
नई दिल्ली (18 नवंबर 2019)- शिक्षा का अधिकार, राइट टू एजुकेशन या सबको शिक्षा की बातों के बजाय इन दिनों पुलिस की लाठी ख़ासी चर्चा में है। उन्नाव के किसानों के जिस्म पर उत्तर प्रदेश पुलिस, तो दिल्ली में छात्रों के शरीर दिल्ली पुलिस की लाठियों के सबुत देखे जा सकते हैं। उत्तर प्रदेश के उन्नाव में किसान अपनी ही ज़मीन के मुआवज़े की मांग कर रहे थे तो यू.पी पुलिस को शिकायत हो गई। तो उधर देश की राजधानी दिल्ली में कल का भविष्य यानि छात्र अपनी मांगों के लिए पुलिस की लाठी का सामना कर रहे हैं।
दिल्ली में जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी JNU के छात्रों और दिल्ली पुलिस लगभग आमने सामने हैं। छात्र फीस वृद्धि के खिलाफ संसद की तरफ मार्च कर रहे थे।जेएनयू के छात्रों को क़ाबू करने लिए पुलिस ने पूरी ताक़त झोंक रखी है। दिल्ली पुलिस ने यूनिवर्सिटी के गेट पर एक हजा़र से ज्यादा 1200 पुलिसकर्मी तैनात कर दिये हैं। सोमवार की सुबह से ही हजारों की तादाद संसद की तरफ मार्च के लिए निकले छात्रों की पुलिस से झड़प भी हुई। जिसमें कई लोग घायल हो गए हैं। छात्रों ने जेएनयू के गेट पर लगाए गए तीन बैरिकेड को उखाड़ डाला। बाद में पुलिस से संघर्ष के बाद छात्रों ने बेर सराय के पास लगा बैरिकेड भी तोड़ दिया। फिर संसद की तरफ बढ़ रहा छात्रों का मार्च भीकाजी कामा प्लेस फ्लाईओवर तक पहुंच गया। पुलिस ने स्टूडेंट्स को संसद तक जाने के रोकने के लिए उनको सफदरजंग टॉम्ब के पास ही रोक दिया, और छात्र वहीं धरने पर बैठ गए। प्रदर्शन के दौरान छात्रों पर पुलिस के लाठीचार्ज की चर्चा है। कई हल्कों में इसको लेकर पुलिस की आलोचना हो रही है कि प्रदर्शन करने वाले छात्र लोकतांत्रिक अधिकारों के तहत मांग कर रहे हैं। उनको रोकने के लिए पुलिस का लाठीचार्ज गलत है।
जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी जेएनयू छात्रों को लेकर अब सियासत भी शुरु हो गई है। इसको लेकर जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार का कहना है कि देश की इकॉनिमी ट्रिलियन की बनेगी तो एक यूनिवर्सिटी के लिए क्यों कुछ नहीं हो सकता। शरद यादव का कहना है कि छात्रों के साथ सरकार का व्यवहार दुर्भाग्यपूर्ण है। साथ ही उन्होने कहा कि बढ़ाई हुई फीस वापिस लेनी चाहिए।
उधर ख़बर ये भी है कि प्रदर्शन कर रहे छात्रों के कुछ सदस्य मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव से मिलेंगे ताकि फीस बढ़ोतरी को लेकर अपनी बात रख सकें। इस बीच मैट्रो सेवा को बहाल किया गया है। उद्योग भवन, पटेल चौक और केंद्रीय सचिवालय के द्वार खोल दिये गये हैं। जबकि तीनों स्टेशनों पर ट्रेनें रुकने लगी हैं। लेकिन लोक कल्याण मार्ग और जोर बाग बंद हैं। कहा जा रहा है कि जेएनयू छात्रों की मांग को मानते हुए हिरासत में लिए गए 50 से ज्यादा छात्रों को छोड़ा जा रहा है।
इस सबके बीच छात्रों ने बेहद गंभीर सवाल उठाए हैं। छात्रों की तरफ से जारी एक पर्चे में सवाल उठाया गया है कि फरवरी 2019 की सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक शिक्षा की मद के लगभग 94000 करोड़ रुपयों का इस्तेमाल नहीं किया गया है। छात्रों का ये भी कहना है कि सीएजी रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि रिसर्च और विकास कार्यों के 7298 करोड़ रुपये भी खर्च नहीं हुए हैं। उनका ये भी आरोप है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने पब्लिक फंडेड एजुकेशन के दरवाजे विदेशी और कॉर्पोरेट शिक्षा के लिए बंद कर दिए हैं। उन्होने सवाल उठाया कि क्या इसी वजह है कि 5.7 लाख करोड़ बैड लोन और 4 लाख करोड़ टैक्स रिबेट्स कॉर्पोरेट को दिए गए, लेकिन पब्लिक फंडेड एजुकेशन के लिए कुछ नहीं दिया गया।
छात्रों ने सीधे सीधे जन प्रतिनिधियों और सांसदों से भी सवाल किये हैं। उन्होने कहा कि नीति निर्माता इस बात का जवाब दें कि शिक्षा अधिकार है, विशेषाधिकार नहीं। छात्रों ने सीधे तौर पर सांसदों को घेरते हुए सवाल तिये हैं। उन्होने पूछा है कि क्या ये लोग बढ़ी हुई फीस पर छात्रों का साथ देंगे। क्या सभी के लिए वे पब्लिक फंडेड एजुकेशन की मांग करेंगे। छात्रों ने पूछा है कि क्या वे पब्लिक फंडेड एजुकेशन पर हो रहे प्रहार को रोकेंगे?