नई दिल्ली (10 फऱवरी 2018)- बाबरी मस्जिद बनाम राम मंदिर विवाद में एक और मोड़ आ गया है। इस विवाद पर सुनवाई के दौरान एक नई मांग उठने लगी है। यूनाइटेड हिंदु फ्रंट के इंटरनेश्नल महासचिव और राष्ट्रवादी शिव सेना के प्रमुख जय भगवान गोयल ने बाबरी मस्जिद तोड़े जाने के मामले के भी निबाटरे की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए बाबरी मस्जिद को तोड़े जाने वाले इस मामले में यदि कंटेप्ट और कानूनी कार्रवाई होती है तो जय भगवान गोयल की मांग से मामले में नया मोड़ आ सकता है। दरअसल जय भगवान गोयल बाबरी मस्जिद को तोड़े जाने के मामले में मुख्य आरोपी भी हैं। हम आपको याद दिला दें कि बाबरी मस्जिद की इमारत को विध्वंस करने के मामले में पिछले 26वर्षों से सी.बी.आई कोर्ट में मामला चर रहा है। जय भगवान गोयल ने मांग की है कि इस मामले का निपटारा भी अयोध्या के बाबरी मस्जिद बनाम राम मंदिर जन्म भूमि विवाद के साथ सुलझा लिया जाना चाहिए।
यूनाईटेड हिन्दू फ्रंट के कार्यालय सचिव भरतलाल शर्मा द्वारा एक प्रेस रिलीज़ के मताबिक़ यूनाइटेड हिंदु फ्रंट के अंतर्राष्ट्रीय महासचिव, राष्ट्रवादी शिवसेना के राष्ट्रीय प्रमुख और बाबरी विध्वंस के मुख्य आरोपी जय भगवान गोयल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और सर्वोच्च न्यायालय यानि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा को एक पत्र भेजा है। जिसमें मांग की गई है कि सी.बी.आई कोर्ट लखनऊ में बाबरी विध्वंस का मामला काफी लम्बे अरसे से चल रहा है, जिसका फैसला बाबरी मस्जिद बनाम राम जन्म भूमि विवाद के साथ ही हो जाना चाहिए। गोयल का कहना है कि क्योंकि 30 सितम्बर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन जजों की बैंच अपने फैसले में कह चुकी है कि विवादित स्थान पर कभी कोई मस्जिद नहीं थी, अतः तथाकथित विवादित ढांचा को तोड़ने का मामला स्वयं ही निरस्त करके पिछले 26 वर्षों से सी.बी.आई कोर्ट का मुकद्दमा झेल रहे राम भक्तों को राहत मिलनी चाहिए। दिसम्बर 1992 को जो ढांचा तोड़ा गया था वह मस्जिद न होकर एक मंदिर था जो पुर्ननिर्माण के लिए तोड़ा गया था। पत्र में गोयल ने कहा है कि देश का 100 करोड़ हिंदू अयोध्या में श्रीराम का भव्य मंदिर देखना चाहता है और बाबर नाम से कोई मस्जिद देश के किसी कोने में भी उन्हें बरदाश्त नहीं है। लेकिन क़ानून के जानकारों का मानना है कि सुप्रीम कोर्टके आदेशों का धता बताकर जिस तरह से बाबरी मस्जिद को तोड़ा गया और पूरे देश में दंगे भड़के थे, उसके बाद कंटेप्ट ऑफ कोर्ट और आईपीसी दूसरे सैक्श्न्स निश्चित तौर पर बाबरी मस्जिद तोड़ने वालों के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं।
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