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कई साल से बीजेपी के वफादार जितिन प्रसाद का कांग्रेस से औपचारिक तलाक़!

नई दिल्ली (9 जून 2021)- तीन पीढ़ियों से कांग्रेस में सत्ता की पहचान पा रहे और कांग्रेस द्वारा कई कई बार सांसद और मंत्री बनाकर मत्रांलयों तक में भेजे गये जितिन प्रसाद जी बीजेपी में शामिल हो गये हैं। अगर गहराई से देखा जाए तो आज सिर्फ औपचारिक घोषणा हुई है कि जितिन प्रसाद जी बीजेपी में चले गये हैं, क्योंकि मीडिया रिपोर्ट्स से ज़ाहिर है कि कई साल से वो कांग्रेस के वफादार तो थे नहीं, बल्कि उनकी वफादारी किसी ठिकाने को तलाश कर रही थी जो कि उनके ही मुताबिक़ पिछले 7-8 साल से बीजेपी के तौर पर तय हो चुकी थी। आज बात करते हैं कि जितिन प्रसाद बीजेपी क्यों गये हैं ? क्या जितिन प्रसाद की अतिमहत्वाकांक्षा इसका कारण रही या कई साल से जनता, समाज, क्षेत्र और कार्यकर्ताओं से धोखा,कांग्रेस से गद्दारी और बीजेपी के प्रति उनकी वफादारी को भांपने के बाद कांग्रेस हाइकमान ने उनको न सिर्फ नज़रअंदाज़ करना शुरु कर दिया था बल्कि यह मैसेज भी दे दिया था कि आप भले ही कांग्रेस की कृपा की मलाई खाते रहे हों लेकिन अब आपकी असलियत बेनक़ाब हो चुकी है? इस पर भी बात करेंगे कि क्या कुछ चापलूस कांग्रेस हाइकमान को न सिर्फ घेरे रखने की कोशिश करके जनता को दूर कर देते हैं, बल्कि संकट के समय सबसे पहले इसी तरह के लोग पार्टी को धोखा भी देते आए हैं। आइए लेते हैं जायज़ा।
9 जून 2021 बुधवार कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए कष्टकारी और यादगार हो सकता है। क्यों… इसका ज़िक्र बाद में। एक ज़माना था कि लोगों ने देखा और कुछ को याद भी होगा कि जब स्व. इंदिरा जी, स्व. राजीव जी के बाद हेमवती नंदन बहुगुणा, स्व. माधवराव सिंधिया जी, राजेश पायलट जी, और स्व. जितेंद्र प्रसाद जी जैसे कई नेता कांग्रेस के बड़े हस्ताक्षर माने जाते थे। जबकि मौजूदा दौर में भी श्रीमति सोनिया गांधी जी, राहुल गांधी और प्रियंका जी ( ये नाम इसलिए कि लोगों को लगता है कि नेहरु-गांधी परिवार को घसीटना ही सियासत है) के अलावा रीता बहुगुणा, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट,जितिन प्रसाद, मुरली देवड़ा, अरविंदर लवली, जैसे कई ऐसे नाम थे जिनके इर्द गिर्द ही कांग्रेस की राजनीति और चर्चा घूमती सी नज़र आती रही है। अगर बात करें इनके अपने जनाधार की तो राजनीति और सत्ता कई दूसरे लोगों की तरह इनको भी विरासत मे मिली है। कोई भी संपदा या राजकाज या फिर दौलत विरासत में मिलना कोई गुनाह नहीं है। और उसका सम्मान करना और उसको बनाए रखना हर बड़े साम्राज्य के वारिस के लिए बड़ी चुनौती भी होती है। जहां तक राजनीति का सवाल है तो लगभग हर दल में सिर्फ विरासत को संभालने वाले वारिसों की लंबी फहरिस्त मौजूद है। चाहे नई नई बनी पीस पार्टी के डॉक्टर अय्यूब हों, तो उनको भी ओवेसी बंधुओं की तरह ओवेसी ब्रदर्स एंड संस या फिर मुलायम सिंह एंड संस एंड ब्रदर्स पर ही भरोसा दिखा, यानि अपना ही बेटा अपना परिवार ! चाहे बात, विरासत की राजनीति के विरोध से कभी उभरे स्व. चौधरी चरण सिंह जी की हो या फिर चौघरी देवीलाल जी की हो..