पतंजलि आयुर्वेद ने बीते मंगलवार को कोरोना ठीक करने की दवा कोरोनिल लॉन्च की थी। आयुष मंत्रालय ने इस दवा के प्रचार पर रोक लगाते हुए पतंजलि आयुर्वेद से इसकी पूर्ण जानकारी मांगी है। यह पहला मौका नहीं है, जब पतंजलि आयुर्वेद के किसी उत्पाद या प्रोजेक्ट पर सरकार ने सवाल उठाए हैं। 2014 से स्वदेशी को बढ़ावा देने वाली बाबा रामदेव की होमग्रोन एफएमसीजी पतंजलि आयुर्वेद के कई प्रोजेक्ट पर इससे पहले भी केंद्र और राज्य सरकारों ने सवाल उठाए हैं। इसमें से कई प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली तो कई रद्द हो चुके हैं।
पतंजलि के इन प्रोजेक्ट पर उठे सवाल, कई रद्द हुए
- 2015 में पतंजलि ने सरकार की ओर से संचालित खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग में सुधार का प्रस्ताव दिया था। इस संबंध में पतंजलि के अधिकारियों ने एमएसएमई मंत्रालय के साथ तीन दौर की बातचीत भी की थी। हालांकि, तत्कालीन केंद्रीय एमएसएमई मंत्री कलराज मिश्र ने खादी की अलग पहचान की बात कहते हुए इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया था।
- 2017 में योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद पतंजलि ने मिड-डे मील का ठेका हासिल करने के लिए लॉबिंग की थी। तब मिड-डे मील में 10 करोड़ से ज्यादा बच्चों को पंजीरी (चीनी, घी और गेहूं के आटे का मिश्रण), फल और दूध का वितरण किया जा रहा था। पतंजलि के इस प्रस्ताव को राज्य सरकार ने अस्वीकार कर दिया था।
- बाबा रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत हरिद्वार में गंगा के घाटों को गोद लेने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन कुछ एनजीओ के साथ भागीदारी वाले इस प्रस्ताव को सरकार ने रद्द कर दिया था।
- दक्षिण भारत में वैदिक कंटेंट के प्रसारण के लिए पतंजलि वैदिक ब्रॉडकास्टिंग के तहत तीन टीवी चैनलों की मंजूरी मांगी थी। आवेदन में कमियों के कारण यह मंजूरी तीन साल तक अटकी रही थी। पिछले साल ही 1 चैनल के लिए लाइसेंस मिल पाया था। इसके अलावा बाबा रामदेव की ओर से प्रचारित किए गए वैदिक एजुकेशन बोर्ड को पांच साल बाद गति मिल पाई है।
नोएडा फूड पार्क: लंबी खींचतान के बाद मिली मंजूरी
पतंजलि आयुर्वेद की ओर से नोएडा में 2 हजार करोड़ के निवेश से बनाए जाने वाले फूड पार्क को भी काफी खींचतान के बाद मंजूरी मिल पाई है। पतंजलि की ओर से फूड पार्क के लिए जमा किए गए आवेदन में खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने कई कमियां बताई थीं। तब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रीयोगी आदित्यनाथ ने बाबा रामदेव और बालकृष्ण को सरकार की ओर से पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया था। बाद में उत्तर प्रदेश के अधिकारियों ने केंद्रीय खाद्य मंत्रालय से कागजात जमा करने के लिए और समय मांगा था। इसके बाद ही इस प्रस्ताव को मंजूरी मिली और सब्सिडी दी गई।
कई सरकारों के साथ अनुभव अच्छा नहीं रहा: बालकृष्ण
पतंजलि आयुर्वेद के सीईओ आचार्य बालकृष्ण मानते हैं कि कई सरकारों के साथ अनुभव अच्छा नहीं रहा है। लेकिन यह प्रक्रियाओं का एक सिस्टम है। हम केवल यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि वे कैसे कार्य करते हैं। कुछ राज्य सरकारों के साथ काम करना काफी कठिन है। हालांकि, बालकृष्ण कहते हैं कि हाल ही में आदिवासी और कृषि मंत्रालय के साथ काम करना काफी अच्छा रहा है। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की टीम इन दोनों मंत्रालयों के सहयोग से आदिवासी समुदायों में हर्बल रिसर्च और किसानों को ऑर्गेनिक फार्मिंग की ट्रेनिंग देने का कार्य कर रही है।बालकृष्ण कहते हैं कि किसानों की आय को दोगुना करने के तहत यह प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं। इसके तहत कई जिलों में मिट्टी का परीक्षण शुरू हो गया है।
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