.गाजियाबाद में देश के पहले शहीद मंदिर का निर्माण शुरू
-शहीदो के इतिहास से संबंधित पुस्तके और साहित्य भी उपलब्ध होगा-
गाजियाबाद(23 जून 2020)- देश में अभी तक आपने विभिन्न धर्मों के गिरजाघर गुरुद्वारा मस्जिद एवं मंदिरों के बारे में सुना होगा जहां लोग अपने ईष्ट देवी देवताओ की पूजा व इबादत करते हैं, लेकिन देश की राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद जनपद के मेरठ रोड सेवा नगर स्थित बालनाथ आश्रम परिसर में शहीद मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है जहां देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले बलिदानियो की हर दिन पूजा अर्चना नियमित रूप से होगी ।यह मंदिर देश का पहला मंदिर होगा जहां किसी भगवान या इष्ट देवता की मूर्ति नहीं होगी बल्कि देश की आजादीे और भारत मा की आन और शान पर अपने आपको कुर्बान करने वाले शहीदों की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी।शहीद मंदिर के निर्माण करने के लिए शहीद मंदिर ट्रस्ट का गठन भी कर दिया गया है। ट्रस्ट के संचालक 75 वर्षीय सन्यासी स्वामी बाल नाथ जी ने बताया कि 22 अप्रैल 2016 को विधि विधान के साथ शहीद मंदिर का शिलान्यास हो चुका है एअब इसके निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गयी है । लाॅकडाउन क कारण निर्माण कार्य रूक गया था । खास बात यह है कि शिलान्यास के दौरान चंद्रशेखर आजाद के परिजन एलाला जगत नारायण के पुत्र विजय चोपड़ाए मेरठ से महान स्वतंत्रता सेनानी शहीद ए आजम मंगल पांडे के परिजन और धौलाना व आसपासके इलाको में रह रहे एशहीदों के परिजन इस शिलान्यास समारोह के साक्षी बने थे । इस संबंध में सन्यासी स्वामी बालनाथ से तफसील से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि शहीदों का बलिदान हमेशा हर आदमी के जुबान से साफण्साफ देश सुने और उनकी राष्ट्रभक्ति में उनके त्याग और बलिदान का आभार व्यक्त करें एइस अभिलाषा के क्रम में उन्होंने शहीद मंदिर बनाने का अभियान शुरू किया है। उन्होने कहा कि देश की आजादी के लिए अपने प्राणो की आहुति देने वाले शहीदो ने किसी भी स्वार्थ या लाभ से उपर होकर अपने प्राणो की बाजी उस समय देश के लिए लगा दी थी। इसलिए आजादी के इन हीरो की पूजा होनी चाहिए । देश की फौज में शामिल जवानो को अब वेतन भी मिलता है एशहीद होने के बाद उनके परिजनो को मुआवजा दिया जाता है ए गोया देश की आजादी के लिए कुर्बान होने वाले किसी भी वीर के परिजनो ने आज तक कोई मुवाअजा या लाभ सरकार से नही लिया है। स्वामी बाल नाथ ने शहीदों के नाम पर घटिया राजनीति करने वाले राजनेताओं को फटकार लगाते हुए कहा कि यह जुमला काफी पुराना हो गया है कि शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशा होगा। उन्होंने कहा कि ऐसे मेलों को आज की राजनीति निगल चुकी है।उन्होंने कहा शहीद मंदिर में शहीदों के इतिहास और साहित्य से संबंधित पुस्तकें भी रखी जाएंगी ताकि युवा पीढ़ी यह जान सके कि इस देश को आजाद कराने और सरहदों की रक्षा करने में हमारे शहीदों का कितना बड़ा योगदान रहा है जिसके चलते आज पूरा देश खुले में सांस ले रहा है। इस मंदिर के निर्माण में कोई सरकारी अनुदान नहीं लिया जा रहा है बल्कि इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में समाज से जुड़े लोग अपना आर्थिक सहयोग कर रहे हैं इस विशालकाय शहीद मंदिर के निर्माण पर एक करोड़ से भी अधिक खर्चा आने का अनुमान है। स्वामी बालनाथ ने देश प्रेमी दान वीरों से अपील की है कि वह खुद आकर इस पवित्र यज्ञ में अपनी आहुति दें ताकि देश की युवा पीढ़ी राष्ट्र निर्माताओं के बारे में तफसील से जान सके।