तो उनके यहां भी बेटा पोता और बहुंओं तक ही मामला सिमट कर रह गया है। चिराग पासवान, सुप्रिया सुले, अनुराग ठाकुर, पंकज सिंह, नीरज सिंह आदि जैसे राजनीतिक वारिसों की लिस्ट लंबी है। तो ऐसे में बिना पारिवारिक आधार या फिर नये और बिना किसी राजनीतिक बैक ग्राउंड या विरासत के किसी भी कार्यकर्ता का राजनीतिक गलियों में ख़ाक छानना बेहद मुश्किल और चुनौतीपूर्ण हो जाता है। लेकिन वो जीत और उपलब्धि ही क्या जिसमें चुनौती न हो… तो किसी भी बिना जड़ यानि पारिवारिक विरासत वाले और सिर्फ जनता की लड़ाई के दम पर सियासत का सफर चुनने वाले लोग फिलहाल कामयाब हों या न हों लेकिन राजनीति के कड़े संघर्ष और रोमांच को एंज्वाय ज़रूर कर सकते हैं।
हां तो हम कह रहे थे कि आज का दिन थोड़ा खास है। दरअसल आज कांग्रेस के दिग्गज, बेहद होनहार, राजनीति में अपने दादा और पिता की तीन पीढ़ियों की विरासत को संभालने वाले, कई बार संसद और मंत्रालयों तक का सफर तय कर चुके श्री जितिन प्रसाद का पार्टी छोड़कर बीजेपी मे शामिल हो जाना कांग्रेस की राजनीति के लिए बड़ी घटना है। जितिन प्रसाद जी उस कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गये हैं जिसको उनके स्व. पिता ने बेहद सम्मान दिया और सियासी तौर पर बहुत कुछ हासिल भी किया। खुद जितिन प्रसाद जी कई बार संसद भेजे गये, मंत्री बनाए गये। लेकिन उनको उसी कांग्रेस में घुटन हो रही थी जहां के कार्यकर्ताओं तक की सांसो पर उनका कब्जा था। बहरहाल जितिन प्रसाद जी को बधाई वो जहां रहें खुश रहें जनता की ऐसे ही सेवा करते रहे जैसा वो पहले भी करते रहे हैं।
लेकिन आज हर कांग्रेसी के मन में शायद कुछ सवाल भी हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ बीजेपी ज्वाइन करते समय कथिततौर पर जन्मजात कांग्रेसी जितिन प्रसाद ने कहा कि वो पिछले 7-8 साल से महसूस कर रहे थे संस्थागत तौर पर अगर कोई राजनीतिक दल है तो वह बीजेपी है। तो क्या जितिन प्रसाद जी आप कांग्रेस में रहते हुए पिछले 7-8 साल से न सिर्फ काग्रेस से बल्कि अपने समर्थकों, कार्यकर्ता, क्षेत्र तक से गद्दारी कर रहे थे ? यानि आप थे तो कांग्रेस में… लेकिन वफादारी बीजेपी से थी ? शायद यही वजह कि आपने अपने समाज, क्षेत्र और काग्रेस कार्यकर्ताओं की न सिर्फ आवाज़ को नहीं सुना बल्कि उनको अपमानित तक किया है? मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जितिन प्रसाद ने यह भी कहा कि देश के वर्तमान हालात ऐसे हैं कि उनसे निबटने में केवल बीजेपी ही सक्षम है। यानि 15 लाख का वादा, कालाधन, 5 ट्रिलियन की इकॉनॉमी, बुलेट ट्रेन, 100 स्मार्ट सिटी, क्योटो सिटी, स्वच्छ गंगा, माल्या, नीरव मोदी, 20 लाख करोड़ का पैकेज, नदियों में तैलती लाशें, शमशान में जगह नहीं, गंगा घाट और नदियों के किनारे रेत में दबी लाशें, आपदा में अवसर जैसे जुमलों के बीच फंसे आम भारतीय की पीड़ा को नज़र अंदाज़ करने वाले यही जितिन प्रसाद कांग्रेस द्वारा क्या कई कई बार संसद नहीं भेजे गये, मंत्री नहीं बनाए गये? तो क्या वो अपनी नाकामी को भी कांग्रेस पार्टी की नाकामी