नई दिल्ली (09 अक्तूबर 2019)- प्राकृतिक आपदाओं से निबटने की दिशा में भारत ने एक क़दम और बढ़ा दिया है। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन का दावा है कि भारतीय वैज्ञानिकों की मेहनत रंग लाने लगी है। आपदा संबंधी चेतावनी के लिए आपातकालीन जानकारी और संचार तथा समुद्री राज्यों में मछुआरों के लिए चेतावनी तथा मछली संभावित जोन (पीएफजेड) के लिए केंद्र सरकार ने आज गगन आधारित समुद्री संचालन और जानकारी उपकरण (जैमिनी) का शुभारंभ किया। नई दिल्ली में उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने कहा कि उपग्रह पर आधारित संचार प्रणाली आपात स्थिति में चक्रवाती तूफान, ऊंची लहरों और सुनामी से निपटने के लिए जानकारी प्रदान करने में सहायता दे सकती है। जहां पीएफजेड समुद्र में मछुआरों को मछली की जानकारी देगी वहीं ओएसएफ समुद्र की वास्तविक स्थिति राज्यों को बतायेगी। उन्होंने कहा कि समुद्री राज्य भविष्यवाणी (ओएसएफ) में अगले पांच दिनों के लिए दैनिक आधार पर हर छह घंटे में हवा, समुद्री करंट, पानी के तापमान आदि पर भविष्यवाणी सम्मिलित की गई है। इससे मछुआरों को अपनी आय बढ़ाने के साथ-साथ उनकी सुरक्षा और मछली पकड़ने संबंधी गतिविधियों की योजना बनाने में सहायता मिलेगी।
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने कहा कि हालांकि कई सारे माध्यमों द्वारा भविष्यवाणी जारी करने के बावजूद कोई भी संचार माध्यम मछुआरों के तट से 10 से 12 किलोमीटर दूर जाने के बाद कोई भी ऐसी जानकारी प्रदान कर पाता है। यह मछुआरों के समुद्र में मछली पकड़ने के लिए 50 नॉटिकल माइल से आगे जाने और कभी-कभी 300 नॉटिकल माइल तक जाने के दौरान प्रभावी नहीं रह जाता है। इसकी कमी 2017 में आये ओची चक्रवाती तूफान के दौरान महसूस की गई जब चक्रवाती तूफान के प्रभावी होने से पहले मछुआरे समुद्र में जा चुके थे और उन्हें इस तूफान की जानकारी नहीं दी जा सकी। इसके फलस्वरूप कई लोगों की मृत्यु हुई और बचाये गए लोगों को गंभीर चोट लगने के साथ-साथ मछली पकड़ने वाली नौकाओं और साजो-सामान को बड़ा नुकसान पहुंचा।
पीआईबी द्वारा जारी एक रिलीज़ के मुताबिक़ डॉ. हर्षवर्द्धन ने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केन्द्र ने भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के साथ सहयोग कर गगन उपग्रह प्रणाली का उपयोग कर मछुआरों को पीएफजेड, ओएसएफ और आपदा चेतावनी देने का काम शुरू किया। जैमिनी उपकरण गगन सेटेलाइट से प्राप्त डाटा को ब्लूटूथ कम्युनिकेशन द्वारा मोबाइल में प्राप्त किया जा सकता है। भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केन्द्र द्वारा विकसित मोबाइल एप्लीकेशन से इस सूचना को नौ क्षेत्रीय भाषाओं में प्रदर्शित किया जाता है।
इस अवसर पर डॉ. हर्षवर्द्धन ने पीएफजेड भविष्यवाणी का उद्घाटन भी किया। डॉ. हर्षवर्द्धन ने कहा कि पीएफजेड भविष्यवाणी मछुआरों के लिए बेहद मददगार साबित हुई है। आज छह लाख से अधिक मछुआरे अपने मोबाइल पर जानकारी प्राप्त कर रहे हैं इससे उन्हें मछली ढूंढने में व्यर्थ होने वाले समय को बचाने में सहायता मिली है।
Post source : pib
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