नई दिल्ली (11 दिसंबर 2019)- तो जनाब आख़िरकार सिटीज़नशिप अमेंडमेंट बिल यानि सीएबी लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी पास हो ही गया…इसमें आपको कोई ताज्जुब होना भी नहीं चाहिए…एक राजनीतिक दल ने अपने मैन्युफैस्टो पर अमल करते हुए अपने ऐजेंडे पर ही काम किया है…आपको अगर सवाल या ताज्जुब करना है तो उनसे कीजिए जो आपको आज भी अपनी हमदर्द जमातें नज़र आती हैं….बहरहाल आपके लिए ये कोई नई बात नहीं…बंटवारे से लेकर सैंकड़ों दंगे….कभी कांग्रेस के जमाने में जबरन नसबंदी कराने का ज़ुबानी फरमान और कुवांरो तक को न बख्शना…तो कभी पोटा तो कभी टाडा….लेकिन सबसे पहले आपको इस सिटीज़नशिप अमेंडनमेंड बिल यानि CAB को समझना होगा…उसको बारे में बताया जा डराया जा रहा है, उसकी हकीकत अपनी आंखों और जहन से भी समझनी होगी….क्योंकि अब वो दौर नहीं जब किसी को कोई जमीन या गाड़ी देदी और जुबानी लेनदेन को ही उसके कागजात मानकर सालों साल काम निकाल लिया…अब आपको अपनी जन्म प्रमाण पत्र के साथ ही अपनी पढ़ाई अपने तमाम दस्तावेज को संभालना जरूरी हो गया….लेकिन आज यकीनन अपने आपको कमजोर और अकेला समझ रहे हैं तो सिर्फ ये दुआ पढ़िए कि…रब्बी अन्नी मगलूबुन फंतसिर…यानि ए अल्लाह मैं मग़लूब हो गया हूं घिर गया हूं मेरी मदद फरमा…
और हां..आक़ा ए नामदार…जनाब ए मौहम्मद रसूलुल्लाह सल्ललाहुअलयहिवसल्लम ने इरशाद फरमाया था, कि एक ज़माना ऐसा आएगा कि दुनियां के सामने मुसलमान बेबस होगा, और उस पर खुलेआम जुल्म होगा….उसकी बात मे कोई दम न होगा उसकी कोई सुनवाई नहीं होगी….सहाबा ए कराम ने सवाल किया कि क्या हुज़ूर उस जमाने में मुसलमानों की तादाद कम होगी …आप सल्ललाहुअलयहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि नहीं…बेतहाशा होंगे लेकिन समुंदर के झाग की मानिंद…
इस क़ौल का ज़िक्र करते हुए …फिलहाल मैं ये तो नहीं कह रहा कि ये वही दौर है…. लेकिन बोस्निया, ईराक़, शाम, म्यामांर के रोहंगिया, गुजरात, मेरठ, मलियाना, मुरादाबाद, समेत मौजूदा ज़माने के कई वाक़यात और उम्मत की दबी हुई आवाज़, नाक़िस रहनुमाई और बिके हुए रहनुमाओं को देखकर इतना ज़रूर कहा जा सकता है कि हालात कुछ कुछ ऐसे ही हैं… जबकि समंदर के झाग की मानिंद पूरी क़ौम बहैसियत मुसलमान बेअसर और बेबस नज़र आ रही है।
चूंकि मुसलमान… ख़ासतौर से ईमान वाला नाउम्मीद हो ही नहीं सकता…इसलिए इन हालात से घबराने के बजाय उसी दर पे जाना होगा…जहां से… ये ख़बर मिली थी…यानि आप सल्ललाहुअलयहिवसल्लम….की हयात ए तय्येबा और उनके बताए हुए रास्ते, हदीस और अल्लाह की रस्सी यानि क़ुरान के पास….अफसोस आज हम शिया भी हैं सुन्नी भी हैं…देवबंदी भी है…शेख भी मुगल भी पठान भी बस समझ में नहीं आ रहा कि मुसलमान भी हैं कि नहीं….