मानते हैं ? उन्होने कहां कि मैं जनता की सेवा नहीं कर पा रहा था। लेकिन इसके लिए जितिन जी आपे खुद ही दोषी हैं, और आपकी नाकामी की सज़ा मिली है, कांग्रेस को। क्योंकि बार बार आपको टिकट देकर देखा गया, लेकिन जनता आपसे आपकी नाकामी से नाराज़ थी, और उसने आपको नकार दिया ? अगर आप जनता की सेवा करते, जो कि कई बार मंत्री बनने और सांसद बनने के बावजूद आप नहीं कर पाए ,तो शायद आज हालात कुछ और होते ! आपका कार्यकर्ता, आपका क्षेत्र, समाज और समर्थक आपको दिल्ली भेजता है, लेकिन दिल्ली से वापस आप उसको क्या लाकर देते हैं, इसी आधार पर आपका राजनीतिक रिपोर्ट कार्ड बनता है ? फाइव स्टार कल्चर और ए.सी में बैठ कर कार्यकर्ता की मेहनत का अपमान करने वाले अक्सर अपनी नाकामी का ठीकरा दूसरों पर ही फोड़ते हैं? कांग्रेस का सबसे मज़बूत आधार ब्राहम्ण समाज, आपका क्षेत्र, आपके समर्थक जिनकी भलाई के लिए कांग्रेस ने आपको ज़िम्मेदारी सौंपी थी, आपने उनको क्या दिया, ये सबको मालूम है ? दो दिन पहले ही आपके घर से शायद कुछ ही दूरी पर एक ही परिवार के 4 लोगों ने भूख, कर्ज़ और बेरोज़गारी से तंग आकर अपनी ज़िंदगी को ख़त्म कर लिया। लेकिन चूंकि खुद आपने ही स्वीकार किया है कि कांग्रेस में रहने के बावजूद आप पिछले 7-8 साल से बीजेपी के वफादार हैं! तो भला आपको आपको अपने क्षेत्र के लोगों का दर्द और सिस्टम की नाकामी क्यों दिखाई देती ? इसीलिए आप ख़ामोश रहे और ठीकरा फोड़ेंगे दूसरों पर ? आप बताएं कि अपने क्षेत्र अपने शहर या जनपद या समाज में से आपने किसी एक शख्स को राजनीतिक रूप से कांग्रेस हित में दूसरी पंक्ति के लिए तैयार किया हो ? सिर्फ इसलिए नहीं कि आपके पिता के बाद आपकी ही तरह आपके बाद आपके ही वारिस को सियासी कमान मिल सके ? बहरहाल कहा यही जाता है कि राजनीति में न कोई स्थाई दोस्त होता है, न कोई स्थाई दुश्मन ! इसलिए आपने कई दशक तक अपनी जनता के प्यार, कार्यकर्ताओं की मेहनत और कांग्रेस की कृपा से सत्ता की मलाई चाटी, लेकिन वक़्ती तौर पर आए संकट के समय में सत्ता सुख भोगने के लिए नया ठिकाना तलाश कर लिया है ? आपको बधाई !
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि जितिन जी को खुद को पार्टी में हाशिए पर रखे जाने से शिकायत थी, नज़रअंदाज़ किये जाने से शिकायत थी, जनता की सेवा नहीं कर पा रहे थे। हर कांग्रेसी कार्यकर्ता और किसी भी दल का कोई भी कार्यकर्ता ये बता सकता है कि कई कई बार संसद में जा चुके, कई बार मंत्री बनाए गये किसी भी नेता की हाशिए पर रखे जाने की शिकायत जायज़ है या फिर ग़द्दारी? इस सबसे बावजूद जितिन जी आपको हर बार हर चुनाव में टिकट दिया गया, जीतना या हारना आपके द्वारा किया गया काम और आपकी जनता का फैसला है। लेकिन सच्चाई यही है कि खुद आपका यह बयान कि पिछले 7-8 साल से आपको बीजेपी पंसद थी तो इसमें आपकी वफादारी बेनक़ाब हो चुकी है! बहरहाल आप बड़े नेता हैं, आपसे आपका कार्यकर्ता सवाल करने का अधिकार नहीं रखता, लेकिन जब वो आपके लिए दरियां बिछाकर नारे लगाकर आपको दिल्ली तक भेजता है, तो आप उसके लिए क्या ले जाते हो ये तो बीजेपी में रह कर भी बताना पड़ेगा?
