15 जून को गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद मोदी सरकार ने चीन को लेकर अपनी नीतियां सख्त करनी शुरू कर दी हैं। केंद्र सरकार ने इंडस्ट्री से सस्ते और खराब क्वॉलिटी वाले चीनी प्रोडक्ट्स के बारे में जानकारी मांगी है ताकि इनके आयात पर रोक लगाई जा सके और घरेलू उत्पादन बढ़ाया जा सके। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इंडस्ट्री जल्द ही सुझाव तैयार कर केंद्र को भेजेगी।
भारत में चीनी समानों के बॉयकॉट के लिए अभियान भी तेज है। चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि चीनी सामानों के बॉयकॉट करने का असर दोनों देशों के रिश्तों पर पड़ेगा। इस बॉयकॉट से भारत और चीन के रिश्तों के बीच खटास आ जाएगी।
प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई थी हाईलेवल मीटिंग
सरकारी सूत्रों के हवाले से पीटीआई ने बताया कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री कार्यालय में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई थी। इसमें आत्मनिर्भर भारत अभियान को लेकर चर्चा की गई थी। इसके बाद इंडस्ट्री से चीन से आने वाले घड़ी, ट्यूब, हेयर क्रीम, शैंपू, पेंट, मेकअप के प्रोडक्ट्स और रॉ मटेरियल के बारे में जानकारी मांगी गई है।
भारत में सेल फोन, खिलौनों, टेलीकॉम जैसे क्षेत्रों में चीन का प्रभाव ज्यादा है। भारत में जो भी प्रोडक्ट आयात किए जाते हैं, उनमें चीन की हिस्सेदारी 14% है।
बॉयकॉट का असर चीन की कंपनियों पर पड़ेगा- ग्लोबल टाइम्स
अखबार के 21 जून के एडिटोरियल में लिखा गया- भारत में जारी चीन विरोधी अभियान का नकारात्मक असर पड़ रहा है। पड़ोसी देश में व्यापार की चीन की संभावनाएं धूमिल हो रही हैं। भारत में चीनी मोबाइल ऐप और प्रोडक्ट का बॉयकॉट किया जा रहा है और इससे द्विपक्षीय संंबंधों में खलल पड़ेगा।
चीन के मार्केट एनालिस्ट के हवाले से एडिटोरियल में कहा गया है कि चीनी सामानों का बॉयकॉट भारत में सामाजिक घटना बन चुकी है। इससे वहां के बाजार में चीनी सामानों के विस्तार पर असर पड़ेगा। चीनी ऐप और डाटा प्राइवेसी को लेकर भी भारत में भी चिंता जाहिर की जा रही है और ऐसे में टिकटॉक और वीचैट जैसी ऐप के मार्केट को नुकसान होगा।
एनालिस्ट के मुताबिक, चीनी ऐप डिलीट करने का उन कंपनियों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है, जो भारतीय बाजार में जाने की योजना बना रही थीं।गलवान की घटना को भारतीय मीडिया का एक धड़ा बेहद आक्रामक तरीके से पेश कर रहा है। कई मीडिया में मिलिट्री रेस्पॉन्स की बात भी कही जा रही है। वहीं, चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने काफी नपे-तुले तरीके से इसकी रिपोर्टिंग की है।
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