इस दौर में भी सभी परेशानियों का हल है….बस ख़ुशु और ख़ुज़ु वाली नमाज़ क़ायम करो… ईमानदारी का खाओ…हराम कमाई.. हराम काम और हरामकारी से बचो…आपके अपने ही…सबके घरों में दुनियां के हर मसले का हल रखा तो है…बस उसको खोलकर पढ़ना है….समझना है…तो ..इंशाल्लाह कामयाब होंगे…यानि क़ुरान पढ़ो…मय तर्जुमा और समझकर….दीन भी बनेगा और दुनियां फ्री में…
अब बात करता हूं ख़ालिसतन दुनियावी….आपको न तो नागरिकता सशोंधन बिल यानि सीएबी से….न ही नेश्नल सिटीज़न्स रजिस्टर ऑफ इंडिया यानि NRC से…या किसी ट्रिपल तलाक़ बिल…बंदूक़ से न ही किसी तोप से डरने की ज़रूरत है….मेरी राय में अपने दिल में सिर्फ अल्लाह से डर पैदा करो….और अगर आपको इसके बाद भी डरना ही है…. तो सिर्फ अपनी आस्तीन के सापों से डरो….क्योंकि आज़ादी के वक्त से लेकर आजतक आपको सबसे ज्यादा अगर किसी ने डसा है तो उन्होंने…. जिनपर… आपने आंखें मूंद कर भरोसा किया…आपकी भलाई के नाम पर पाकिस्तान बनाने और ख़ुद को क़ायदे आजम कहने वालों को न तो ये पता था कि उनकी डिमांड किया है….हांलाकि यहां एक बात और साफ कर दूं कि जिन्ना के पाकिस्तान की डिमांड से पहले ही हिंदु महासभा ने देश के बंटवारे की बात शुरु कर दी थी…ये भी एतिहासिक सच्चाई है….लेकिन जहां तक हमारे लीडर्स की बात है तो..किसी भी खतरे को खुद ही खड़ा करके उससे सिर्फ आगाह करने में… और उसका हल बताने में बड़ा ही फर्क है…तो जनाब …सो काल्ड क़ायदे आजम ने क़ौम को जो हल दिया… आज उस ही मुल्क बल्कि मुल्कों का क्या हाल है पूरी दुनियां के सामने है….दूसरे जब अलग देश मांगा ही था… तो उसका कोई नक्शा…वहां जाने का रास्ता…हिस्सेदारी की शर्तें…लोगों को अवेयर करना….वहां जाने का तरीका और एक्सचेंज और पीपल एंड पापुलेशन कैसे होगा ये किसी नहीं सोचा…और सबसे बड़ी बात… खुद उस जमाने के समझदार और दानिश्वरों ने उस कॉल को नकारते हुए… भारत की माटी को ही चुना था…. यानि उस वक़्त की सो कॉल्ड कयादद तक न सिर्फ कंफ्यूज्ड थी बल्कि कई हिस्सों में बंटी हुई थी..
