– अवैध निर्माण के खिलाफ सख्त जीडीए वीसी
- गाजियाबाद – हापुड़ रोड से कविनगर रामलीला मैदान के लिए मुड़ते ही दांई ओर जीडीए द्वारा सील की गई निर्माणाधीन बहुमंजिला इमारत और हापुड़ रोड से महरौली व एनएच 24 हाईवे की तरफ रेलवे फाटक के पास सैंकड़ों फ्लैट और उनमे बिक चुके कुछ फ्लैट्स में रहने वाले लोगों की हालत से इतना तो साफ हो गया है कि जीडीए के युवा वीसी अतुल वत्स भले ही गाजियाबाद को एक सुनियोजित शहर बनाने का दावा करें, लेकिन उनके लिए चुनौतियां कम नहीं हैं। खास बात यह है कि अतुल वत्स के लिए जितनी चुनौती बाहर से है उससे कहीं ज्यादा खुद उनके अपने कार्यालय में भी हैं।
आइए सबसे पहले उपरोक्त वर्णित कविनगर में जीडीए द्वारा सील की उस निर्माणाधीन बहुमंजिला इमारत की बात करते हैं जो वीसी महोदय के आवास से कार्यालय जाने वाले रास्ते पर निर्माण होती रही। लेकिन जीडीए के भारी-भरकम प्रवर्तन दल के लाव-लश्कर की नजर उस पर तब पड़ी जब मामला उछला। इसी तरह से महरौली रेलवे फाटक रेलवे लाइन के आस पास सैंकड़ों फ्लैट बन गये, उनमें से कुछ बिल्डर ने लोगों को बेच भी दिए। लेकिन मामला तब सामने आया जब अपनी जिंदगीभर की कमाई यहां लगा चुके लोग मूलभूत सुविधाओं को तरसने लगे। बिल्डर के हाथों मोटी रकम थमा चुके लोगों को अब मालूम हुआ कि उनके सपनों का आशियाना तो अवैध है। इस बारे में जब हमने इलाके के जूनियर इंजीनियर श्री सतेंद्र से बात की तो उनका कहना था कि यह सभी फ्लैट अवैध हैं, इनके नकशे हैं हीं नहीं, इनके खिलाफ कार्रवाई के नाम पर मेरे बस में जितनी ताकत थी मैंने की। इलाके के जेई श्री सतेंद्र की पीड़ा थी कि बिल्डर की पकड़ ऊपर तक है और मेरी पावर सीमित। स्थानीय लोगों की शिकायतों के बारे में जब बिल्डर श्री सार्थक से बात करने की कोशिश की गई तो कई दिन के बाद उन्होंने अपने किसी लीगल अधिकारी से टेलीफोन तो कराया, लेकिन अभी तक स्वीकृत नक्शे या लोगो की शिकायतों पर कुछ नहीं कहा।
फिलहाल हम दो ही मामलों का जिक्र कर रहे जिनसे इतना तो साफ है कि कोई तो है जो जीडीए के अंदर बैठकर सरकार से तनख्वाह भी वसूल रहा है और अवैध निर्माण पूरा होने तक न कार्रवाई होने देता है न ही बिल्डर का हौंसला टूटने देता है। और शायद यही अंदर वाला, जीडीए वीसी अतुल वत्स की सबसे बड़ी चुनौती है। दरअसल चुनौती हम इसलिए कह रहे हैं कि अबतक के अपने कार्यकाल में बतौर जीडीए वीसी अतुल वत्स ने दिखाया है कि वो ईमानदारी से अपने फर्ज को निभाना चाहते हैं। बहरहाल यह एक सिलसिला है निर्माण के दौरान वैध और अवैध का, जो किसान के खेत से लेकर शहर के बीच तक फैला है। लेकिन जीडीए वीसी अतुल वत्स की अबतक की कार्यशैली से गाजियाबाद की जनता यह उम्मीद कर सकती है कि जल्द ही हालात बदलेंगे।