तहत योजना के अधीन आने वाले विद्यालयों में 9वीं से 12वीं कक्षा तक के जनजातीय छात्रों सहित स्कूली छात्रों के लिए एनएसक्यूएफ के अनुरूप व्यावसायिक पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। इनमें संचार कौशल, स्व-प्रबंधन कौशल, सूचना व संचार प्रौद्योगिकी कौशल, उद्यमिता कौशल व हरित कौशल शामिल हैं।
यह जानकारी केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने लोकसभा में दी।
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