ठीक आज भी यही हालात हैं…अवाम को मुत्तहिद करने और एक प्लेटफार्म पर आने की दावत देने वाला… कोई एक कथित मुस्लिम नेता किसी दूसरे कथित मुस्लिम नेता को मानने तक को तैयार नहीं है…जामा मस्जिद में मदनी एंड संस जाने को तैयार नहीं…और आईटीओ पर जमीयत के आफिस को बुखारी एंड ब्रदर्स नहीं मानते…हालात तो ये हो गये कि अब मदनी ब्रदर्स में भी चाचा भतीजे तक एक मंच पर नहीं आ सकते.. अरशद मदनी क़ौम के लिए अलग थ्योरी लिये हुए हैं और असद मदनी अलग कहानी….उधर बड़े बुखारी साहब के बाद भाइयों और परिवार के बीच क्या चल रहा है कोई नहीं जानता….हांलाकि सच्चाई ये भी है अब जनता भी इनको समझ चुकी है…उधर खुद को बैरिस्टर कहने वाले ने कभी बाबरी मस्जिद की अदालती लड़ाई में बयानबाजी से बढ़कर कुछ किया हो तो बता देना….और खुद उनके ही हैदराबाद में चार मीनार में ही सरेआम लक्ष्मी नारायण मंदिर बना दिया गया..इसपर उनका क्या स्टैंड रहा ये पूछ लेना….हांलाकि सैकड़ों मील दूर बाबरी मस्जिद के नाम पर उनके जज़्बाती भाषण सबको काफी पंसद हैं…सच्चाई यही है सबकी अपनी अपनी सियासी दुकाने हैं…. ऐसे ही कोई शिया धर्म गुरु है… तो कोई बरेलवी रहनुमा, कोई देवबंद से बैठे बैठे अपील करके लाखों लोगों को बसों में भरकर रामलीला मैदान भर तो देता है…..लेकिन ये तक नहीं बताता कि ये प्रदर्शन क्यों हो रहा है और पिछले दर्जनों या फलां प्रदर्शन के बाद उसका नतीजा क्या निकला….मुसलमान सिर्फ अगर भीड़ बना रहेगा तो ये लोग भेड़ की तरह हांकते ही रहेगे…कोई पाकिस्तान जाने को कह देगा तो कोई पीएम के कान से पीप निकालने की बात कर तालियां बजवा लेगा…तो कोई खुद 9 बार एमएलए बनेगा..दर्जनों मंत्रालय लेगा….खुद एमपी…बीवी को भी एमपी बनाएगा…बेटे को भी एमएलए बनाएगा…लेकिन जब कौ़म के लिए एक लफ्ज़ भी बोलने की बारी आएगी तो अपने क्षेत्र में जाने से डर के नाम पर बिल में छिप कर बैठ जाएगा….
ये सच्चाई है कि भारत से बेहतर पूरी दुनियां में मुसलमानों के लिए कोई देश नहीं है…हमारा संविधान जितनी ताक़त जितनी आज़ादी हमको यहां देता है वो पूरी दुनियां में कहीं नहीं है…उसके लिए आपको संविधान और क़ानून को भी पढ़ना होगा…और सबसे पहले खुद को और अपने बच्चों को भी पढ़ाना होगा… इल्म से दूरी को ख़त्म करना होगा….नागरिकता संशोधन बिल को लेकर तैयारी कीजिए लेकिन परेशान मत होइए…जो लोग संसद में बिल की कापी फाड़ना भले ही सिंबोलिकली लोगों को अच्छा लग रहा हो लेकिन इसके लिए जज़्बाती नहीं ठोस कार्रवाई की कोर्ट जाने या फिर लोगों में बेदारी लाने से ही काम चलेगा….बाबरी मस्जिद की तरह काननूी लड़ाई के बजाए ज़ुबान चलाने से काम नहीं चलेगा…
आपके बड़े… बुजुर्ग यहां पैदा हुए यहीं मर गये…हम यहीं पैदा हुए इसको साबित करने के लिए अपने कागजात दरुस्त रखिए…जैसे अपने मकान, गाड़ी की रजिस्ट्री संभाल कर रखते हैं…रकम को संभाल कर रखते हैं बच्चों के बर्थसर्टिफिकेट और निकाह नामे को संभालते हैं वैसे ही कागज भी रखिए…और बहुत जल्द हमारी इसी वैब साइट पर आपके लिए एक फार्म अपलोड किया जाएगा….हमारी लीगल टीम संबधित विभागों से राय लेकर आपके लिए जल्द ही एक फार्म तैयार कर रही है….
