नई दिल्ली (19 दिसंबर 2019)- दरअसल लोगों को शिकायत है कि जिन लोगों ने भारत के विभाजन और जिन्ना के मुस्लिम कार्ड को ठुकरा कर, ख़राब हालात के बावजूद अपनी मर्ज़ी से भारत को चुना था, उनको अब अपनी नागरिकता साबित करनी होगी। और उन्ही को नज़र अंदाज़ और नकारते हुए, जिन लोगों को भारत के मुक़ाबले में दुसरे देश पसंद थे, उनको अब भारतीय बनाने की बात की जाएगी। हांलाकि गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि इस एक्ट से किसी भारतीय मुस्लिम को नुक़सान नहीं होगा। किसी भी भारतीय मुसलमान को इससे घहराने की ज़रूरत नहीं है।
लेकिन संसद में तक में जब ये सवाल उठा कि पाकिस्तान, बंग्लादेश और अफग़ानिस्तान से आने वाले मुस्लिमों के अलावा सभी अल्पसंख्यकों का तो स्वागत है, लेकिन श्रीलंका जैसे हिंसा ग्रसित रहे देश के अल्पसंख्यक हिंदुओं, भूटान के ईसाइयों और अन्य पड़ोसी देशों को लेकर क्यों भेदभाव किया जा रहा है तो इसका जवाब अभी तक सामने नहीं आया है।
साथ ही सवाल ये भी उठा कि क्या इस बिल को लाने से पहले क़ानून मंत्रालय से सलाह ली गई है, तो जवाब नहीं मिला । साथ ही जब पूछा गया कि देश के बेहद महत्वपूर्ण अंग अटार्नी जनरल से इस बारे में राय ली गई तो भी मामला ख़ामोशी पर ही रुका रहा।
ऐसे में लोगों के मन में कई सवाल उठने स्वाभाविक ही हैं। चर्चा ये भी है कि कुछ लोगों ने शायद आधी अधूरी तैयारी के साथ ऊपर कुछ लोगों को गुमराह करते हुए ये सोच लिया कि हिंदु मुस्लिम गेम करने से बाक़ी मुद्दों से ध्यान भी बंट जाएगा, और हिंदुत्व का कार्ड और हिंदु तुष्टीकरण की राजनीति भी हो जाएगी।
लेकिन धन्य है मेरे देश की जनता, ख़ासतौर से हमारे दलित,पिछड़े, हिंदु भाई और हिंदु समाज। जिन्होने न सिर्फ इस बिल का विरोध सबसे पहले किया और असम से लेकर पूरे पूर्वोत्तर और बंगलूरु और गुजरात तक सड़क से लेकर कोर्ट तक अपना विरोध ज़ाहिर कर दिया, बल्कि मुस्लिम समाज को जता दिया कि ये सिर्फ आपकी समस्या नहीं बल्कि देश की समस्या है।
हांलाकि ये बेहद ध्यान देने योग्य और सराहनीय बात है कि देश के गृहमंत्री अमित शाह ने ज़ोर देकर हर स्तर पर यही आश्वासन दिया है कि किसी भी भारतीय के साथ अन्याय नहीं होगा, किसी को भी घबराने की ज़रूरत नहीं। लेकिन शायद ख़ुद बीजेपी के ही कुछ अति उत्साहित लोगों ने सरकार की छवि को भी ख़राब करने में कसर नहीं छोड़ी। क्योंकि उन्होने हर स्तर पर यही कोशिश की है कि मामला हिंदु मुस्लिम मोड़ ले ले और महिला सुरक्षा, रेप दर रेप, मंहगाई, आर्थिक मामलों,जीडीपी जैसे कई सवालों से लोगों का ध्यान बंट जाए।
लेकिन गुरुवार को सोशल मीडिया और ग्राउंड ज़ीरो से प्रदर्शन की जो तस्वीरें आईं उनमें हर बार की तरह मुस्लिम, दलित, पिछड़ों और हिंदु भाइयों की एकता साफ नज़र आई।
