2019 लोकसभा चुनाव में पार्टियों के नेताओं की बयानबाजी इतनी गिर जाएगी ये किसी ने सोचा नहीं था। सियासी वार-पलटवार के बीच नेताओं के बयान महिलाओं को भी अपमानित करने लगेंगे ये भी किसी ने नहीं सोचा था। हालांकि एक ओर जहां आजम खान और मेनका गांधी अपने-अपने बयानों को लेकर विवादों में है। वहीं दूसरी पार्टियों के नेता भी किसी से पीछे नहीं है। नेताओं की दबंगई तो आपने पहले भी देखी होगी, लेकिन ये नेता प्रशासनिक संस्थानों को लेकर भी क्या सोचते है ये संजय राउत और आजम खान के बयानों से साफ दिखता है।
एक कहते है कि भाड़ में गया कानून, आचार संहिता हम देख लेंगे और एक कहते है किसी कलेक्टर, फ्लेक्टर से मत डरना। इन नेताओं की हिम्मत इतनी ज्यादा इसीलिए बढ़ गई है, क्योंकि इन्हे यकीन है कि इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने वाली। साथ ही इन नेताओं की दबंगई भी है, जिसको लेकर भी ऐसे नेता सरकारी तंत्र पर हमला बोलने से पीछे नहीं हटते।
कहां तो सभी नेताओं को आम लोगों से जुड़े मुद्दे पर बात करनी थी। कहां तो नेताओं को जनता के मुद्दे उठाकर एक दूसरे से सवाल पूछना चाहिए था, लेकिन चुनावी मुद्दे तो छोड़िए जनाब यहां तो कोई महिलाओं को अपमानित कर रहा है। कोई जनता को ही धमकी दे रहा है तो, कोई प्रशासन पर ही अपनी दबंगई दिखा रहा है। ऐसे नेताओं के बोल इसीलिए बिगड़े है। क्योंकि इनको किसी का डर नहीं है। डर ना पार्टी का न समाज का न प्रशासन का और ना ही चुनाव आयोग का l