अमेरिका, ब्राजील और रूस के बाद कोरोनावायरस महामारी कीसबसे बुरी चपेट में आने वाला भारत चौथा देश बन गया है। कोविड 19 संक्रमण को रोकने की कोशिश कर रहे भारत में बीते महीने पाबंदियों में ढील दी है। एक्सपर्ट्स देश में कोरोना के बढ़ते मामलों का कारण जल्दी दी गई रियायतों को मानते हैं। इसके साथ ही एक्सपर्ट्स यह भी मानते हैं कि भारत में कोरोनावायरस चरम पर नहीं पहुंचा है।
लगातार बिगड़ रहे हालात को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट मंत्रियों की मीटिंग बुलाई है। वहीं, गृहमंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में सभी पार्टियों के साथ मीटिंग बुलाई है। राजधानी दिल्ली में हालात बदतर होते जा रहे हैं। सरकार को डर है कि जुलाई के अंत तक 5 लाख से ज्यादा मामले हो जाएंगे।
केवल एक अच्छी खबर: मरीज यहां तेजी से ठीक हो रहे हैं
स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, हालात चिंता करने वाले हैं। जहां दुनिया में कोरोनावायरस ट्रांसमिशन की गति कम हो रही है।वहीं, भारत में यह गति बढ़ रही है। केवल एक अच्छी बात है कि कोरोनवायरस मरीज तेजी से उबर रहे हैं, लेकिन यहां खुश होने की बात नहीं है। अधिकारियों ने माना है कि पांच राज्य- महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात और उत्तर प्रदेश आने वाले वक्त में आईसीयू और वेंटिलेटर्स की कमी का सामना करेंगे। यहां यह किल्लत अभी से दिखने लगी है।
दिल्ली और मुंबई में स्वास्थ्य अधिकारी बेंक्वैट हॉल, स्टेडियम, होटल और स्कूलों में कोविड 19 के उपकरण इंस्टॉल कर रहे हैं। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली को दूसरे राज्यों से इलाज के आने वाले कोविड 19 के मरीजों के लिए जुलाई के अंत तक कम से कम 1.5 लाखहॉस्पिटल बेड की जरूरत होगी।
अस्पताल में मरीजों को भर्ती न करने की खबरों से देश में हलचल बढ़ी
हाल ही में लॉमेकर शाहिद सिद्दीकि ने कहा था कि दिल्ली के कई अस्पतालों में इलाज न मिलने के कारण उनकी भतीजी की कोरोनावायरस से मौत हो गई। 68 साल के कोरोना मरीज लखनजीत सिंह को कथित रूप से 6 अस्पतालों ने भर्ती नहीं किया, जिससे उनकी मौत हो गई।
भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में एक लाख से ज्यादा मामले हो गए हैं। यह आंकड़ा चीन के वुहान शहर से ज्यादा है, जहां दिसंबर 2019 में वायरस मिला था। मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के इकबाल चहल कहते हैं कि हम हालात का सामना करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
क्या भारत में चरम पर पहुंच गया है वायरस?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, वायरस भारत में अभी चरम पर नहीं पहुंचा है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक स्टडी बताती है कि 8 हफ्तों के लॉकडाउन के कारण महामारी के चरम पर पहुंचने में देर हुई है, लेकिन यह नवंबर के मध्य में पीक पर पहुंच सकती है।
कोविड-19 के खिलाफ काम कर रही नेशनल टास्क फोर्स के चेयरमैन वीके पॉल कहते हैं कि हालात कुछ इलाकों में ही खराब हैं, खासकर घनी आबादी वाले शहरों में। हालांकि अभी भी कई इलाके हैं जो वायरस से प्रभावित नहीं हुए हैं। इसलिए हम यह नहीं कह सकते कि पूरा देश कोविड 19 से बुरी तरह प्रभावित है।
प्रवासी मजदूरों के कारण बचे हुए इलाके चपेट में आ सकते हैं
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, लाखों प्रवासी मजदूरों अपने गांवों में वापस लौट रहे हैं। ऐसे में जो इलाके वायरस की चपेट में आन से बच गए थे।वहां, अब नया स्वास्थ्य संकट देखा जा सकता है।राजस्थान के पश्चिम राज्य में पहले ही कोविड 19 के मामले बढ़े हैं। इसी तरह आंध्र प्रदेश के दक्षिण राज्य में तीन हफ्तों में करीब 1500 मामले आए हैं, जिनमें से 500 केस ग्रामीण इलाकों से हैं।
भारत के स्वास्थ्य इलाकों में पब्लिक हेल्थ केयर सिस्टम की कमी है, जिसके चलते इन इलाकों में कोरोनवायरस बढ़ रहा है। हेल्थ एक्सपर्ट्स विनाश का अनुमान लगा रहे हैं। हेल्थ स्पेश्लिस्ट देविन नारंग के मुताबिक, भारत में कोरोनवायरस के कई चरम हो सकते हैं। देश के हर इलाके का अपना खुद का चरम हो सकता है।
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