वाराणसी. कोरोनावायरस का प्रभाव तेजी से फैलता जा रहा है। इसको लेकर जिला प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट है। एक तरफ जहां मुनाफाखोरों के खिलाफ प्रशासन अभियान चला रहा है वहीं ड्रोन कैमरे की नजर से पूरे जिले में लॉकडाउन की स्थिति का जायजा भी लिया जा रहा है। इस बीच लॉकडाउन की वजह से जिन परिवारों में भोजन का संकट पैदा हो रहा है ऐसे लोगों की मदद के लिए अनाज बैंक सामने आया है। अनाज बैंक में दो वर्ष तक की बच्चों का भी खाता खुलावाया गया है ताकि उनकी मदद की जा सके। अनाज बैंक प्रतिदिन 200 पीड़ित परिवारों भोजन उपलब्ध कराने में जुटा हुआ है।
अधिकारियों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान अक्सर देखा जा रहा है कि गली मोहल्लों में लोगो की भीड़ इकट्ठी हो रही है। पुलिस ऐसे लोगों की पहचान और कार्यवाही करने के लिए बजरडीहा समेत कई इलाकों में ड्रोन कैमरे से निगरानी करने लगी है। पुलिस लगातार इस बात का एनाउंस भी कर रही हैं। पुलिस का कहना है कि जिन गलियों मोहल्लों में भीड़ की सूचना हो रही है, उसे दूर से ड्रोन उड़ाकर पहले फोटो वीडियो ले लिया जा रहा है, फिर उनपर चिन्हित कर कार्यवाही होगी।
डीएम कौशल राज ने बताया कि वाराणसी में उत्तर प्रदेश बॉर्डर से 29 व 30 मार्च (2 दिन) में 7893 यात्री आए हैं। जिसमें 828 यात्री वाराणसी के हैं। इस दौरान 104 बसें आई। 118 बस अन्य जनपदों को भेजी गईं। सभी यात्रियों का थर्मल स्कैनिंग की गई है। कोई संदिग्ध नहीं पाया गया गया है।
अनाज बैंक में अब तक वयस्कों की खुलता था खाता
अभी तक अनाज बैंक में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवार की वयस्क महिलाओं के नाम से निकासी खाता खोलकर अनाज दिया जाता था, लेकिन कोरोनावायरस के चलते हुए लॉकडाउन के बाद अब बच्चों को भी भोजन देने की व्यवस्था की जा रही है। दरअसल, जिले के कमच्छा पर रहने वाले महेंदर मोची की 1 साल बच्ची निधि जब दो दिन से बिना दूध के भूख से तड़प रही थी और इसकी सूचना अनाज बैंक को मिली तब अनाज बैंक ने उसे दूध भेजा। इसके बाद अनाज बैंक में दो साल के बच्चों का भी खाता खोले जाने की प्रक्रिया शुरू की गई
अनाज बैंक के संस्थापक चेयरमैन डा राजीव श्रीवास्तव ने फैसला लिया कि अब अनाज बैंक में 0 से 2 वर्ष के बच्चों का उन्हीं के नाम से खाता खोला जायेगा और पहला खाता महेन्दर मोची की 1 साल की बच्ची निधि के नाम से खोलकर उसको पासबुक दे दिया गया।
उन्होंने बताया कि अब निधि कभी भूख से पीड़ित नहीं होगी क्योंकि अनाज बैंक ने उसकी गारंटी ली है। 1 साल की निधि ने अनाज बैंक को अपना फैसला बदलने को मजबूर कर दिया, इसलिये बच्चों के लिये जारी होने वाला पासबुक अब ʺनिधि पासबुकʺ के नाम से जाना जायेगा और निधि बच्चों को भूख से मुक्ति दिलाने की अनाज बैंक की मुहिम की ब्रांड अम्बेसडर बनाई गयी।
200 परिवारों को जारी किया गया पासबुक
अनाज बैंक की प्रबंध निदेशक अर्चना भारतवंशी ने बताया कि कोरोना लॉकडाउन को देखते हुये 200 भूख से पीड़ित परिवारों को चिन्हित कर अनाज बैंक का पासबुक जारी कर दिया गया। अब इन्हें प्रतिदिन भोजन उपलब्ध कराया जायेगा। इसके अलावा 100 बच्चों को भी चिन्हित किया गया है, जिनके नाम से खाता खोलकर अनाज बैंक द्वारा दाल का पानी और दूध उपलब्ध कराया जायेगा। अभी अनाज बैंक द्वारा जनता कर्फ्यू के समय से ही 500 पैकेट भोजन भूख पीड़ितों तक पहुंचाया जा रहा है।
अनाज बैंक की 24 घंटे की रसोई
नजमा परवीन, नाजनीन अंसारी डा मृदुला जायसवाल खुशी भारतवंशी इली भारतवंशी उजाला भारतवंशी शालिनी भारतवंशी सुनीता श्रीवास्तव पूनम श्रीवास्तव मैना देवी पार्वती उर्मिला गीता सरोज प्रभावती लीलावति रमता श्रीवास्तव और किशुना अपनी सेवा दे रही हैं।