दिल्ली में भले ही दिल्ली पुलिस पर छात्रों और प्रदर्शनकारियों पर लाठी चलाने के आरोप लगे हों लेकिन,प्रदर्शन के दौरान ही एक लड़की ने दिल्ली पुलिस के जवान को फूल भेंट करके बता दिया कि अपनी मांगों के लिए शांतिपूर्वक प्रदर्शन भी होता है। जबकि दुनियां को धार्मिक एकता की सीख देने के लिए बता दें कि सड़क पर प्रदर्शन करने और पुलिस हिरासत में जाने वालों में योगेंद्र यादव मुस्लिम नहीं है, इतिहासकार राम चंद्र गुहा को पुलिस ने हिरासत में लिया वो मुसलमान नहीं है, सबसे पहले जिन्होने बिल के विरोध में सख़्ती से कहा, कि अगर किसी मुसलमान को इस बिल से परेशान किया गया, तो मैं भी मुसलमान हो जाऊंगा, वो मुसलमान नहीं थें। एक बड़े अधिकारी ने नौकरी दांव पर लगाई, वो मुसलमान नहीं है। परिणीति चोपड़ा समेत कई फिल्मी हस्तियां जो भले ही मुस्लिम न हों लेकिन उन्होने मज़बूती बात रखी है। राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा, बिहार के शेर पप्पू यादव, यूपी के अखिलेश यादव, बहन मायावती जैसे दर्जनों ऐसे नाम हैं जिन्होने मुस्लिम समाज के साथ अपनी आवाज़ बुंलद करके बताया कि सैक्यूलर फ्रेमवर्क कैसा होता है। उधर हर उम्र के लोगों में कई बच्चों की तस्वीरें ये बता रहीं थीं कि भले ही उनके अभिभावक उनको यहां लाए लेकिन हर कोई इस बिल या एक्ट को लेकर आशंकित है।
पिछले कई दिनों से हम विरोध करने से पहले एक्ट को समझने और शांतिपूर्वक प्रदर्शन की बात कर रहे हैं। लोगों ने इस अपील को या अपने विवेक से न सिर्फ शांति बनाए रखी, बल्कि देश के हर तबके ने इस एक्ट का विरोध करके बता दिया है कि भारत में आज भी हर समस्या के लिए धर्म नहीं बल्कि एक दूसरे का दर्द ही आपस में जुड़ने का आधार है।
अंत एक बार यही कहूंगा कि एक्ट को पढ़िए, समझिए, आपको लगता है कि उसमें आपके विरुद्ध अगर कुछ है, तो उसके लिए लीगल और संवैधानिक पैरोकारी के साथ साथ संवैधानिक तरीक़े से शांतिपूर्वक प्रदर्शन करें। ये आपका अधिकार तो है, लेकिन इस दौरान शांति बनाए रखना। आसपास नज़र रखना और आपके बीच कोई असामाजिक तत्व न घुस सके इस पर भी नज़र रखना आपका ही काम है। इसके लिए यदि हो सके तो हर प्रदर्शन के दौरान अपने कुछ ज़िम्मेदार और सम्झदार लोगों की ड्यूटी इस बात पर भी लगाइये कि वो दूर रहकर, भीड़ के ऊपर चारों तरफ से, ऊंचाई से, अपनी और अपने कैमरों, मोबाइल कैमरों से भी न सिर्फ नज़र रखें बल्कि रिकार्डिंग भी करते रहे। और पुलिस बल से सहयोग और तालमेल बनाकर रखें। पुलिस अफसर और पुलिस के जवान भी हमारे ही बीच से, आपके हमारी ही तरह आम परिवारों से आते हैं, और वो हमारी सुरक्षा और देश सेवा में अपनी ड्यूटी को अंजाम दे रहे होते हैं। पुलिस को सहयोगी और दोस्त मानते हुए अपना सहयोगी बनाएं, ताकि दूसरे विभागों और अफसरों की तरह एक सीढ़ी बनकर आपकी बात आपकी मांग सरकार तक पहुंचाने में पुलिस भी आपकी मदद कर सके। मंत्री, नेता, डीएम, जिलाधिकारी,एसडीएम या किसी अफसर को कागज़ी की मदद से ज्ञापन देने के साथ साथ पुलिस को व्यवहार और अपने अख़लाक़ और समझदारी का नमूना भी बतौर ज्ञापन पेश करें।
यानि प्रदर्शन जोश में नहीं होश में रहकर करें।