अगर ज़रूरत पड़ती है को अपने हक के लिए आफिस से लेकर कागज़ी और कानून के अलावा संवैधानिक लड़ाई लड़ने का माद्दा रखिए…लेकिन किसी चले कारतूस या घिसे पिटे नेता के बहकावे में आकर नहीं बल्कि खुद पढ़कर समझ कर…
और हां एक बात और झोलाछाप डॉक्टर की तरह झोलाछाप नेता भी आपके पहले इलाज के नाम पर घर बिकवाएगा…बड़े प्राइवेट नर्सिंग होम में अपने कमीशन के लालच में आपको लुटवा देगा और जब बाद में आपको पता चलेगा कि जिस बीमारी का इलाज वो कर रहा था वो आपको थी ही नहीं…और अगर इस बीच जांच दल या सीएमओ आ गया तो अपनी डिग्री दिखाने के बजाय भाग ही जाएगा… तो बहुत देर हो चुकी होगी….
आखिर में सिर्फ इतना ही कि भारत सभी का है…अगर हमारे बुजुर्गों ने पाकिस्तान को ठुकरा कर अपनी माटी को गले लगाया था तो कोई ताकत हमको इससे जुदा नहीं कर सकती …बाबा साहेब का संविधान ये कहता है कि ये देश जितना किसी दूसरे का उतना ही मुसलमान का भी….माना कि भीड़ बन कर सड़कों पर प्रदर्शन करना आपका संवैधानिक हक़ है लेकिन…पहले ये भी सोचिए कि ….आपके समर्थन में आपसे ज्यादा हिंदु भाई हैं… और उधर असम में जो लोग आज सड़को पर हैं ..आग लगा रहे हैं…गोलियां खा रहे हैं वो मुसलमान नहीं बल्कि असम अकॉर्ड को लागू करवाने वाले वो हिंदु भाई हैं… जो इस बिल का विरोध कर रहे हैं….आप इस मामले को सिर्फ अपने ऊपर लेकर… इस मामले को हिंदु मुस्लिम बनाने से बचो…क्योंकि जिन लोगों को रेप दर रेप…महिलाओं की सुरक्षा, मंहगाई, कानून व्यवस्था, जीडीपी, रोजगार, बंद होते सरकारी संस्थान, कालाधन समेत कई मामलों पर जनता को जवाब देना था… वो यही चाहते हैं कि आप उनके ट्रैप में फंसे और वो सारे सवालों के जवाब में आपको पाकिस्तानी भाषा बोलने वाला कहकर… अपने आपको सवालों के दायरे से बाहर निकाल लें… और इस काम के लिए आपकी आस्तीन वाले भी कम काम नहीं कर रहे हैं….
बस इतना याद दिलाना चाहता हूं कि मेरठ,मुरादाबाद, मलियाना और दर्जनों दंगों के ज़माने दर्जनों कथित मुस्लिम नेता भी थे,मंत्री भी और संतरी भी…धर्म गुरु भी ….लेकिन बाद में वहां जाने का ऐलान करके दिल्ली में ही या गाजियाबाद के बार्डर पर पुलिस के हाथों थाने में बिठा लिए जाते थे…जिनके लिए दिल्ली के करीम से ही खाना आता था…वो वहीं पुलिस पर गुस्सा दिखाकर और वहीं से वापस हो जाते थे….और कभी फिर किसी दंगे वाली जगह गये हो तो ज़रा हमको भी बता देना…..और शायद इसी को कहते हैं लाशों की सियासत…
क्योंकि अगर बाबरी मस्जिद में मूर्तियां रखवाने वाली कांग्रेस,ताला डलवाने वाली कांग्रेस, ताला खुलवाने वाली कांग्रेस और मस्जिद शहीद कराने वाली कांग्रेस को याद करेंगे तो हर बार सत्ता उसी की सरकार थी…इससे साफ हो जाएगा कि जज़्बाती बाते करना और उन पर अमल करना दो अलग अलग मामले हैं…इसलिए ख़ुद जागो और समझो..आपके नेता एक हों या न हों लेकिन आप खुद फिर्को मसलकों और बिरादरियों से बाहर निकलकर एक होना शुरु करें….
(जारी है…)
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