अपनी ही दाढ़ी को ही घिस्सा लगाया है गाजियाबाद के जनप्रतिधियों ने
गाजियाबाद जिले ने अपनी 44 साल की यात्रा के अनेक उतार चढाव देखे हैं। एक जमाने में इस जिले में फसले लहलाती थी आज वहीं पर गगनचुंबी इमारतें लहरा रही हैं। कई बार ऐसे भी क्षण आए कि गाजियाबाद शहर को देश का सबसे प्रदूषित शहर का तगमा मिला। किसान अपनी मांगों को लेकर लंबे अर्से से यहां पर आंदोलनरत है। आज तक यहां के निकलने वाले कूड़े का निस्तारण करने का इंतजाम नहीं हो सका है। औद्योगिक नगरी का दर्जा भी लगभग छिन चुका है।
शिक्षा हासिल करने का मौका केवल अमीर लोगों को ही मिल रहा है। चूंकि जो कालेज यहां पर संचालित हो रहे हैं ज्यादातर औद्योगिक घरानों द्वारा चलाए जा रहे हैं। जबकि जिस वक्स 14नवंबर 1976 को तत्कालीन सांसद बीपी मौर्य व तत्कालीन शहर विधायक शहीद प्यारेलाल शर्मा के प्रयासों के बाद गाजियाबाद तहसील को जिला घोषित किया गया था तो यहां के वाशिंदों की यही आशा था कि अब गाजियाबाद का विकास सुनियोजित ढंग से होगा लेकिन ऐसा हो नहीं सका। तब से अब तक कुंवर महमूद अली,केएन सिंह, केसी त्यागी,डा.रमेश चंद तोमर,सुरेंद्र प्रकाश गोयल, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह गाजियाबाद से सांसद रह चुके हैं। वर्तमान में सांसद वीके सिंह हैं जो केंद्र में राज्यमंत्री है। इसके अलावा नगर निगम पर डीसी गर्ग, दमंयती गोयल, तेलूराम कांबोज, अशु वर्मा मेयर रह चुके हैं जबकि वर्तमान में आशा शर्मा मेयर हैं। इसके अलावा बालेश्वर त्यागी, राजपाल त्यागी कई-कई बार प्रदेश में मंत्री रहे और लंबे समय तक गाजियाबाद का प्रतिनिधित्व किया इसके अलावा केके शर्मा, शहीद प्यारेलाल के सुपुत्र सुरेंद्र कुमार मुन्नी समेत कई दिग्गज राजनीतिज्ञ जनप्रतिनिधि रहे लेकिन दिल्ली से सटा गाजियाबाद आज तक भी वह आकार नहीं ले सका जिसका हकदार वह है। आज भी कौड़ियों के भाव में अपनी मां यानि जमीन को गवांने वाले किसान आंदोलन की राह पर हैं। ज्यादातर उद्योग बंद हैं। बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। लेकिन जनप्रतिनिधि आज भी मौन हैं।
इतने बड़े-बडे़ पदों पर भी ये रहे लेकिन आज तक ये एक भी ऐसी नजीर पेश नहीं
सके हैं जिनमें आने वाली पीढ़ी याद रख सके। दर असल ये जनप्रतिनिधि
प्रतिभाशाली थे और इन्होंने मेहनत तो की लेकिन यह मेहनत इन्होंने जनता के
लिए नहीं बल्कि खुद व खुद के परिवार के लिए की। आज ज्यादातार जनप्रतिनिधि
कई-कई सौ करोड़ के हैं। लेकिन जनता को सस्ती शिक्षा तक नसीब नहीं है। नई
पीढ़ी भी अब तो सवाल करने लगी है कि आखिर पूर्व के जनप्रतिनिधियों के
गाजियाबाद के आम आदमी के लिए क्या किया। इन्होंने अपनी दाढी में घिस्सा
लगाने वाली कहावत को चरितार्थ किया है।
(वरिष्ठ पत्रकार फरमान अली की कलम से) #ghaziabad #ghaziabad_leaders #ghaziabad_news #ghaziabad_update #गाजियाबाद #गाजियाबाद_समाचार #ghaziabad_politics
