अम्बाला (05 जनवरी 2018)- हम आधूनिक कितने ही हो जाएं लेकिन कई मामले आज भी हमको सोचने पर मजबूर कर रहे हैं। आज भी क्यों अपनो का ही शिकार हो रहे अनाथ। ये वो सवाल हैं जिनका जवाब समाज को ही तलाश करना होगा। कमज़ोर अनाथ और मंदबुद्धि लोग कई बार ज़ुल्म का शिकार होते रहे हैं।
यमुनानगर के एक अस्पताल में एक पुलिस वाले के हाथों एक मंदबुद्धि लड़की की इज़्ज़त तार तार होने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ है कि अम्बाला कैंट में एक अनाथ बच्ची पर जुल्म का मामला सामने आया है। यहां पर प्रशासन ने दबिश देकर 17 साल की एक अनाथ लड़की को रेस्कयू करवाया है। लड़की का आरोप है उसके चाचा और कजिन उसके साथ मारपीट करते हैं और उसकी शादी भी जबरदस्ती करवाई जा रही है । लड़की को रेस्कयू करने के बाद कैट सिविल अस्पताल से उसका मैडिकल करवाकर उसे नारी निकेतन में भेज दिया गया है। इस दौरान लड़की ने दिल को दहला देने वाली अपनी व्यथा भी सुनाई। लड़की ने बताया कि उसके माता पिता की मौत हो चुकी है और वह अनाथ है। चाचा और उसका परिवार घर का पूरा काम भी करवाता है और जुल्म भी करता है। लड़की ने बताया कि उसने किसी की मदद से बाल संरक्षण अधिकारियों से मदद मांगी जिसके बाद इस टीम ने उनके चंगुल से आजाद करवाया है।
इस मामले में हरियाणा के बाल कल्याण समीति के सदस्य गुरदेव सिंह का कहना है कि लड़की की पूरी मदद की जा रही है। साथ ही जिला बाल कल्याण अधिकारी मेघा सिंगला ने भी लडकी को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है। लेकिन इस घटना ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या अनाथ और मंदबुधि लोगों को जीने का अधिकार नहीं है। साथ ही क्या अनाथ और मंदबुद्धि लड़कियों पर अपराधियों की नज़र है। इसके अलावा क्या अनाथों या कमज़ोर लोगों के प्रति समाज और सरकार की कोई ज़िम्मेदारी नहीं है ?