लेकिन हर सच्चे कांग्रेसी के लिए आज का दिन यादगार क्यों है, इसको समझना होगा ? कांग्रेस सिर्फ एक राजनीतिक पार्टी ही नहीं बल्कि एक विचारधारा है सोच है ! इसके सच्चे कार्यकर्ता को इससे कोई मतलब नहीं कि कांग्रेस सत्ता में है या सत्ता से बाहर ! वह सिर्फ देशहित में कांग्रेस की भूमिका को लेकर ताना बाना बुनता रहता है। कई दशक तक कांग्रेस सत्ता में रही, सच्चा कार्यकर्ता मलाई से दूर ही रहा, कांग्रेस सत्ता से बाहर है उसकी वफादारी में कोई कमी नहीं आई। लेकिन आज बात उनकी भी हो जाए जिनकी मौजूदगी में कांग्रेस का आम कार्यकर्ता न सिर्फ हाशिए पर रहता है बल्कि उनके घेरे को तोड़कर हाइकमान तक पहुंच पाना किसी आम कार्यकर्ता के बस की बात नहीं। चाहे बात रीता बहुगुणा जोशी की हो या ज्योतिरादित्य सिंधिया,लवली या फिर आज के जितिन प्रसाद जी जैसे कई लोग ये तमाम लोग ऐसे थे, जो न सिर्फ अपनी राजनीतिक ताकत के दम पर आम कार्यकर्ता और हाइकमान के बीच एक घेरा बनाकर रखते थे, बल्कि जहां पार्टी के तरफ से जनहित मे कुछ दिये जाने की या पद या जिम्मेदारी दिये जाने की बात होती तो, इन्ही ताकतवर लोगों की कोशिश होती है कि आम कार्यकर्ता तक उसका लाभ न पहुंच सके। जिसका सीधा नुक़सान पार्टी को ही होता है, क्योंकि पार्टी को खड़ा करने वाला हताश व अपमानित कार्यकर्ता या तो मुंह छिपाए पार्टी से वफादारी निभाता रहता है या फिर अपने वजूद को बचाने के लिए नया घर तलाश करता है, जबकि पार्टी के सफेद हाथी मलाई को आगे भी जारी रखने के लिए संकट के समय जहाज के डूबने के भय से ही चूहों की तरह सबसे पहले कूदते हैं। जबकि कांग्रेस जहाज़ नहीं बल्कि ख़ुद एक सियासी समंदर है। सिर्फ राजनीतिक पार्टी ही नहीं विचारधारा है, जहां से लोगों का आना जाना लगा रहेगा। लेकिन जिस समय देश के, जनता के सवालों को लेकर विपक्ष के मजबूत स्तंभ और सिपाही की तरह कांग्रेस और सोनिया जी, राहुल व प्रियंका जी मज़बूती से आवाज़ उठा रहे थे, ऐसे समय में कुछ आस्तीनों की जीवों की खामोशी और गद्दारी से बेहतर था कि उनका मुखौटा बेनक़ाब हो जाए।

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(लेखक आज़ाद ख़ालिद टी.वी पत्रकार हैं, डी.डी आंखों देखीं, सहारा समय,इंडिया टीवी,इंडिया न्यूज़ समेत कई नेश्नल न्यू़ज चैनलों में महत्वपूर्ण भूमिकाओं में कार्य कर चुके हैं, वर्तमान में एक हिंदी समाचार पत्र व अपोज़िशन न्यूज़.कॉम में संपादक की भूमिका निभा रहे हैं।)

former minister and congress leader jitin prasad join bjp
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